गर्भ में शिशु की पोजीशन कब चेंज होती है?

गर्भ में शिशु की हलचल

प्रेगनेंसी के दौरान महिला बहुत से नए अनुभव का अहसास करती है, और इस दौरान प्रेग्नेंट महिला के मन में हमेशा शिशु को लेकर ही विचार घूमते रहते हैं। जैसे की गर्भ में शिशु क्या कर रहा होगा, शिशु कितना विकसित हो गया है, शिशु की हलचल कब महसूस होगी आदि। शिशु का गर्भ में हलचल करना गर्भवती महिला के लिए प्रेगनेंसी के सबसे बेहतरीन लम्हो में से एक होता है। गर्भ में शिशु प्रेगनेंसी के लगभग पांचवें महीने में हलचल करना शुरू कर देता है। शुरुआत में शिशु का आकार छोटा होता है, जिसके कारण शिशु की गर्भ में हलचल कम महसूस होती है। लेकिन जससे जैसे शिशु का आकार बढ़ता है, वैसे की शिशु की मूवमेंट भी बढ़ने लगती है।

शिशु का विकास बढ़ने के साथ गर्भ में शिशु की घूमने की जगह भी कम होने लगती है, लेकिन घूमते हुए शिशु अपनी पोजीशन को लगातार बदलता रहता है। और जैसे जैसे डिलीवरी का समय पास आने वाला होता है, वैसे वैसे डिलीवरी के लिए अपने आप ही शिशु अपनी सही पोजीशन में आने लगता है। लेकिन सभी महिलाओं के साथ एक ही समय पर ऐसा हो यह कोई जरुरी नहीं होता है। क्योंकि हर गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे शिशु का विकास और उसकी पोजीशन बदलने का समय अलग अलग हो सकता है। साथ ही कई बार ऐसा भी अल्ट्रासॉउन्ड के माध्यम से देखने को मिलता है की शिशु उल्टा है, या शिशु अपनी सही पोजीशन में नहीं आ रहा है तो डिलीवरी के दौरान कॉम्प्लीकेशन्स होने के चांस भी होते हैं।

शिशु की पोजीशन गर्भ में कब चेंज होती है

गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहा शिशु जब हलचल करनी शुरू करता है तो हमेशा वो एक ही पोजीशन में नहीं रहता है, बल्कि गर्भ में घूमता हुआ वह लगातार अपनी पोजीशन को बदलता रहता है। और लगातार अपनी पोजीशन को बदलते हुए वह घूमता रहता है और जैसे जैसे डिलीवरी का समय पास आता है वैसे वैसे शिशु अपना सिर नीचे की तरफ करने लगता है, जिससे गर्भाशय की ग्रीवा पर जोर पड़ता है, और प्रसव के लिए जरुरी हॉर्मोन बॉडी में उत्सर्जित होने लगते हैं। लेकिन सभी गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे शिशु एक ही समय पर अपनी पोजीशन नहीं बदलते हैं। जैसे की कुछ गर्भवती महिलाओं के गर्भ में पल रहा शिशु तीसवें हफ्ते (आठवें महीने) के बाद से ही अपनी सही पोजीशन में आने लगता है।

तो कुछ महिलाओं के गर्भ में पल रहा शिशु पैंतीसवें हफ्ते (नौवें महीने) के बाद अपनी सही पोजीशन में आ सकता है। और कई बार तो शिशु प्रसव के दौरान ही अपनी सही पोजीशन में आता है। ऐसे में हर महिला के केस में एक ही जैसे बदलाव या शिशु की पोजीशन में बदलाव देखने को ऐसा कोई जरुरी नहीं होता है। लेकिन हर एक शिशु गर्भ में घूमता है यह बात सभी शिशुओं में होती है। और जब शिशु गर्भ में घूमना शुरू कर देता है, और उसके बाद यदि गर्भवती महिला को कभी ऐसा महसूस हो की गर्भ में शिशु घूम नहीं रहा है तो इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। क्योंकि गर्भ में शिशु की हलचल शिशु के स्वस्थ होने की निशानी होती है वहीँ शिशु की हलचल महसूस न होना परेशानी का कारण होता है।

और यदि गर्भवती महिला को ऐसा महसूस हो तो जितना जल्दी हो सके गर्भवती महिला को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। तो यह है शिशु की गर्भ में मूवमेंट करने से जुडी कुछ बातें, साथ ही गर्भ में शिशु के बेहतर विकास की जिम्मेवारी गर्भवती महिला की होती है। क्योंकि महिला जितना अपनी सेहत का ध्यान रखती है, पोषक तत्वों का भरपूर मात्रा में सेवन करती है, खुश रहती है उतना ही ज्यादा शिशु का विकास बेहतर तरीके से होने में मदद मिलती है।

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