पेट में जुड़वाँ बच्चे है? ऐसे रखें ध्यान

पेट में जुड़वाँ बच्चे है? ऐसे रखें ध्यान:-

प्रेगनेंसी में महिला को अपना खास ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि उस समय एक नन्ही सी जान उसके गर्भ में पल रही होती है, और उसके साथ महिला में भी बहुत से शारीरिक बदलाव आते है, जो महिला के लिए नए अनुभव होते है, इसके कारण महिला को बहुत परेशानी भी हो सकती है, परंतु महिला को इन बदलाव से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उस मेहमान के बारे में सोचना चाहिए, परंतु ऐसी बहुत सी सावधानियां भी होती है, जो महिला को प्रेगनेंसी के दौरान बरतनी चाहिए, जिससे की उसे प्रेगनेंसी के दौरान और बाद में किसी भी परेशानी का सामना न करना पढ़ें।

यदि गर्भ में एक शीशी होता है तो महिला को बहुत तकलीफ होती है, सोचिये यदि महिला के गर्भ में एक नहीं दो नन्ही जान हो, तो महिला के लिए जरुरी हो जाता है, की वो अपनी देखभाल का और भी ज्यादा ध्यान रखे, साथ ही क्या करना चाहिए, और क्या नहीं करना चाहिए, इसका खास ध्यान रखना चाहिए, और साथ ही अपने स्वास्थ्य संबंधी किसी भी परेशानी के होने पर देर नहीं करनी चाहिए, बल्कि तुरंत अपने डॉक्टर को जाकर दिखाना चाहिए, ताकि परेशानी ज्यादा न बढ़ें।

प्रेगनेंसी के दौरान महिला का वजन लगातार बढ़ता है, और यदि महिला के गर्भ में दो बच्चे है तो बच्चों के वजन का सीधा असर महिला के वजन पर भी पड़ता है, और महिला का वजन बढ़ने के साथ महिला को उतने बैठने में भी परेशानी होती है, साथ ही महिला को सीढिया चढ़ना, भारी वजन उठाना, झुककर काम करना, ज्यादा व्यायाम करना, ज्यादा देर तक एक ही जगह खड़े रहना या बैठे रहने में परेशानी अनुभव हो सकती है, इसके अलावा महिला को अपने योंन संबंधों को भी बिना डॉक्टर के परामर्श के नहीं करना चाहिए।

साथ ही कई महिलाएं तनाव में भी आ जाती है क्योंकि उन्हें उलटी सर दर्द चक्कर आदि जैसी समस्या होने लग जाती है, जिसके कारण उन्हें काफी कमजोरी का अहसास होने लगता है, इसीलिए महिलाओ को ध्यान रखना चाहिए, की वो अपना और अपने बच्चों का पूरा ध्यान रखें। तो आइये आज हम उन्ही महिलाओ के लिए कुछ टिप्स देने जा रहें है, जो जुड़वाँ बच्चों को जन्म देने वाली महिला के काम आ सकते है, और महिला को ऐसे में किसी भी तरह की लापरवाही न करते हुए समय समय पर अपनी जाँच करवानी चाहिए।

पेट में जुड़वा बच्चे है ऐसे रखें ध्यान इसके लिए टिप्स:-

भारी वजन न उठायें:-

जुड़वाँ बच्चों के होने से महिला का वजन बढ़ने के साथ शुरूआती दिनों में भी महिला को बहुत सी सावधानियां बरतनी पड़ती है, जैसे की महिला के लिए जरुरी है की वो भारी वजन उठाने से परहेज रखें, क्योंकि भारी वजन उठाने से आपके पेट पर दबाव पड़ता है, जिसके कारण महिलाओ का गर्भाशय में दर्द व् काई बार बच्चों के नीचे आने की सम्भावना भी बढ़ जाती है, जिससे महिला को कई बार ब्लीडिंग जैसी परेशानी भी शुरू हो जाती है, इससे बचने के लिए जरुरी है की आप भारी वजन उठाने से परहेज रखें।

आहार का ध्यान रखें:-

खान पान का ध्यान रखना गर्भावस्था में बहुत जरुरी होता है, क्योंकि महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास भी महिला के द्वारा लिए गए मिनरल्स की मदद से ही होता है, बच्चे का विकास सही ढंग से हो, और साथ ही बच्चे के अंदर सभी मिनरल्स भी पुरे ढंग से पहुच कर उसके विकास योगदान करें और साथ ही महिला का स्वास्थ्य भी ठीक रहें क्योंकि खा जाता है की स्वस्थ माँ के गर्भ में स्वस्थ बच्चा निवास करता है, इसीलिए महिला को अपने बच्चे और अपने स्वास्थ्य के लिए संतुलित, पोष्टिक, व् सभी मिनरल्स से भरपूर आहार लेना चाहिए।

