लोधी गार्डन दिल्ली, Lodhi Garden Delhi India

लोधी गार्डन भारत की नई दिल्ली में स्थित एक पार्क है। इस गार्डन का क्षेत्रफल 90 एकड़ है जिसमे मोहम्मद शाह का मकबरा, सिकंदर लोदी का मक़बरा, शीश गुंबद और बारा गुंबद जैसी प्राचीन स्मारके मौजूद है। लोधी गार्डन में लोधियों द्वारा 15वीं सदी की वास्तुकला का काम किया गया है, लोधी वे थे जिन्होंने उत्तरी भारत और पंजाब के कुछ हिस्सों पर और पाकिस्तान के नवीन युग के खैबर पख्तूनख्वा पर वर्ष 1451 से 1526 तक शासन किया था। अब इस स्थान को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षण प्राप्त है। ये गार्डन दिल्ली की खान मार्किट और सफदरजंग मकबरे के मध्य स्थित है और ये दिल्लीवासियों की मॉर्निंग वाक का हॉटस्पॉट भी है ।
लोधी गार्डन का नाम पहले लेडी विलिंगटन पार्क हुआ करता था लेकिन अब इसका नाम लोधी गार्डन रख दिया गया है। ये दिल्ली शहर के दक्षिणी मध्य इलाके में बना हुआ एक सुन्दर उद्यान है। यह उद्यान सफदरजंग मकबरे से मात्र 1 km. की दुरी पर स्थित है। यहाँ मौजूद खूबसूरत फब्बारे, तालाब, फूल और जॉगिंग ट्रैक सभी उम्र के लोगो के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए है। मूल रूप से लोधी गार्डन एक गांव था जिसके इर्द गिर्द 15वीं एवं 16वीं सदी के सैय्यद और लोदी वंश की स्मारके बनी हुई थी। सं 1936 में अंग्रेजो ने इस गांव को दुबारा बसाया। यहाँ एक नेशनल बोंजाई पार्क भी स्थित है जहा बोजाई का अच्छा संग्रह है।
इस गार्डन में पेड़ो की भिन्न प्रजातियां, रोज गार्डन व् ग्रीन हाउस भी है जहा पौधों को रखा जाता है। पुरे वर्ष इस गार्डेन में भिन्न भिन्न तरह के पक्षी देखने को मिलते है। बगीचे के बीचो बीच एक मक़बरा है जिसका नाम बड़ा गुबंद है, इस मकबरे के पीछे एक मस्जिद है जिसका निर्माण सन 1494 में किया गया था। सर्दियों के मौसम में यहाँ बड़ी संख्या में लोग आते है। गार्डन में मौजूद स्मारकों के लिए भारतीय इस्पात प्राधिकरण द्वारा संरक्षण हेतु राशि उपलब्ध करायी गयी है। जिसके तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा इंटैक को लोधी गार्डन में स्थित राष्ट्रीय स्मारकों को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है।
इतिहास :
मोहम्मद शाह के मक़बरा, सैयद वंश के शासकों का अंत था, इस गार्डन में बना मक़बरा अला-उद-दीन आलम शाह द्वारा मोहम्मद शाह के लिए एक श्रद्धांजलि थी जिसे उन्होंने सन 1444 में बनवाया था। इन दोनी ही अवधियों की वास्तुकला के केवल कुछ अंश ही भारत में बचे है, लोधी गार्डन इनके संरक्षण के लिए एक सुरक्षित व् महत्वपूर्ण स्थान था। गार्डन में मौजूद मोहम्मद शाह का मक़बरा रोड से भी दिखाई देता है और ये इस गार्डन में सबसे जल्द बनी संरचना है। अष्टकोणीय कक्ष की वास्तुकला में छत पार बने पत्थर के छज्जे और किनारो पर बने गुलदस्ते शामिल है।
