तीसरे महीने में शिशु का विकास, गर्भ में शिशु का विकास, तीसरे महीने में गर्भवती महिला में बदलाव, गर्भावस्था का तीसरा महीना, प्रेग्नेंसी के तीसरे महीने में चैंजेस, Changes in Third Month of Pregnancy, Baby Development in Third Month, Changes in Pregnant Women after Three month pregnancy, Third Month, Three Month Baby Developement
प्रेग्नेंसी किसी भी महिला के लिए बहुत ही खास पल होता है। पुरे नौ महीनों तक वो कई नए-नए अनुभवों को महसूस करती हैं। पर ये भी सच है की इस दौरान गर्भवती महिलाओं को कई तरह की शारीरिक परेशानियों से जूझना पड़ता है। आज हम आपको बता रहे हैं गर्भधारण के तीसरे महीने में गर्भ के भीतर शिशु का विकास किस तरह होता है और तीसरे महीने गर्भवती महिला के शरीर में क्या-क्या बदलाव होते हैं?
गर्भावस्था का तीसरा महीना और शिशु में विकास
गर्भावस्था के तीसरे महीने तक शिशु का दिल धड़कना शुरू हो जाता है और शिशु के फेफड़ें व् हाथ पैरों की उँगलियाँ बनने लगती है। तीसरे महीने से शिशु अपना आकार लेने लगता है। इस महीने से शिशु के नाख़ून बनना शुरू हो जाते हैं। तीसरे महीने में शिशु की त्वचा बहुत पतली होती है।
तीसरे महीने से शिशु गर्भ के भीतर हिचकियाँ भी लेने लगता है। इस समय शिशु गर्भ के भीतर एमनियोटिक फ्लूड के द्वारा सांस लेने और छोड़ने लगता है। तीसरे महीने के अंतिम सप्ताह तक शिशु अपनी उँगलियाँ खोलना और बंद करना शुरू कर देता है। और हलकी मूवमेंट भी करने लगता है पर अभी आपको शिशु की मूवमेंट पता नहीं चलेगी क्यूंकि इस समय शिशु का आकार बहुत छोटा होता है। आपको अल्ट्रासाउंड की मदद से शिशु की मूवमेंट देख सकती हैं।
आपको यह जानकारी हैरानी होगी की तीसरे महीने से शिशु अपना अंगूठा भी चूसने लगता है और ये आदत शिशु को जन्म के बाद तक रहती है। गर्भधारण के तीसरे महीने तक शिशु के लिंग का निर्धारण हो जाता है और पता चल जाता है की गर्भ में पल रहा शिशु लड़की है या लड़का?
गर्भावस्था के तीसरे महीने में गर्भवती महिला के शरीर में बदलाव
गर्भावस्था के तीसरे महीने में शिशु के साथ-साथ गर्भवती महिला के शरीर में भी कई बदलाव आते हैं। तीसरे महीने से गर्भवती महिला के पेट का आकार बढ़ने लगता है पर बाकी लोगों को यह महसूस नहीं होगा। अभी आपके पेट का आकार सामान्य जैसा ही लगेगा, थोड़ा अंतर् हो सकता है पर दूर से देखने पर पेट सामान्य लगेगा।
हार्मोनल बदलाव के कारण इस महीने में गर्भवती महिला के स्तनों में भारीपन आने लगता है, ब्लड फ्लो नार्मल नहीं होने के चलते नसें दिखने लगती है, शिशु में विकास के साथ-साथ गर्भवती महिला का वजन बढ़ना शुरू हो जाता है, पेट पर हल्का खिचाव आने लगता हैं, त्वचा में रूखापन आ जाता है, खुजली होने लगती है और पेट पर लाइन उभरने लगती है। कई लोग इस लाइन को देखकर भी अंदाजा लगा लेते हैं की गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है या लड़की?
तीसरे महीने में गर्भवती महिला को कब्ज की परेशानी हो सकती है, सर में दर्द होता है, सोने में बहुत परेशानी होती है, पैरों और तलवों में सूजन आने लगती है, ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और पेट के निचले हिस्से पर हल्की सूजन आ सकती है, शरीर में हो रहे बदलावों के कारण कुछ हिस्सों में दर्द भी हो सकता है।
ऐसे में महिला को भरपूर आराम करना चाहिए, उचित आहार लेना चाहिए, समय-समय पर डॉक्टरी चेकअप कराते रहना चाहिए, सही दिनचर्या अपनानी चाहिए और ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए की शरीर पर दबाब पड़े या शिशु को गर्भ में कोई परेशानी हो। क्यूंकि आपकी लापरवाही आपके शिशु के लिए नुकसानदेह हो सकती है। क्यूंकि ये महीना गर्भावस्था के सबसे क्रूशियल समय में से एक माना जाता है। ऐसे में गर्भवती महिला को अपनी बहुत ज्यादा केयर करनी चाहिए। ताकि कोई दिक्क्त ना हो।