गर्भावस्था में वेस्टर्न या इंडियन कौन सा टॉयलेट इस्तेमाल करना चाहिए

प्रेगनेंसी में देख रेख

गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को अपने उठने, बैठने, चलने, घूमने, खाने, पीने, सोचने के साथ अपनी पूरी दिनचर्या का अच्छे से ध्यान रखना पड़ता है। यहां तक की यदि ऐसा कहा जाए की गर्भवती महिला को अपनी दिनचर्या ही बदलनी पड़ सकती है तो गलत नहीं होगा। इसके अलावा कई महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान वाशरूम को लेकर भी चिंतित हो जाती है की प्रेगनेंसी के दौरान इंडियन वाशरूम को इस्तेमाल करना चाहिए या वेस्टर्न। ऐसे में इस सवाल का जवाब देने से पहले कुछ बातों को जानते हैं, जिससे आपको यह समझने में आसानी हो जाएगी की प्रेगनेंसी में इंडियन वाशरूम उसे करना चाहिए या फिर वेस्टर्न वाशरूम यूज़ करना चाहिए।

प्रेगनेंसी में इंडियन वाशरूम

एक्सपर्ट्स के अनुसार प्रेगनेंसी के दौरान इंडियन वाशरूम ही यूज़ करना सबसे बेहतर होता है, क्योंकि इससे गर्भवती महिला को बहुत से फायदे मिलते हैं। आइये जानते हैं की इंडियन वाशरूम यूज़ करने के फायदे कौन से हैं।

कब्ज़ और बवासीर से आराम

इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करने से बॉडी में मौजूद विषैले पदार्थ यानी की मल को अच्छे से त्यागने में मदद मिलती है। जिससे पेट अच्छे से साफ़ हो जाता हैं और गर्भवती महिला को पेट में गैस और कब्ज़ की समस्या से राहत पाने में मदद मिलती है। कब्ज़ की समस्या से बहे रहने के साथ प्रेगनेंसी के दौरान बवासीर जैसी परेशानी से बचे रहने में भी मदद मिलती है।

संक्रमण से बचाव

गर्भवती महिला जब इंडियन वाशरूम का इस्तेमाल करती है तो वह टॉयलेट सीट के सीधा संपर्क में नहीं आती है, जिसके कारण संक्रमण की समस्या से बचे रहने में मदद मिलती है।

बेहतर पाचन

इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करने से पाचन क्रिया को भी बेहतर रहने में मदद मिलती है, क्योंकि पैरों के भार बैठने के कारण पेट पर दबाव पड़ता है। जिससे पेट अच्छे से साफ़ हो जाता है और पेट का अच्छे से साफ़ होना गर्भवती महिला को स्वस्थ रखने और पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में मदद करता है।

सामान्य प्रसव

डॉक्टर्स के अनुसार सामान्य प्रसव के लिए इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करना बहुत फायदेमंद होता है। क्योंकि पैरों के भार बैठने से शिशु की नीचे की तरफ ही रहता है, साथ ही जांघो और पेट की मांसपेशियों की मजबूती को बरकरार रखने में मदद मिलती है, जिससे सामान्य प्रसव के लिए बॉडी को तैयार करने में मदद मिलती है।

प्रेगनेंसी में इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करने के नुकसान

गर्भावस्था की आखिरी तिमाही में पेट के पूरे बढ़ जाने के कारण गर्भवती महिला को पैरों के भार बैठने में परेशानी हो सकती है। साथ ही यदि गर्भवती महिला का पहले गर्भपात हो चूका है और उसके बाद भी महिला इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करती है तो इसके कारण महिला को दिक्कत हो सकती है। इसके अलावा यदि प्रेगनेंसी में किसी तरह की कॉम्प्लीकेशन्स हो या महिला को पूरे आराम की सलाह दी गई हो तो भी इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल प्रेग्नेंट महिला की परेशानी को बढ़ा सकता है।

प्रेगनेंसी में वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करना

जिन गर्भवती महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान कॉम्प्लीकेशन्स हो, उठने बैठने में दिक्कत हो, पहले गर्भपात हो चूका हो, वो गर्भवती महिलाएं अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल कर सकती हैं। लेकिन जो गर्भवती महिला स्वस्थ हो उन को वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए, क्योंकि इसके साथ सीधे संपर्क में आने के कारण गर्भवती महिला को संक्रमण का खतरा हो सकता है, साथ ही मल त्यागने में भी जोर लगाना पड़ता है जिससे गर्भाशय पर दबाव पड़ने के कारण महिला को परेशानी हो सकती है।

तो यह है प्रेगनेंसी के दौरान इंडियन या वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करने से जुडी कुछ बातें, ऐसे में यदि गर्भवती महिला को कोई दिक्कत न हो तो इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल ही करना चाहिए। लेकिन यदि कोई परेशानी हो तो अपनी सुविधानुसार वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करना चाहिए।

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