प्रेगनेंसी में ज्यादा या कम वजन होने से क्या दिक्क़ते आती है?

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गर्भावस्था में एक महिला को बहुत से शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरना पड़ता है। इस दौरान बहुत से हार्मोनल बदलाव भी होते है जिस कारण गर्भवती महिला का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। गर्भावस्था के दौरान सबसे बड़ा और साधारण बदलाव होता है महिला का वजन बढ़ना। पर गर्भवती महिला का वजन गर्भावस्था का सबसे अहम भी होता है। क्योंकि जरूरत से ज्यादा और कम दोनों ही तरह का वेट होने से नुक्सान होते है।

प्रेगनेंसी में आइडियल वेट कितना होना चाहिए?

आइये जानते है के एक नार्मल गर्भावस्था में एक महिला का कितना वेट बढ़ना चाहिए जिससे की उसकी प्रेगनेंसी में कोई परेशानी ना आये।

  • माना जाता है के एक नार्मल एंड हेल्दी प्रेगनेंसी के लिए एक महिला का 7 से 9 किलो वजन बढ़ना चाहिए।
  • यदि आपके गर्भ में जुड़वाँ बच्चे है तो नार्मल वेट 15 से 18 किलो तक बढ़ना चाहिए।
  • वैसे तो हर महिला की हर प्रेगनेंसी में अलग अलग वेट बढ़ता है।
  • क्योंकि वेट कितना बढ़ना चाहिए यह महिला की उम्र पर भी निर्भर करता है।
  • अच्छा रहता है अगर आप शुरुआत में ही अपने डॉक्टर से वेट के बारे में सलाह ले लें।

गर्भावस्था में ज्यादा वजन बढ़ने के नुकसान

यदि किसी महिला का प्रेगनेंसी में नार्मल से ज्यादा वेट बढ़ जाए तो यह वेट महिला और उसके बच्चे दोनों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। आइये जानते है गर्भावस्था में ज्यादा वजन के क्या क्या नुक्सान है।

गर्भपात:

  • अक्सर यह देखने में आया है जिन महिलाओं का वजन एकदम से जरूरत से ज्यादा बढ़ता है उन्हें हमेशा गर्भपात होने का डर रहता है।
  • एक रिसर्च में यह सामने आया है के गर्भपात का सबसे बड़ा कारण गर्भवती महिलाओं का ज्यादा वजन होता है।
  • गर्भावस्था में अधिक वेट से गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है।
  • ब्लड प्रेशर ज्यादा होने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।

एक्टिव:

  • अधिक मोटापा या वजन गर्भवती महिला को एक्टिव नहीं रहने देता है।
  • ओवरवेट का असर माँ के साथ साथ उसके बच्चे पर भी पड़ता है।
  • ज्यादा वजन से माँ के साथ साथ शिशु भी सुस्त हो जाता है।

शुगर:

  • प्रेगनेंसी में ज्यादा वेट के कारण शुगर भी हो जाती है।
  • अगर किसी को जेस्टेशनल डायबिटीज है तो टाइप II डायबिटीज होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
  • ऐसे में शिशु को भी शुगर होने का भय रहता है।

हार्ट:

  • गर्भावस्था में ज्यादा वजन से हार्ट की समस्याएं बढ़ जाती है।
  • ज्यादा वजन वाली महिलाओं को हार्ट से संबंधित बीमारियों का खतरा रहता है।

डिलीवरी:

  • गर्भवती महिला के ओवरवेट होने से नार्मल डिलीवरी करना पॉसिबल नहीं हो पाता।
  • ऐसे में सी सेक्शन या सीजेरियन डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है।

गर्भावस्था में ओवरवेट होने से महिला को बेड रेस्ट पर रहना पड़ता जिसके कारण बाद बहुत से समस्याएं आती है।

प्रेगनेंसी में कम वजन होने से नुकसान

जैसा की हम पहले भी बता चुके है के आइडियल वजन ही माँ और बच्चे के लिए सेहतमंद होता है। आइये जानते है के गर्भवती महिलाओं का कम वजन क्या क्या समस्याएं लाता है।

शिशु का वजन:

  • यदि गर्भवती महिला का वजन कम है तो शिशु का वजन भी कम ही होगा।
  • ज्यादातर ऐसी स्तिथि में बच्चों का वजन 2.5 kg या उससे भी कम होता है।
  • कम वजन से माँ और शिशु दोनों ही कमजोर रह जाते है।

कुपोषण:

  • शिशु का कम वजन होने से कुपोषण की समस्या हो जाती है।
  • पोषण की कमी के कारण बच्चे का विकास अच्छे से नहीं हो पाता।
  • कुपोषित होने से बच्चे की इम्युनिटी भी कमजोर रह जाती है।
  • जिस कारण शिशु जल्दी ही बिमारियों से ग्रस्त हो जाता है।

बीमारियां:

  • गर्भवती महिला का कम वजन के कारण बच्चे को कई तरह की बीमारियां भी हो सकती है।
  • बहुत ज्यादा कम वजन होने से शिशु में विकलांगता भी आ सकती है।
  • आगे चलकर बच्चे को हाइपरटेंशन और मोटापा भी हो सकता है।
  • कम वजन वाली गर्भवती महिला के शिशु को हृदय रोग भी होने का खतरा बढ़ जाता है।

डिलीवरी:

  • जिन प्रेग्नेंट महिलाओं का वजन बहुत कम होता है उनकी प्री मैच्योर डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है।
  • मतलब शिशु नौ महीने से पहले ही जन्म ले लेता है।
  • कई बार प्री मैच्योर शिशु को बचाना भी आसान नहीं होता।

तो आपने देखा गर्भावस्था में महिला का सहीं वजन होना कितना आवश्यक है।  इसके लिए जरुरी है के गर्भावस्था के दौरान समय समय पर आप अपना वजन चेक करते रहे और अपने डॉक्टर से सलाह लेते रहे।

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