गार्डन में एक अन्य मक़बरा सिकंदर लोधी का भी है, जो कुछ हद तक मोहम्मद शाह के मकबरे के सामान ही है, परन्तु उसमे छतरिया नहीं है। सिकंदर लोधी का मक़बरा इब्राहिम लोदी द्वारा सन 1517 में बनवाया गया था, इब्राहिम लोदी दिल्ली के लोधी वंशो के अंतिम सुल्तान थे। सन 1526 की पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी बाबर से पराजित हुए जिसके पश्चात मुग़ल राज्य की स्थापना हुई। प्रायः गलती से शीश गुबंद को उनका मक़बरा समझा जाता है लेकिन वास्तव में उनका मक़बरा पानीपत के तहसील कार्यालय, सूफी संत बू अली शाह कलंदर की दरगाह के पास स्थित है। यह एक ऊंची चबूतरे पर बनी साधारण आयताकार संरचना है जिसपर कुछ पैड़िया चढ़कर जाया जाता है। इस मकबरे का विनिर्माण ब्रिटिश द्वारा कराया गया था और इसकी शिलालेख पर उल्लेख किया गया है की इब्राहिम लोधी मुग़ल बादशाह बाबर द्वारा पराजित हुए थे और इसका विनिर्माण सन 1866 में किया गया था। अकबर के शासन काल के दौरान इस विशाल गार्डन का प्रयोग एक वेधशाला और पुस्तकालय में रिकॉर्ड रखने के लिए किया जाता था।
15वीं सदी के सैयद और लोदी राजवंशों के बाद, इन दो गांवो के आस पास स्मारकों की वृद्धि हुई, परन्तु 1936 में इस उद्यान को बनाने के आदेश के कारण ग्रामीणो को यहाँ से स्थानांतरित किया गया। ब्रिटिश राज के दौरान, इसे लेडी विलिंगडन के लिए आरक्षित कर दिया गया था, लेडी विलिंगडन भारत के गवर्नर जनरल की पत्नी थी और बाद में इसका नाम ‘लेडी विलिंगडन पार्क’ रख दिया गया जिसका उद्घाटन 9 अप्रैल 1936, को किया गया था और सन 1947 में स्वतंत्रता के बाद इसे लोधी गार्डन नाम दे दिया गया।
वास्तुकला :
बगीचे के बीच में एक बड़ा गुबंद है, जिसका निर्माण पत्थर के बड़े टुकड़ो द्वारा किया गया है। यह एक मक़बरा नहीं है बल्कि तीन गुबंद वाले मस्जिद से जुड़ा एक प्रवेश द्वार है जिन्हे सन 1494 में सिकंदर लोदी के शासनकाल के दौरान बनवाया गया था। इसके आस पास एक केंद्रीय आंगन है जहां पानी की टंकी के कुछ अवशेष देखे जा सकते है। बड़े गुबंद के ठीक सामने शीश गुबंद है, जिसका निर्माण करने के लिए घुटे हुए टाइल्स का इस्तेमाल किया गया है जिसको किसी अज्ञात परिवार द्वारा सिकंदर लोदी के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। इस गार्डन में नदी के कुछ अवशेष है जो सिकंदर लोधी के मकबरे को यमुना नदी से जोड़ते है। इस मकबरे की मुँडेरे अभी भी मौजूद है। सिकंदर के मकबरे के पास एक अठपुला सेतु है, जो दिल्ली का अंतिम भवन है। इस सेतु का निर्माण मुग़ल बादशाह अकबर के शासनकाल के दौरान करवाया गया था, इसमें सात मेहराब है, जो पर्यटकों के बीच सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र बने हुए है।
