प्रेग्नेंट महिला नाश्ते में खाएं यह चीजें

प्रेगनेंसी के पूरे नौ महीने गर्भवती महिला नाश्ते में खाएं यह चीजें

आपने यह तो सुना ही होगा सुबह का नाश्ता यानी दिन का पहला आहार ऐसा होना चाहिए जो दिन भर के लिए आपको एनर्जी दे, और आप उसे खाने के बाद रिफ्रैश व् ऊर्जा से भरपूर महसूस करें। ऐसे में प्रेग्नेंट महिला को तो अपने दिन के पहले आहार का सबसे अच्छे से ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि इस दौरान महिला अकेली नहीं होती है बल्कि वो जो भी करती है उसका फायदा या नुकसान उसके बच्चे को भी मिलता है साथ ही महिला को भरपूर ऊर्जा की जरुरत होती है।

इसीलिए प्रेगनेंसी के दौरान यदि महिला अपने नाश्ते का अच्छे से ध्यान रखती है तो इससे प्रेग्नेंट महिला को फिट रहने के साथ बच्चे के बेहतर विकास में भी मदद मिलती है। तो आइये इस आर्टिकल में आज हम आपको प्रेग्नेंट महिला को नाश्ते में क्या खाना चाहिए उस बारे में बताने जा रहे हैं। और प्रेगनेंसी की हर तिमाही में महिला को अपनी डाइट में थोड़ा थोड़ा बदलाव करते रहना चाहिए।

प्रेगनेंसी के 1 से 3 महीने तक गर्भवती महिला नाश्ते में करें इन चीजों को शामिल

  • गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में गर्भवती महिला को नाश्ते में फ्रूट्स जैसे की सेब, केला, अनार, तरबूज आदि की चाट बनाकर उसका का सेवन करना चाहिए। फलों के साथ महिला चाहे तो फलों के घर पर निकले ताजे रस का सेवन भी कर सकती है।
  • दूध व् दूध से बनी चीजों का सेवन जैसे की एक गिलास दूध, एक कटोरी दही का सेवन भी कर सकती है। लेकिन ध्यान रखें की फल खाएं हैं तो कम से कम आधे घंटे बाद दूध पीएं, दूध पी रही हैं तो दही का सेवन न करें क्योंकि इससे महिला को पेट सम्बन्धी परेशानी हो सकती है।
  • सुबह के नाश्ते में गर्भवती महिला पराठे लेकिन ज्यादा तले हुए नहीं का सेवन दही के साथ कर सकती है।
  • गर्भवती महिला को सुबह नाश्ता खत्म होने के बाद या पहले भीगे हुए बादाम का सेवन भी करना चाहिए।
  • नाश्ते में गर्भवती महिला सब्जियों के बने सूप का सेवन भी कर सकती है।
  • प्रेग्नेंट महिला रोजाना नाश्ते में इन में से अलग अलग चीजों का सेवन कर सकती है ऐसे में यदि कभी महिला का कुछ अलग खाने का मन करें तो प्रेग्नेंट महिला सैंडविच बनाकर भी खा सकती है उसमे महिला एक पनीर का टुकड़ा, टमाटर, खीरा घर पर बनी हुई सॉस आदि का इस्तेमाल करके स्वादिष्ट व् हेल्दी नाश्ता बना सकती है।

प्रेगनेंसी के 4 से 6 महीने तक गर्भवती महिला नाश्ते में करें इन चीजों को शामिल

गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में गर्भवती महिला उन सभी चीजों का सेवन तो कर सकती है जो महिला प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में खा रही थी लेकिन साथ ही महिला को कुछ अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन भी शुरू कर देना चाहिए। क्योंकि इस समय बच्चे का शारीरिक विकास बढ़ रहा होता है। तो आइये जानते हैं की दूसरी तिमाही में गर्भवती महिला नाश्ते में किन चीजों को शामिल कर सकती है:-

  • अंडे पोषक तत्वों की खान होते हैं, ऐसे में दूसरी तिमाही में महिला को नाश्ते में अंडे का सेवन जरूर करना चाहिए। महिला उबले हुए अंडे, भुर्जी, ऑमलेट किसी भी तरीके से अंडे का सेवन कर सकती है। लेकिन ध्यान रखें की कच्चे अंडे का सेवन न करें।
  • दूसरी तिमाही में भरपूर ऊर्जा के लिए महिला सब्जियों का इस्तेमाल करके पोहा, दलिया, ओट्स आदि बनाकर भी उनका सेवन कर सकती है।
  • इसके साथ नाश्ते में नारियल पानी, जूस दूध आदि में से भी किसी न किसी चीज को जरूर शामिल करना चाहिए।

प्रेगनेंसी के 7 से 9 महीने तक गर्भवती महिला नाश्ते में करें इन चीजों को शामिल

गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में गर्भवती महिला उन सभी चीजों का सेवन तो कर सकती है जो महिला प्रेगनेंसी की पहली और दूसरी तिमाही में खा रही थी साथ ही अब महिला को कुछ अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन भी शुरू कर देना चाहिए। क्योंकि इस समय महिला को और ज्यादा एनर्जी की जरुरत होती हैं और साथ ही इस दौरान बच्चे का विकास भी और ज्यादा तेजी से होता है और शिशु के अंग भी काम करना शुरू कर रहे होते हैं। तो आइये जानते हैं की तीसरी तिमाही में गर्भवती महिला नाश्ते में किन चीजों को शामिल कर सकती है:-

  • केले का सेवन प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में नाश्ते में जरूर करना चाहिए क्योंकि यह फाइबर व् ऊर्जा का बेहतरीन स्त्रोत होता है।
  • दालों का सेवन भी गर्भवती महिला प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में नाश्ते में कर सकती है।
  • सब्जियों के पराठे बनाकर दही के साथ महिला उनका सेवन कर सकती है।
  • सफ़ेद की जगह ब्राउन ब्रेड व् राइस का सेवन प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में महिला कर सकती है।
  • प्रेग्नेंट महिला नाश्ते में एक से दो चम्मच देसी घी का सेवन भी जरूर करें।

तो यह हैं कुछ आहार से जुड़े टिप्स जो प्रेग्नेंट महिला को पूरे नौ महीने तक अपने नाश्ते में शामिल करने चाहिए। ताकि प्रेग्नेंट महिला को पूरा दिन एनर्जी से भरपूर रहने, प्रेगनेंसी के दौरान आने वाली कॉम्प्लीकेशन्स को कम करने, बच्चे के शारीरिक व् मानसिक विकास को बेहतर करने में मदद मिल सके।

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