गर्भावस्था में रखें इन बातों का ख़्याल

बच्चों से ही घर में रौनक़ होती है। छोटे छोटे बच्चे जब पूरे घर में दौड़ते फिरते हैं तो उन्हें देख कर माता-पिता व परिवार के अन्य सदस्यों की दिन भर की थकान यूँ ही दूर हो जाती है। माँ बनना हर महिला का सपना होता है। छोटे बच्चे के आने का इन्तजार ना केवल माँ बल्कि पूरा परिवार करता है। छोटे बच्चे होते ही इतने प्यारे हैं कि परिवार का हर सदस्य हर वक़्त बस उनके ही साथ खेलना चाहता है।

माँ बनने का एहसास किसी भी महिला के लिए सबसे अधिक सुखद होता है। गर्भावस्था के दौरान मां के स्वास्थ्य का प्रभाव होने वाले शिशु पर भी पड़ता है। इसलिए यह बहुत जरुरी है कि अगर आप माँ बनने के बारे में सोच रही हैं तो सबसे पहले अपने डॉक्टर की सलाह लें। पति-पत्नी दोनों को एक साथ डॉक्टर के पास जाना चाहिए। डॉक्टर आपके कुछ टेस्ट करेंगे, जिससे यह पता चल पाएगा कि आपका शरीर गर्भधारण करने के लिए पूरी तरह से तैयार है या नहीं।

कुछ ज़रूरी टेस्ट जो डॉक्टर करते हैं, वो हैं –

1. ब्लड ग्रूप और RH फ़ैक्टर – सबसे पहले किया जाने वाले टेस्ट है ब्लड ग्रूप का और RH फ़ैक्टर का, जिससे पता चलता है कि आपका ब्लड ग्रूप पॉज़िटिव है या नेगेटिव। नेगेटिव ब्लड ग्रूप आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाते, ख़ासकर O-ve , अगर पहले से ब्लड ग्रूप की जानकारी हो तो ज़रूरत के समय के लिए पहले से व्यवस्था करने में आसानी हो जाती है।

2. हीमोग्लोबिन की जाँच – हीमोग्लोबिन की जाँच भी आवश्यक ताकि पता चल सके कि होने वाली माँ में ख़ून की कमी तो नहीं।

3. मधुमेह, उच्च रक्तचाप, HIV इत्यादि की जाँच – गर्भधारण से पहले ये जान लेना ज़रूरी होता है कि आपको कोई ऐसी बीमारी तो नहीं जिससे बच्चे के लिए किसी तरह का ख़तरा हो या वो बीमारी बच्चे को भी हो जाने की सम्भावना हो। आज तकनीक इतनी विकसित हो चुकी है कि पहले से पता चल जाने पर डॉक्टर की देखरेख में आप अपनी बीमारियों को बच्चे में जाने से रोक सकती हैं।

अगर आपने प्लान नहीं किया था पर माँ बनने वाली हैं, तो शीघ्र अतिशीघ्र अपने डॉक्टर के पास जाएँ और ऊपर लिखे सब टेस्ट करवाएँ। साथ ही डॉक्टर आपको कई अन्य तरीक़े बताएगी अपना ध्यान रखने के और कुछ दवाइयाँ देगी, जो आपको नियमित रूप से लेनी होंगी। अब हम आपको ये बताएँगे कि गर्भावस्था में आपको किन किन बातों का ख़्याल रखना चाहिए।

गर्भावस्था में रखें इन बातों का ध्यान :- pregnancy symptoms 2

1. मोर्निंग सिकनेस – गर्भावस्था के शुरू के दो या तीन महीने तक गर्भवती महिला को मोर्निंग सिकनेस की समस्या आती है। मोर्निंग सिकनेस यानि जी मिचलाना, उलटी आना। ये गर्भावस्था का एक आम लक्षण है, परंतु बहुत ज़्यादा उलटी होना या पूरा दिन चक्कर आते रहना ठीक नहीं होता। अगर ऐसा हो रहा है तो फ़ौरन अपने डॉक्टर को बताएँ।