मोहम्मद शाह का मक़बरा, सैयद वंश के शासन का अंत था, ये इस गार्डन में सबसे जल्दी बने मकबरों में से है जिसे सन 1444 में अला-उद-दीन आलम शाह द्वारा मोहम्मद शाह की श्रद्धांजलि के रूप में बनाया गया था। इस मकबरे को अष्टकोणीय आकार में बनाया गया है, जिसके केंद्रीय गुबंद के चारों ओर हिंदू शैली की कई सजावटी छतरिया, कई मेहराब, वरामदे और तिरछी टेक है। मकबरे के प्रत्येक कोने में बुर्ज मौजूद है। यहाँ के मुख्य मकबरे को एक 16-sided ड्रम द्वारा समर्थित किया गया है। ये एक चपटे आकार का है जिसके चारो ओर छतरिया मौजूद है, जो इसके बड़े आकर के आधार की तुलना में छोटी दिखाई देती है। यह हिंदू ओर इस्लामिक वास्तुकला के मिश्रण का एक अच्छा उदाहरण है। हिंदू वास्तुकला में आठ छतरिया है, प्रत्येक के ऊपर कमल कलश से छाया की गयी है ओर इसके आधार के चारो ओर सजावटी पट्टा बना हुआ है ; प्रत्येक कोने में गुलदस्ते ओर छज्जे शामिल है।
अन्य विशिष्टताएं :
1. मोहम्मद शाह का मकबरा : मोहम्मद शाह सैयद वंश के तीसरे शासक थे। जिन्होंने सन 1434-44 तक शासन किया था। इन्ही के शासन काल के दौरान सरहिंद के अफगान सूबेदार बहलोल लोधी ने पंजाब के बाहर अपने प्रभाव को बढाकर स्वतंत्र कर लिया था। इसी दौरान मोहम्मद शाह के पुत्र अलाउद्दीन आलम शाह दिल्ली के शासन का भार अपने एक साले ओर शहर पुलिस अधीक्षक का भार दूसरे साले पर छोड़कर बदायूं चले गए। उसके बाद ही बहलोल लोधी ने सन 1451 में सिंहासन पर कब्ज़ा कर लिया।
2. सिकंदर लोधी का मकबरा : बहलूल खान लोधी के शासन के दौरान उनके राज्य में कई विद्रोही ताकतवर होने लगे थे। जिसके कारण उनके उत्तराधिकारी सिकंदर लोधी(1487-1517) का अधिकांश समय जौनपुर के प्रांतीय शासक और अन्य सरदारों को दबाने में व्यतीत हो गया। सिकंदर लोधी का मक़बरा इब्राहिम लोदी द्वारा सन 1517 में बनवाया गया था
3. बड़ा गुम्बद : मोहम्मद शाह के मकबरे से ठीक 300 मीटर की दुरी पर ये मक़बरा स्थित है। इस मकबरे में जिसको दफ़न किया गया था उनकी पहचान नहीं हो पायी है। परन्तु इतना जरूर स्पष्ट है की वह सिकंदर लोधी के शासन काल में कोई उच्च पदाधिकारी थे।
4. शीश गुम्बद : वास्तुकला की ओर धयान दे तो इसमें दो मंजिला ईमारत की आकृति दिखाई पड़ती है। इसके भीतर कई कब्रे है, जिनके बारे में इतिहास में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है। परन्तु ऐसा कहा जाता है की इसे भी सिकंदर लोधी के शासन काल में बनवाया गया था।
5. अठपुला : सिकंदर लोधी के मकबरे से पूर्व कुछ दुरी पर एक सात मेहराबों वाला एक सेतु है जिसे नाल पर बनाया गया है। इसके बीच के मेहराब का फैलाव सबसे अधिक है। इस पुल में आठ खंबे है, जिसे मुग़ल शासन काल के दौरान बनवाया गया था। इस पुल का निर्माण मुग़ल बादशाह अकबर के शासन काल (1556-1605) के दौरान नवाब बहादुर ने करवाया था।
महत्वपूर्ण जानकारी :
लोधी गार्डन में हफ्ते के किसी भी दिन प्रवेश किया जा सकता है। लोधी गार्डन में आप सुबह 6am बजे से शाम 7pm बजे तक जा सकते है। गार्डन में प्रवेश करने के लिए किसी भी प्रकार के शुल्क नहीं देना होता है। लोधी गार्डन परिसर में आप फोटोग्राफी भी कर सकते है।
Title : Lodhi Garden Delhi India