प्रेगनेंसी में व्रत रखने के नुकसान

भारीय संस्कृति में उपवास रखने का बहुत अधिक महत्व है, और ऐसा भी नहीं है की हर किसी व्यक्ति का उपवास रखना जरुरी है। और कोई भगवान भी आपसे आकर यह नहीं कहते हैं की आपके लिए व्रत रखना जरुरी है। व्रत रखने का असली मतलब होता है की लोग अपनी आस्था, विश्वास व् श्रद्धा भाव को भगवान के प्रति समर्पित करते हैं। गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग व्यक्ति, बच्चों के लिए तो खासकर कोई बंधन नहीं है की वो व्रत रखें, क्योंकि यदि आप स्वस्थ नहीं है और व्रत रखते हैं तो ऐसा व्रत रखने का भी कोई फायदा नहीं है जिसे रखकर आप बीमार हो जाएँ। और वैसे भी यदि आप सच्चे मन से अपने भगवान को याद करते है तो वो हमेशा आपके साथ रहते हैं। लेकिन कुछ गर्भवती महिलाएं धार्मिक मान्यताओं में छूट होने के बाद भी व्रत रखती है।

क्या प्रेग्नेंट महिला व्रत रख सकती है?

यदि गर्भवती महिला स्वस्थ हैं, निर्जला उपवास नहीं है, व्रत के बावजूद महिला को अपने खान पान में किसी भी तरह से परहेज नहीं करना पड़ता, डॉक्टर द्वारा सलाह लेने के बाद यदि महिला व्रत करती है, महिला को किसी तरह की प्रेगनेंसी में कॉम्प्लीकेशन्स नहीं है और महिला स्वस्थ हैं, तो गर्भवती महिला चाहे तो व्रत कर सकती है। लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान लम्बे चलने वाले व्रत रखने से, व्रत में खाने पीने में लापरवाही करने से प्रेग्नेंट महिला के साथ शिशु के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है। लेकिन यदि महिला अपनी अच्छे से देखभाल करने के बाद व्रत करती है तो महिला को परेशानी से बचे रहने में मदद मिल सकती है। ऐसे में पूरी तरह से व्रत रखना गर्भवती महिला के लिए सेफ है या नहीं इसे कहना थोड़ा मुश्किल है। हाँ, गर्भवती महिला चाहे तो व्रत रखने से पहले अपने डॉक्टर से राय ले सकती है।

प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में व्रत रखने के नुकसान

यदि गर्भवती महिला प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में कोई व्रत आदि रखती है, तो ऐसे केस में देखा जाता है की गर्भ में पल रहे शिशु का वजन सामान्य शिशु की तुलना में कम हो सकता है। इसीलिए गर्भवती महिला को पहली तिमाही में किसी भी तरह का व्रत रखने से पहले डॉक्टर की राय लेनी चाहिए। साथ ही इस दौरान गर्भवती महिला की बॉडी में हार्मोनल बदलाव बहुत तेजी से हो रहे होते हैं, जिसके कारण महिला की शारीरिक परेशानियां जैसे सिर दर्द, चक्कर, थकान, कमजोरी, उल्टियां, आदि की समस्या अधिक हो सकती है। ऐसे में गर्भवती महिला को जितना हो सके प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में व्रत रखने से बचना चाहिए।

प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में व्रत रखने के नुकसान

दूसरी तिमाही में शारीरिक परेशानियां कम होने के कारण गर्भवती महिला व्रत रख सकती है लेकिन इस दौरान व्रत रखने पर खान पान का ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है। क्योंकि इस समय शिशु का शारीरिक विकास होना शुरू होता है ऐसे में महिला का खान पान के प्रति लापरवाही बरतना शिशु की सेहत पर नकारात्मक असर डाल सकता है। इसीलिए डॉक्टर की सलाह लेने के बाद और अच्छे से खान पान का ध्यान रखने पर ही महिला को दूसरी तिमाही में व्रत रखने के बारे में सोचना चाहिए।

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में व्रत रखने के नुकसान

गर्भ में पल रहे शिशु का विकास प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में बहुत तेजी से होता है, साथ ही महिला का वजन बढ़ने के कारण महिला को भी परेशानी अधिक होती है। ऐसे में शिशु के विकास के लिए विटामिन, प्रोटीन, मिनरल्स सभी का शिशु को भरपूर मात्रा में मिलना बहुत जरुरी होता है। लेकिन यदि महिला उपवास रख लेती है तो ऐसे में न तो शिशु को जरुरी पोषक तत्व मिल पाते हैं और साथ ही महिला की शारीरिक परेशानी भी अधिक हो सकती है। साथ ही गर्भवती महिला की शारीरिक परेशानी बढ़ने के कारण या गर्भ में शिशु को किसी भी तरह की दिक्कत होने के कारण समयपूर्व प्रसव का खतरा भी बढ़ सकता है। ऐसे में प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में भी पूरी सावधानी और डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही व्रत रखने के बारे में सोचना चाहिए।

लम्बे व्रत रखने के नुकसान

नवरात्रि, रमजान यह कुछ ऐसे व्रत होते हैं जो लम्बे चलते हैं ऐसे में यदि महिला इन व्रत को रखती है तो महिला को स्वस्थ रहने के लिए और गर्भ में शिशु के बेहतर विकास के लिए जो भी जरुरी पोषक तत्व चाहिए होते हैं वो महिला को नहीं मिल पाते हैं। जिसके कारण गर्भवती महिला को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या होने के साथ शिशु के विकास में भी कमी आ सकती है। और साथ व्रत में खाया जाने वाला आहार ज्यादातर मीठा ही होता है, और गर्भवती महिला द्वारा अधिक मीठे का सेवन करना ब्लड में शुगर लेवल को बढ़ा सकता है जिसके कारण महिला को गेस्टेशनल शुगर की परेशानी होने के साथ महिला का वजन भी तेजी से बढ़ने की समस्या हो सकती है। जो गर्भवती महिला और शिशु दोनों के लिए हानिकारक होती है।

प्रेगनेंसी में व्रत रखते समय इन बातों का ध्यान रखें

यदि गर्भवती महिला व्रत रखती है तो उसे बहुत सी बातों का व्रत रखते समय ध्यान रखना चाहिए, ताकि महिला को किसी भी तरह की समस्या न हो। तो आइये अब जानते हैं की प्रेग्नेंट महिला को व्रत रखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • पानी का भरपूर सेवन करें।
  • फलों व् फलों के रस को भरपूर मात्रा में पीएं।
  • भरपूर आराम करें।
  • तनाव न लें, खुश रहें।
  • खाने में ज्यादा लम्बा गैप न रखें।
  • नमक व् चीनी की मात्रा जरुरत के अनुसार लें।
  • अधिक मात्रा में चाय पीने से बचना चाहिए।
  • व्रत रखने पर भारी भोजन करने से बचें क्योंकि इसके कारण पेट सम्बन्धी समस्या होने का खतरा रहता है।
  • व्रत रखने पर किसी भी तरह की परेशानी अधिक होने लगे तो व्रत को तोड़ दें।
  • व्रत रखने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

तो यह हैं कुछ नुकसान जो गर्भवती महिला को व्रत रखने के कारण हो सकते हैं ऐसे में गर्भवती महिला को व्रत या तो नहीं रखना चाहिए। लेकिन यदि महिला व्रत रखती है तो उसे अपनी सेहत का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए।

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