कितनी मुश्किल होती है डिलीवरी के समय

प्रेग्नेंट महिला क्या सोचती है डिलीवरी को लेकर

प्रेगनेंसी के पूरे नौ महीने महिला के लिए उतार चढ़ाव से भरे होने के साथ नयी भावनाओं नए उत्साह से भी भरे होते हैं। क्योंकि गर्भ में शिशु को लेकर महिला नए नए सपने संजोती है, और बेसब्री से अपने घर में आने वाले मेहमान के बारे में सोचती है। लेकिन जैसे जैसे डिलीवरी का समय पास आता है वैसे वैसे महिला के मन में तरह तरह के सवाल आ सकते हैं। जैसे की महिला की डिलीवरी नोर्मल होगी या सिजेरियन, डिलीवरी के दौरान ज्यादा दर्द तो नहीं होगा, जन्म के समय शिशु को किसी तरह की परेशान तो नहीं होगी, प्रसव होने वाला है इसका पता कैसे चलेगा, आदि। खासकर जो महिलाएं पहली बार माँ बन रही होती है उन्हें यह सवाल ज्यादा परेशान कर सकते हैं।

कुछ महिलाएं तो इस दौरान तावान में भी आ जाती है, लेकिन तनाव से महिला की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ सकती है। ऐसे में हर गर्भवती महिला को अपने स्वास्थ्य का बेहतर तरीके से ध्यान रखने की कोशिश करनी चाहिए ताकि महिला और शिशु दोनों को स्वस्थ रहने में मदद मिल सके। डिलीवरी को लेकर हर महिला की सोच भी अलग अलग हो सकती है, जैसे की कुछ महिलाएं नार्मल डिलीवरी को बेहतर मानती है, तो कुछ महिलाएं सिजेरियन डिलीवरी द्वारा अपने शिशु को जन्म देने को सही मानती हैं। लेकिन आपके सोचने से कुछ भी नहीं होता है क्योंकि डिलीवरी किस तरह से होगी इसके बारे में सही समय पर ही डॉक्टर द्वारा आपको बताया जाता है। लेकिन यदि महिलाएं अपने आप ही सिजेरियन द्वारा शिशु को जन्म देना चाहती है तो वो भी ऐसा कर सकती है।

नोर्मल डिलीवरी

सामान्य प्रसव को बहुत सी महिलाएं बेहतर मानती है क्योंकि इस दौरान एक बार दर्द द्वारा शिशु का जन्म तो होता है लेकिन प्रसव के बाद बहुत जल्दी महिला को फिट होने में भी मदद मिलती है। साथ ही इस दौरान जन्म के समय शिशु के स्वस्थ होने के चांस ज्यादा होते हैं। सामान्य प्रसव में भी महिला को टाँके आ सकते हैं, लेकिन फिर भी नोर्मल डिलीवरी में महिला को दिक्क़तें डिलीवरी के बाद कम ही होती है। लेकिन कुछ महिलाएं नोर्मल डिलीवरी में होने वाले दर्द को लेकर घबरा भी जाती है इसीलिए नोर्मल डिलीवरी द्वारा वह शिशु को जन्म नहीं देना चाहती हैं, लेकिन सच तो यह हैं की डॉक्टर्स भी नोर्मल डिलीवरी को ही शिशु को जन्म देने के लिए बेहतर विकल्प मानते हैं। लेकिन इस डिलीवरी में महिला को दर्द बहुत अधिक होता है, जो असहनीय होता है।

सिजेरियन डिलीवरी

प्रेगनेंसी के दौरान किसी तरह की कॉम्प्लीकेशन्स हो, प्रेग्नेंट महिला के गर्भ में एक से ज्यादा शिशु हो, गर्भ में शिशु को किसी तरह की दिक्कत हो, गर्भ में शिशु मल कर दे, महिला सिजेरियन डिलीवरी चाहती हो, आदि ऐसी कुछ स्थिति के होने पार ही डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी के लिए बोल सकते हैं। साथ ही सिजेरियन डिलीवरी के दौरान तो महिला को किसी तरह की दिक्कत नहीं होती है। लेकिन सिजेरियन डिलीवरी के बाद महिला को फिट होने में ज्यादा समय लग सकता है। साथ ही ऐसा भी माना जाता है की सिजेरियन डिलीवरी द्वारा जन्म लेने वाले बच्चों को इन्फेक्शन आदि होने का खतरा भी अधिक होता है।

प्रसव के संकेत

एक ही दम से आपको प्रसव हो जाये ऐसा भी नहीं होता है बल्कि प्रसव से पहले आपकी बॉडी कुछ संकेत देती है। जिससे आपको पता चलता है की अब शिशु के जन्म होने का समय करीब आ गया है। और यह लक्षण कुछ परेशानियों के रूप में बॉडी में महसूस हो सकते हैं। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की डिलीवरी से पहले बॉडी क्या संकेत देती है।

  • पेट में दर्द का अहसास होना, यह दर्द कभी अधिक तो कभी कम हो सकता है या कभी रुक रुक कर इसका अहसास होता है।
  • पेट के निचले हिस्से, पीठ व् कमर की मांससपेशियों में खिंचाव का अनुभव अधिक होना।
  • पेट के निचले हिस्से में भार का अधिक अनुभव होना।
  • उल्टियों की समस्या का अधिक बढ़ना।
  • बार बार यूरिन पास करने की इच्छा होना।
  • एमनियोटिक बैग के फटने के कारण यूरिन की तरह गाढ़े चिपचिपे पदार्थ का बाहर निकलना।
  • मूड स्विंग्स की समस्या बढ़ना।

तो यह हैं डिलीवरी के दौरान महिला को कैसा महसूस होता है और कौन सी परेशानियां होती है उससे जुडी कुछ जानकारी। ऐसे में पहली बार माँ बनने वाली महिला को प्रसव को लेकर कोई दिक्कत न हो इसके लिए महिला को प्रसव से जुडी सारी जानकारी को इक्क्ठा करना चाहिए। इसके अलावा प्रसव का समय पास आने पर डॉक्टर से भी राय लेते रहना चाहिए।

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