गर्भवती महिला को घर का काम कब नहीं करना चाहिए

प्रेगनेंसी में घर का काम

गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के दौरान भरपूर आराम की सलाह दी जाती है, लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं होता है की प्रेग्नेंट महिला किसी काम को न करे। बल्कि थोड़ा बहुत काम गर्भवती महिला को करना चाहिए ताकि शरीर एक्टिव रहे। क्योंकि एक्टिव रहने से बॉडी में भरपूर एनर्जी बनी रहती है, जिससे महिला को शारीरिक परेशानियों से व् अपने आप को थोड़ा व्यस्त रखकर मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। लेकिन कई बार महिला की प्रेगनेंसी में कॉम्प्लीकेशन्स होती है, गर्भ में शिशु की पोजीशन सही नहीं होती है, अन्य और भी कई कारण होते हैं जब गर्भवती महिला को घर के किसी भी काम को न करने की सलाह दी जाती है।

प्रेग्नेंट महिला को कब घर का काम नहीं करना चाहिए

प्रेगनेंसी के दौरान ऐसी बहुत सी स्थितियां होती है जहां गर्भवती महिला को पुरे आराम की सलाह दी जाती है, और महिला को आराम करना भी चाहिए ताकि गर्भवती महिला को स्वस्थ रहने के साथ इसका बुरा असर शिशु पर भी न पड़े। तो आइये अब जानते हैं की गर्भवती महिला को घर का काम कब नहीं करना चाहिए।

पहली तिमाही में

पहली तिमाही यानी की प्रेगनेंसी के पहले तीन महीने किसी भी गर्भवती महिला के लिए सबसे अहम होते हैं। क्योंकि इस समय शिशु के दिल की धड़कन आने के साथ शिशु के अंग भी बनने शुरू हो जाते है। और प्रेगनेंसी के शुरूआती तीन महीनों में गर्भवती महिला के शरीर में हार्मोनल बदलाव भी बहुत तेजी से होते हैं जिसके कारण महिला को बहुत सी शारीरिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। साथ ही इस दौरान महिला द्वारा बरती गई थोड़ी सी भी लापरवाही गर्भपात का कारण भी बन सकती है, ऐसे में पहली तिमाही में ज्यादातर डॉक्टर्स भी ज्यादा काम न करने की सलाह देते हैं ताकि शिशु के अंगो का विकास बेहतर तरीके से होने के साथ गर्भपात से भी बचने में मदद मिल सके।

प्रेगनेंसी में कॉम्प्लीकेशन्स होने पर

सभी गर्भवती महिलाएं नहीं लेकिन कई बार कुछ गर्भवती महिलाओं की प्रेगनेंसी में कॉम्प्लीकेशन्स होती है, जिसके कारण महिला को बेड रेस्ट की सलाह डॉक्टर द्वारा दी जाती है। ऐसे में गर्भवती महिला को भरपूर आराम करना चाहिए और जितना हो सके घर का काम नहीं करना चाहिए। ताकि प्रेगनेंसी में आई समस्या से बचे रहने में मदद मिल सके।

गर्भपात

यदि महिला का गर्भधारण करने से पहले गर्भपात हो चूका हो तो ऐसे में फिर से गर्भपात का खतरा होता है। और यदि महिला के साथ ऐसा हुआ है तो भी महिला को प्रेगनेंसी के दौरान काम न करने की सलाह दी जा सकती है।

ब्लीडिंग की समस्या होने पर

कुछ गर्भवती महिलाओं को प्रेगनेंसी में स्पॉटिंग की समस्या हो सकती है, ऐसे में स्पॉटिंग की समस्या न बढे और महिला का गर्भपात न हो। ऐसी समस्या से बचने के लिए भी गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के दौरान काम से बचने की सलाह दी जाती है।

शिशु की पोजीशन

आज कल ऐसे बहुत से मामले सामने आते हैं जिसमे गर्भ में पल रहा शिशु गर्भनाल को अपनी गर्दन में लपेट लेता है। जिसके कारण शिशु को मूवमेंट करने में दिक्कत आती है। यह समस्या ज्यादातर प्रेगनेंसी के आखिरी महीने में होती है, ऐसे में अल्ट्रासॉउन्ड की रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर्स महिला को रेस्ट की सलाह देते है, और ऐसे केस में महिला को नॉर्मल डिलीवरी की अपेक्षा सिजेरियन डिलीवरी के चांस ज्यादा होते हैं।

मुश्किल से हुई प्रेगनेंसी में

यदि महिला को बहुत मुश्किल से प्रेगनेंसी हुई है, या महिला को अधिक उम्र में गर्भधारण होता है। तो ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान आने वाली परेशानियों से बचने के लिए भी महिला को आराम की सलाह दी जाती है। साथ ही अधिक उम्र में माँ बनना या बहुत मुश्किल से गर्भधारण होने के कारण प्रेगनेंसी में समस्या आने के चांस ज्यादा होते हैं।

पेट के बाहर आने पर

चौथे महीने के बाद से ही गर्भवती महिला का पेट बाहर निकलना शुरू हो जाता है, ऐसे में पेट के बाहर आने के कारण गर्भवती महिला को उठने बैठने, काम करने, चलने में, सोने आदि में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, ऐसे में पेट के बाहर आने पर भी महिला को अधिक काम न करने की सलाह दी जाती है। खासकर वो काम जिसके कारण पेट पर दबाव पड़ता है क्योंकि पेट पर अधिक दबाव पड़ने के करने के कारण महिला के साथ गर्भ में शिशु को भी परेशानी का अनुभव हो सकता है।

तो यह हैं प्रेगनेंसी से जुडी कुछ टिप्स, ऐसे में यदि महिला की इनमे से कोई भी कंडीशन हो तो जितना हो सके महिला को आराम करना चाहिए। ताकि गर्भवती महिला को इन सभी परेशानियों से बचने में और एक स्वस्थ शिशु को जन्म देने में मदद मिल सके।

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