पेट के भार कोई काम न करे:-

महिला को पुरे नौ महीने ध्यान रखना चाहिए की वो ऐसा कोई भी काम न करें जिससे की उसके पेट पर किसी भी तरह का दबाव पढ़ें, क्योंकि जुड़वाँ बच्चों के कारण पेट पर दबाव पड़ने से ज्यादा परेशानी हो सकती है, इसके अलावा महिला को पैरो के भार भी ज्यादा देर तक नहीं बैठना चाहिए, क्योंकि इससे पेट में खिंचाव होता है, साथ ही महिला के लिए जरुरी है की वो झुककर भी कोई काम न करें, ऐसा करने से बाद में उसे परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, इसीलिए आपको पेट के भार कोई भी काम नहीं करना चाहिए। इसके अलावा महिला को ज्यादा सीढ़िया चढ़ने से भी परहेज रखना चाहिए।

डॉक्टर से लगातार करवाएं जाँच:-

महिला के गर्भ में यदि दो बच्चे होते है वैसे तो ज्यादा ये सिजेरियन की मदद से ही जन्म लेटे है, परंतु कुछ नार्मल भी हो जाते है, ऐसे में आपको बच्चो की स्थिति को जानने के लिए समय समय पर डॉक्टर से जाँच करवानी चाहिए, क्योंकि ऐसे में कॉम्पिलिकेशन्स ज्यादा होती है, इसके अलावा महिला के पेट दर्द, ब्लीडिंग या ज्यादा उलटी होने की समस्या को भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसके कारण आपको ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, इसके अलावा महिला को खान पान से तो परहेज रखना ही नहीं चाहिए क्योंकि ऐसे में आपको कमजोरी होने के कारण बच्चे की डिलीवरी समय से पहले होने की आशंका भी लगातार बनी रहती है।

डेरी उत्पाद का सेवन जरूर करें:-

महिलाओ को जो की जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली होती है, उसके लिए अपने शरीर को सशक्त रखना बहुत जरुरी होता है, इसके लिए जरुरी होता है की आप ज्यादा मात्रा में कैल्शियम व् प्रोटीन का सेवन करें, जिससे बच्चो की हड्डियों को भी मजबूती मिले, इसके लिए आपको दूध, पनीर जैसे डेरी उत्पाद का सेवन जरूर करना चाहिए, और इसके सेवन से महिला की फुर्ती भी बनी रहती है, और साथ में महिला को कमजोरी का अहसास भी नहीं होता है, और जो महिलाएं ज्यादा दूध का सेवन करती है, उनमे ज्यादा सहमत होती है, की वो जुड़वा बच्चों को जन्म दे सकें।

सेक्स करने में रखें परहेज:-

पेट में एक बच्चे के होने पर आपको डॉक्टर सेक्स की सलाह नहीं देते है, तो सोचिये ऐसे में यदि आपके पेट में जुड़वा बच्चे है तो कैसे होगा, इसके लिए जरुरी है की आप पुरे नौ महीने जितना हो सकें उतना सेक्स से परहेज रखें, क्योंकि सेक्स करने से गर्भाशय से टकराव होने का खतरा रहता है, साथ ही दो बच्चोंके होने के कारण गर्भाशय की थैली बड़ी भी हो जाती है, इसीलिए हो सकें तो सेक्स करने से पहले आपको डॉक्टर की राय जरूर लेनी चाहिए, और साथ ही जरुरी है की आप डॉक्टर के कहे अनुसार ही चले ताकि बच्चे और माँ के स्वास्थ्य पर कोई भी बुरा असर न पढ़ें।

जुड़वाँ बच्चों के गर्भ में होने पर ध्यान देने योग्य अन्य बातें:-

  • महिला को सीढ़िया नहीं चढ़नी चाहिए, और यदि चढ़े भी तो उसमे ज्यादा तेजी नहीं बरतनी चाहिए, आराम से चढ़ना चाहिए।
  • महिला को चलने पर यदि थकान का अनुभव हो तो आराम करना चाहिए, क्योंकि सांस फूलने से महिला पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
  • महिला को पैरो के भार भी ज्यादा देर तक नहीं बैठना चाहिए।
  • पेट के ऊपरी हिस्से में यदि दर्द ज्यादा हो तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
  • ज्यादा सर दर्द, धुंधला दिखना, चक्र आदि की परेशानी हो तो भी डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
  • ज्यादा उलटी आने को भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे पेट पर दबाव पड़ता है, और साथ ही कमजोरी भी आती है, इसीलिए डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए।
  • महिला को पेट के भार सोना भी नहीं चाहिए।
  • एक ही जगह पर ज्यादा देर तक लेटे भी नहीं रहना चाहिए, थोड़े समय बाद करवट लेनी चाहिए जिससे की आपको शिशु के हिलने का आभास हो सकें, क्योंकि पांचवे महीने में शिशु हिलने लग जाता है।
  • महिला को समय पर चेक अप्स और अल्ट्रासॉउन्ड करवाना चाहिए।
  • खान पान में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
  • और साथ ही महिला को नींद भी भरपूर मात्रा में लेना चाहिए।
  • ज्यादा थकान वाला कोई भी काम नहीं करना चाहिए।
  • पानी का सेवन भरपूर मात्रा में करना चाहिए।
  • ऐसा आहार लेना चाहिए जिसमे सभी खनिज उचित मात्रा में विद्यामान हो।
  • महिला को चाहिए की कभी उसे समस्या हो तो बिना देर किये तुरंत डॉक्टर के पास जाकर अपना चेक अप करवाना चाहिए।

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