2. आहार का विशेष ख़्याल रखें –  गर्भवस्था के दौरान निर्धारित कैलोरी और पौष्टिक आहार लेना बहुत जरूरी है, जैसे अनाज, सब्जियां, फल, बिना चर्बी का मीट, कम वसा युक्त दूध, दही, पनीर, सूखे मेवे, नारियल पानी आदि। अगर महिला शाकाहारी है तो प्रोटीन आपूर्ति के लिए अंकुरित दालें व पनीर ज़्यादा खिलाएँ।

3. तैलीय पदार्थों व अधिक मसालेदार चीज़ों से दूर रहें – ज़्यादा मिर्च मसाले वाले भोजन व तैलीय पदार्थों का कम से कम में सेवन करें। इस दौरान जूस, सलाद, सूप इत्यादि तरल पदार्थों का सेवन अधिक से अधिक करें।

4. लम्बे समय तक भूखी ना रहें – गर्भवती महिला को ज़्यादा देर तक भूखा नहीं रहना चाहिए। हर दो घंटे में कुछ ना कुछ हल्का फुल्का खाते रहना चाहिए। जैसे फल, जूस, सलाद, मेवे या बिस्किट। कम खाएँ पर थोड़ी थोड़ी देर में खाएँ। सुबह उठते ही अगर जी मिचलाने की समस्या हो रही है तो उठते ही कुछ ना कुछ खा लें और थोड़ी थोड़ी देर में थोड़ा थोड़ा खाती रहें। ख़ाली पेट रहने से एसीडिटी की समस्या हो सकती है।

5. भरपूर नींद लें – गर्भवती महिला को रात में कम से कम 8 घंटे की नींद जरुर लेनी चाहिए। इसके अलावा दिन में भी 1-2 घंटे का आराम आवश्यक है। ये आपके और आपके बच्चे के लिए बहुत फ़ायदेमंद है। नींद पूरी होने पर आप स्वस्थ रहेंगी और तरोताज़ा महसूस करेंगी।

6. सैर और व्यायाम – गर्भावस्था में स्वस्थ व चुस्त रहने के लिए व्यायाम अतिआवश्यक होता है। सुबह शाम सैर ज़रूर करें, हल्के फुल्के योगासन व प्राणायाम करें।pregnancy-122

7. भारी काम ना करें – गर्भावस्था में हल्के फुल्के काम करते रहना चाहिए, शरीर व शिशु दोनों ही तंदरुस्त रहते हैं। निष्क्रिय रहने से बेवजह वज़न बढ़ता है और आलस आता है। परंतु भारी काम करने से बचें, वज़न ना उठाएँ, ज़्यादा झुकने वाले काम ना करें।

8. तनाव से बचें – तनाव किसी के लिए भी सही नहीं होता है। और अगर आप गर्भवती हैं तो आप को तनाव से एकदम दूर रहना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा खुश रहने का प्रयास करें। तनाव में रहना आपके व आपके शिशु के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं है। आप चाहे तो मैडिटेशन का सहारा भी ले सकती है। इससे आप तनाव से तो दूर रहेंगी ही, साथ में सकारात्मक ऊर्जा भी अपने अंदर महसूस करेंगी।

9. नशीले पदार्थों से दूर रहें – गर्भावस्था के दौरान सिगरेट व शराब जैसे पदार्थों का सेवन न करें। नशीले पदार्थों से ना सिर्फ़ आपकी सेहत पर बल्कि आपके शिशु की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है।

पोषक तत्व भी है जरुरी :- 

इसके अलावा डॉक्टर द्वारा लिखी दवाइयों का नियमित सेवन करना भी आवश्यक होता है। यूँ तो फल, सब्ज़ियों और अनाज इत्यादि में सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, फिर भी तत्वों की आपूर्ति हमें बाहर से करनी पड़ती है। जैसे –

Folic acid – गर्भवती महिलाओं को शुरू के तीन महीने तक folic acid की गोली लेना बहुत आवश्यक होता है। folic acid से बच्चे के मस्तिष्क का विकास सही तरीक़े से होता है। गर्भावस्था के दौरान कम से कम 180 गोलियाँ लेनी ज़रूरी होती हैं।

