छठे महीने में ही जानिए डिलीवरी नोर्मल होगी या नहीं

प्रेगनेंसी का छठा महीना प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही का आखिरी चरण होता है इस समय शिशु के अंगो का विकास तेजी से हो रहा होता है। साथ ही शिशु के वजन भी पहले की अपेक्षा तेजी से बढ़ता है और जैसे जैसे डिलीवरी का समय आगे बढ़ रहा होता है महिला के मन में केवल एक ही सवाल चल रहा है होता है की महिला की डिलीवरी नोर्मल होगी या सिजेरियन। अब यह तो गर्भवती महिला की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है की महिला यदि स्वस्थ है तो इससे नोर्मल डिलीवरी के चांस बढ़ जाते हैं, लेकिन यदि प्रेगनेंसी में किसी भी तरह की कॉम्प्लीकेशन्स होती है तो डिलीवरी सिजेरियन होने के चांस होते हैं। कुछ ऐसे केस भी होते हैं जहां सब कुछ नोर्मल होता है और ऐसा लगता है की महिला की डिलीवरी नोर्मल होगी।

लेकिन डिलीवरी के दौरान ऐसी कुछ दिक़्कतें आ जाती है जिससे महिला की डिलीवरी सिजेरियन करनी पड़ती है। ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान जितना महिला स्वस्थ रहती है अपना अच्छे से ध्यान रखती है, एक्टिव रहती है, तनाव नहीं लेती, शिशु के गर्भ में विकास का अच्छे से ध्यान रखती है तो इससे महिला की नोर्मल डिलीवरी होने के चांस बढ़ जाते हैं। और ऐसा नहीं है की नौवें महीने में ही महिला यह अंदाजा लगा सकती है की डिलीवरी नोर्मल होगी या नहीं, बल्कि इसका अंदाजा प्रेगनेंसी के छठे सातवें महीने में भी लगाया जा सकता है। साथ ही डॉक्टर्स भी आपकी शारीरिक स्थिति को जानने के बाद आपको राय दें सकते हैं की आपकी डिलीवरी नोर्मल होगी या नहीं।

छठे महीने में यह लक्षण बढ़ाते हैं नोर्मल डिलीवरी के चांस

प्रेगनेंसी के छठे महीने में कुछ ऐसे लक्षण हैं जो यदि गर्भवती महिला को महसूस हो, तो वो लक्षण यह बताते हैं की महिला की डिलीवरी नोर्मल होगी या नहीं। तो आइये अब जानते हैं की ऐसे कौन से लक्षण हैं जो छठे महीने में ही बताने में मदद करते हैं की महिला की डिलीवरी नोर्मल होगी या नहीं।

प्रेगनेंसी में कॉम्प्लीकेशन्स

गर्भावस्था के दौरान छोटी छोटी शारीरिक परेशानियों का होना आम बात होती है। और इसका कारण बॉडी में होने वाले हार्मोनल बदलाव हो सकते हैं। लेकिन यदि गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी में कोई बड़ी दिक्कत नहीं हैं, यानी की गर्भवती महिला या शिशु की सेहत को लेकर किसी भी तरह की कम्प्लीकेशन नहीं है। और गर्भवती महिला प्रेगनेंसी की पहली तिमाही के साथ दूसरी तिमाही में भी किसी भी तरह की कम्प्लीकेशन से परेशान नहीं होती है तो इससे प्रेगनेंसी के छठे महीने में अंदाजा लगाया जा सकता है की महिला की डिलीवरी नोर्मल होने के चांस अधिक हैं।

खून की कमी

बहुत सी गर्भवती महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान खून की कमी की समस्या से परेशान रहती है। और प्रेगनेंसी के दौरान महिला के साथ शिशु के विकास के लिए भी महिला के शरीर में खून का पूरा होना जरुरी होता है। इसीलिए गर्भवती महिला को डॉक्टर आयरन की दवाई देने के साथ आयरन को अपनी डाइट में भरपूर मात्रा में शामिल करने की सलाह भी देते हैं। और यदि गर्भवती महिला के शरीर में खून की मात्रा पर्याप्त होती है तो इससे महिला और शिशु को स्वस्थ रहने के साथ डिलीवरी के दौरान आने वाली दिक्कतों को कम करने में मदद मिलती है। ऐसे में गर्भवती महिला को खून से सम्बंधित किसी भी समस्या का न होना भी नोर्मल डिलीवरी का ही लक्षण होता है।

गर्भ में शिशु की हलचल

गर्भ में शिशु की हलचल गर्भवती महिला के लिए प्रेगनेंसी का सबसे बेहतरीन अहसास होता है। और गर्भ में यदि शिशु बेहतर तरीके से हलचल करता है, तो इससे डिलीवरी के लिए शिशु को अपनी सही पोजीशन में आने में मदद मिलती है। ऐसे में गर्भ में शिशु की हलचल का बेहतर तरीके से होना ही नोर्मल डिलीवरी का एक लक्षण होता है।

शिशु का स्वस्थ होना

अल्ट्रासॉउन्ड के माध्यम से आपको शिशु के अंगो के विकास, शिशु के वजन, सभी के बारे में पूरी जानकारी मिल जाती है। और यदि आपको ऐसा पता चलता है की शिशु का विकास सही तरीके से हो रहा है, और शिशु स्वस्थ है तो शिशु का स्वस्थ होना भी नोर्मल डिलीवरी होने का ही एक लक्षण होता है।

शिशु का भार

प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में महिला का पेट बाहर दिखना शुरू हो जाता है ऐसे में यदि आपको ऐसा महसूस हो की शिशु का भार थोड़ा नीचे की तरफ अधिक है। तो यह भी नोर्मल डिलीवरी का ही एक लक्षण होता है।

महिला का एक्टिव रहना

गर्भवती महिला यदि अपने स्वास्थ्य का अच्छे से ध्यान रखती है, वजन को जरुरत से ज्यादा बढ़ने नहीं देती, और वजन कम भी नहीं होने देती, सैर करती है, मानसिक रूप से स्वस्थ रहती है, हल्का फुल्का व्यायाम करती है, तो इससे बॉडी में ब्लड फ्लो बेहतर होने के साथ महिला को स्वस्थ रहने और शिशु के बेहतर विकास में मदद मिलती है। ऐसे में यदि गर्भवती महिला प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में भी एक्टिव रहती है तो यह भी नोर्मल डिलीवरी का ही लक्षण होता है।

तो यह हैं कुछ टिप्स जो यदि गर्भवती महिला को महसूस हो तो इनसे नोर्मल डिलीवरी होने के चांस बढ़ जाते हैं। और साथ ही महिला को अपने स्वास्थ्य का बेहतर तरीके से ध्यान प्रेगनेंसी के दौरान रखना चाहिए ताकि गर्भवती महिला को स्वस्थ रहने और शिशु के बेहतर विकास में मदद मिल सके। क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान महिला का स्वस्थ रहना नोर्मल डिलीवरी के चांस को बढ़ाने में मदद करता है।

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