प्रेगनेंसी में ख़ुशी के पल, प्रेगनेंसी एक ऐसा अहसास है जहां शिशु के गर्भ में आते ही महिला को मातृत्व का अनोखा अनुभव होने लगता है। शिशु के जन्म से पहले ही उसे लेकर महिला इतनी उतावली रहती है। गर्भावस्था के पूरे नौ महीने महिला केवल शिशु के विकास, शिशु के स्वास्थ्य, शिशु का जन्म कब होगा इसे लेकर ही सोचती रहती है। लेकिन जो भी हो इस दुनिया का सबसे प्यारा अनुभव गर्भ में शिशु का आना ही होता है।
और यह नौ महीने महिला तरह तरह के नए अनुभव, नए बदलाव, नई ख़ुशी का अहसास करती है। और प्रेग्नेंट महिला के लिए ऐसे बहुत से पल होते हैं। जो प्रेगनेंसी के सबसे बेहतरीन ख़ुशी के पल होते हैं। तो आज हम प्रेगनेंसी के उन्ही प्यारे और अनोखे पलों को आपसे शेयर करने जा रहें हैं। जो माँ बनने के अनुभव को और भी खास बनाते हैं।
गर्भावस्था के ख़ुशी के पल
क्या आप माँ बनने वाली हैं? या शिशु के जन्म की प्लानिंग कर रही हैं? यदि हाँ तो यह आर्टिकल आपके मन में आ रहें बहुत से सवालों का जवाब दे सकता है। क्योंकि आज हम आपको प्रेगनेंसी के कुछ ख़ुशी के पलों के बारे में बताने जा रहें हैं। जो शिशु के विकास से जुड़े हुए होते हैं। तो आइये अब जानते हैं की वो पल कौन से होते हैं।
प्रेगनेंसी कन्फर्म
- पीरियड्स के मिस होने के बाद जब आप अपने आप या डॉक्टर के पास जाकर प्रेगनेंसी टेस्ट करते हैं।
- और उसका परिणाम पॉजिटिव आता है साथ ही आप शिशु को जन्म भी देना चाहती हैं।
- तो यह प्रेगनेंसी का सबसे पहला ख़ुशी का पल होता है।
- और इसी ख़ुशी के पल से आपके अंदर मातृत्व की भावना भी जागृत होने लगती है।
प्रेगनेंसी में ख़ुशी का पल होता है पहला अल्ट्रासॉउन्ड
- गर्भवती महिला के लिए पहला अल्ट्रासॉउन्ड बहुत की ख़ुशी का अहसास होता है।
- क्योंकि इस दौरान महिला पहली बार अपने गर्भ में पल रहें शिशु की आकृति को स्क्रीन पर देखती है।
- साथ ही शिशु के दिल की धड़कन भी सुनती है।
- और यह महिला के लिए बहुत ख़ुशी का पल होने के साथ इमोशनल मूवमेंट भी होता है।
शिशु के दिल की धड़कन
- शिशु की धड़कन को सुनना प्रेग्नेंट महिला के लिए बहुत ही ख़ुशी का पल होता है।
- और इस पल का आनंद महिला जब भी डॉक्टर के पास चेकअप करवाने जाती है तो ले सकती है।
- क्योंकि वो मशीन की मदद से महिला को बहुत ही आसानी से शिशु के दिल की धड़कन को सुना देते हैं।
प्रेगनेंसी में ख़ुशी का पल होता है शिशु का किक करना
- गर्भावस्था के लगभग चौथे महीने के आखिर या पांचवे महीने में महिला को शिशु की हलचल का अनुभव होने लग जाता है।
- और यह हलचल महिला के लिए प्रेगनेंसी के सबसे खास अनुभव और ख़ुशी का पल होता है।
- क्योंकि इस हलचल का अनुभव केवल महिला ही कर सकती है।
- जैसे जैसे शिशु की हलचल ज्यादा होने लगती है तो महिला इसे और ज्यादा एन्जॉय करती है।
- ऐसे में यदि कभी शिशु कम हलचल करें तो इसे लेकर महिला परेशान भी हो जाती है।
प्रेगनेंसी में ख़ुशी का पल होता है दूसरा अल्ट्रासॉउन्ड
- गर्भवस्था के दूसरे अल्ट्रासॉउन्ड तक शिशु के सभी अंगो की आकृतियां बन चुकी होती है।
- और स्क्रीन पर महिला अपने शिशु को देख सकती है।
- शिशु की हलचल को भी महिला देख सकती है।
- यह पल महिला को अपने शिशु की गर्भ में हलचल का और भी करीब से अनुभव करवाता है।
- इसीलिए प्रेगनेंसी के दूसरा अल्ट्रासॉउन्ड महिला के लिए बहुत ही प्यारा समय होता है।
पेट का आकार
- चौथे महीने के बाद महिला के पेट का आकार धीरे धीरे बढ़ता जाता है।
- बाहर निकलता हुआ पेट महिला को शिशु के विकास का अनुभव करवाता है।
- इसीलिए महिला के लिए पेट का बाहर निकलना भी प्रेगनेंसी के दौरान बहुत ही ख़ुशी का पल होता है।
प्रेगनेंसी में ख़ुशी का पल होता है नौवें महीने की शुरुआत
- जैसे ही नौवें महीने की शुरुआत होती है तो महिला की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता है।
- क्योंकि जिस शिशु का महिला अब तक गर्भ में अनुभव कर रही थी।
- अब उसे अपनी बाहों में लेने का समय बहुत करीब आ चूका होता है।
- और जैसे जैसे डिलीवरी की देय तिथि पास आती है वैसे वैसे महिला का उत्साह और ज्यादा बढ़ता रहता है।
- लेकिन इस उत्साह में महिला को अपनी सेहत का ध्यान रखना नहीं भूलना चाहिए।
तो यह हैं वो कुछ खास पल, जो महिला की प्रेगनेंसी को और खास बनाते हैं। तो आपको भी प्रेगनेंसी के इन ख़ुशी के पलों को अच्छे से एन्जॉय करना चाहिए। और माँ बनने के प्यारे अनुभव को सेलिब्रेट भी करना चाहिए। और गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह की परेशानी न हो इसके लिए अपना अच्छे से ध्यान भी रखना चाहिए।