Calcium – डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को calcium की आपूर्ति के लिए calcium की गोली लेने की सलाह देते हैं। इसके अलावा दूध औत दूध से बने उत्पादों को भी ग्रहण करना चाहिए, इनमे calcium होता है। calcium आपके शिशु की मज़बूत हड्डियों के लिए ज़रूरी होता है।

Iron – गर्भवती महिलाओं में ख़ून की कमी ना हो, इसलिए उन्हें iron की गोली लेने की सलाह दी जाती है। ख़ून  कमी होने से माँ व शिशु दोनों की जान को ख़तरा हो सकता है।

विटामिन – गर्भवती महिलाओं को फल, सब्ज़ियों का भरपूर सेवन करना चाहिए। इनसे शरीर को ज़रूरत पड़ने वाले विटामिन की आपूर्ति होती है। इसके अलावा डॉक्टर आपको कोई विटामिन अतिरिक्त लेने की भी सलाह दे सकते हैं। ये आपकी सेहत पर निर्भर करता है।

प्रोटीन – गर्भावस्था में प्रोटीन से भरपूर भोजन का सेवन करें। ये आपके शिशु के विकास के लिए आवश्यक है। दूध, दही, पनीर, मूँगफली, अंकुरित दालें खाएँ।

पानी – अधिकाधिक पानी पिएँ। स्वस्थ रहने के लिए पानी ज़्यादा पीना चाहिए। गर्भावस्था में अपने साथ साथ आपको अपने गर्भ में पल रहे शिशु का भी ध्यान रखना होता है। इसलिए पानी अधिक पिएँ।

अन्य ध्यान रखने योग्य बातें –

  • समय समय पर डॉक्टर से अपनी जाँच करवाती रहें। शुरू के 6-7 महीने तक महीने में एक बार जाँच करवाना ज़रूरी होता है। उसके बाद हर 15 दिन में जाँच करवाएँ। नौवाँ महीना शुरू होने के बाद हर हफ़्ते जाँच करवानी चाहिए।
  • गर्भावस्था के दौरान दो tetanus के टीके लगने भी अतिआवश्यक होते हैं।
  • प्रेगनेंसी के दौरान दो या तीन अल्ट्रासाउंड करवाने भी ज़रूरी होते हैं, ताकि पता चलता रहे कि बच्चे का विकास ठीक से हो रहा है या नहीं।
  • गर्भावस्था में ज़्यादा भाग दौड़ ना करें। चलती फिरती रहें, मगर ध्यान से। ज़्यादा तेज़ ना चलें।
  • तनाव ना लें। गर्भावस्था में प्रसन्न रहना आपकी व आपके शिशु की सेहत के लिए फ़ायदेमंद है।
  • साफ़ पानी पिएँ। कहीं बाहर जा रही हैं तो अपने साथ साफ़ पानी बोतल में डाल कर ले जाएँ।
  • बिना धोए कोई भी फल ना खाएँ। फलों को पकाने के लिए या फिर सड़ने से बचाने के लिए उनपर रसायनों का छिड़काव किया जाता है।
  • ये रसायन आपकी सेहत के लिए हानिकारक होते हैं। इसलिए फल हमेशा धो कर ही खाएँ।
  • ज़्यादा देर से काट कर रखे हुए फल ना खाएँ – फल या फिर सलाद खाते वक़्त ही काटें। पहले से काटकर रखे हुए फल व सलाद ना खाएँ।
  • सूती व ढीले वस्त्र पहने। सिन्थेटिक व तंग कपड़ों में आपको घबराहट महसूस हो सकती है। इसलिए सूती व ढीले वस्त्रों को प्राथमिकता दें।इस सब बातों का ख़्याल रखें और आने वाले शिशु के स्वागत की तैयारी करिए। माँ बनने के बाद दुनिया पूरी तरह बदल जाती है। आपकी हर ख़ुशी शिशु के इर्द गिर्द ही घूमती है। अपनी गर्भावस्था का आनंद लें व आने वाले दिनों के हसीन सपने देखें।
    😊Happy Motherhood 😊

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