प्रेग्नेंट महिला को लास्ट महीने में डॉक्टर क्या सलाह देती है?

वैसे तो प्रेगनेंसी के पुरे नो महीने हमे डॉक्टर सलाह देते की कब क्या करना है, क्या खाना है, कौनसी दवाइयां लेनी है आदि। पर इन आठ महीनो के सफर के बाद नोवे महीने में हमे डॉक्टर की खास सलाह की जरुरत होती है और इस दौरान डॉक्टर कुछ खास बाते बताते भी है। यह नोवा महीना होता है जब नन्हे शिशु के आने की जितनी ख़ुशी होती है उतना ही डिलीवरी को लेकर स्ट्रेस भी बढ़ता जाता है। इस समय में हर गर्भवती महिला को डॉक्टर की सलाह की जरुरत होती है।

प्रेगनेंसी का नोवा महीना शुरू होते ही डॉक्टर हर सप्ताह NST टेस्ट यानी नॉन स्ट्रेस टेस्ट करवाने की सलाह देते है, इस टेस्ट में लेबर पैन और शिशु की हार्ट बीट का पता चलता है। इस टेस्ट में कुछ भी प्रॉब्लम दीखते ही डॉक्टर तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट होने की सलाह दे सकते है। इस टेस्ट से पहले गर्भवती महिला का कुछ खाना जरुरी होता है तभी बेबी सही मूवमेंट्स इस टेस्ट के ग्राफ में रिकॉर्ड हो पाती है।

गर्भावस्था का नोवा महीना शुरू होते ही डॉक्टर सलाह देते है के हर बार खाना खाने के बाद शिशु की मूवमेंट्स को गिनिए। डॉक्टर के अनुसार हर बार खाना खाने के बाद शिशु की कम से कम 10 मूवमेंट्स जरूर होने चाहिए। इस समय तक शिशु की ग्रोथ पूरी हो जाती है और वह गर्भाशय में पूरी तरह से घूमने लगता है, अगर इस समय के दौरान शिशु ना घूमे और उसकी मूवमेंट्स ना महसूस सके तो ऐसी स्थिति में शिशु को कोई खतरा भी हो सकता है। बिना देर किये ऐसी स्थिति में डॉक्टर से तुरंत मिले।

डिलीवरी का समय नजदीक आते ही डॉक्टर सलाह देते है के आयरन की टेबलेट समय पर लें। जिससे की खून की कमी ना हो, अगर डिलीवरी के समय खून की कमी हो जाती है या गर्भवती महिला कमजोर होती है तो नार्मल डिलीवरी में माँ और शिशु दोनों को खतरा हो सकता है। इसीलिए इस समय में अपने अच्छे खान पान का ध्यान रखना चाहिए और नियमित रूप से रोजाना दूध का भी सेवन करना चाहिए।

इस समय में डॉक्टर यह भी सलाह देते है के अगर पेट में दर्द हो या फिर हल्की सी भी ब्लीडिंग हो तो तुरंत हॉस्पिटल में आकर मिलें। क्योंकि कुछ महिलाये पहली बार माँ बन रही होती है तो उन्हें लेबर पैन का अहसास नहीं होता है इसीलिए गर्भावस्था के आखिरी महीने में डॉक्टर खास ख्याल रखने की सलाह देते है।

इसके अतिरिक्त नोवे महीने की शुरुआत से ही डॉक्टर सलाह देते है के हर सप्ताह डॉक्टर से जरूर मिलें और अपना चेक अप जरूर करवाए। क्योंकि इस दौरान डॉक्टर गर्भवती महिला को चेक करके डिलीवरी के समय का अंदाजा लगाते है।

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