प्रेगनेंसी का पहला महीना – लक्षण, डाइट और सावधानियां

1st Month of Pregnancy Symptoms Diets and Tips Precautions : प्रेगनेंसी महिला की जिंदगी में आने वाली वो ख़ुशी है जो महिला के अस्तित्व में बहुत बड़ा बदलाव ला देती है। जैसे ही महिला की प्रेगनेंसी की न्यूज़ कन्फर्म होती है वैसे ही आपके महिला व् उनसे जुड़े सभी करीबी बहुत खुश हो जाते हैं। लेकिन ज्यादातर लोगो का ऐसा मानना है की यदि आप गर्भ ठहर गया है। और आपने प्रेगनेंसी टेस्ट किया है व् प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव आया है।तो इस खबर के पता चलते ही सबको आपको नहीं बताना चाहिए बस कुछ लोग जो आपके बहुत करीबी है जैसे आपके सास-ससुर माता-पिता पति आदि को ही बताना चाहिए।

क्योंकि तीन महीने तक प्रेगनेंसी में बहुत से उतार चढ़ाव आ सकते हैं। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको प्रेगनेंसी के पहले महिला में क्या-क्या लक्षण महसूस होते हैं, आपकी डाइट कैसी होनी चाहिए, आपको क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, आदि। इसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। यदि आपकी प्रेगनेंसी की न्यूज़ अभी कन्फर्म हुई है या फिर आप प्रेगनेंसी के लिए ट्राई कर रही हैं तो आपके लिए यह आर्टिकल फायदेमंद साबित हो सकता है। तो आइये अब आगे इस आर्टिकल में प्रेगनेंसी के पहले महीने से जुडी जानकारी को शेयर करते हैं और उम्मीद करते हैं की आपके लिए यह फायदेमंद साबित होगी।

गर्भावस्था के पहले महीने में मह्सूस हो सकते हैं यह लक्षण

प्रेगनेंसी के पहले महीने से ही महिला के शरीर में हार्मोनल बदलाव होने शुरू हो जाते हैं। ऐसे में यह लक्षण आपको बाहरी रूप से महसूस हो सकते हैं। कई महिलाएं इन लक्षणों को आसानी से समझ जाती है लेकिन कुछ महिलाओं को कई बार कुछ महसूस भी नहीं हो सकता हैं। तो आइये वो लक्षण कौन-कौन से हैं उनके बारे में जानते हैं।

पीरियड्स मिस होना

गर्भावस्था का सबसे सामान्य लक्षण है की महिला के पीरियड्स मिस हो जाते हैं। हां कई महिलाओं को बीच में हल्का फुल्का खून का धब्बा मह्सूस हो सकता हैं। लेकिन महिला को पूरी तरह पीरियड्स नहीं आते हैं।

ब्रेस्ट संवेदनशील होना और निप्पल का रंग बदलना

यदि महिला को ब्रेस्ट छूने में दर्द महसूस होता है या महिला को निप्पल का रंग पहले से अधिक गहरा महसूस होता है तो यह भी प्रेगनेंसी के पहले महीने में महसूस होने वाला एक समय लक्षण ही हैं। लेकिन ध्यान रखें की हर महिला के शरीर में एक ही जैसे लक्षण महसूस हो ऐसा जरुरी नहीं होता हैं।

सूंघने की क्षमता में वृद्धि होना

प्रेगनेंसी के शुरूआती समय में बॉडी में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण नाक के सूखने की क्षमता में वृद्धि हो जाती है। जिसकी वजह से कई महिलाओं को दिक्कत भी अधिक होती हैं क्योंकि प्रेगनेंसी में महिला को बहुत सी चीजों की गंध से एलर्जी होती है। और ऐसा होने पर महिला को उल्टी जैसी परेशानी का सामना अधिक करना पड़ सकता है।

सीने में जलन

गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण शरीर में एसिड रिफ्लेक्स बढ़ जाता है जिसकी वजह से महिला को सीने में जलन जैसी परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है। पर यह समस्या धीरे धीरे ठीक हो जाती है बस इसके लिए महिला को अपने खान पान का अच्छे से ध्यान रखने की जरुरत होती है।

मूड बदलना

मूड स्विंग्स होने भी प्रेगनेंसी के शुरूआती दिनों में महसूस होने वाला एक सामान्य लक्षण है। जिसकी वजह से कई बार महिला अधिक उदास तो कभी बहुत खुश या कभी बहुत चिड़चिड़ी भी हो जाती है।

ऐंठन होना

जब महिला का गर्भ ठहरता है तो निषेचन की प्रक्रिया होती है जिस समय अंडा गर्भाशय में स्थापित होता हैं। ऐसे में महिला को ऐंठन जैसी परेशानी का महसूस होना भी आम बात होती है।

उल्टी होना

उल्टी आने की समस्या होना भी प्रेगनेंसी के सामान्य लक्षणों में से एक है। अधिकतर प्रेग्नेंट महिलाएं प्रेगनेंसी के पहले तीन महीने इस परेशानी से ग्रसित रहती हैं। साथ ही कुछ महिलएं तो प्रेगनेंसी के पूरे नौ महीने तक इस परेशानी का सामना कर सकती हैं।

प्रेगनेंसी के पहले महीने में महसूस होने वाले अन्य लक्षण

  • कब्ज़ की परेशानी होना।
  • जी मिचलाने की समस्या होना।
  • थकावट व् कमजोरी की परेशानी होना।
  • सिर में दर्द की समस्या होना।
  • पेट में सूजन की समस्या होना।
  • या तो बहुत कम या बहुत ज्यादा भूख प्यास लगना।
  • खाने पीने की आदतों में बदलाव आना।
  • बार बार यूरिन आने की समस्या होना।
  • शरीर में दर्द व् ऐंठन महसूस होना।

गर्भावस्था के पहले महीने की डाइट

जैसा की हमने आपको ऊपर बताया की प्रेगनेंसी के दौरान महिला को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में महिला यदि चाहती है की महिला व् उसका होने वाला शिशु बिल्कुल स्वस्थ रहे तो इसके लिए जरुरी है की महिला अपने खान पान का अच्छे से ध्यान रखें। जैसे की महिला को अपने खाने पीने से जुडी इन बातों का ध्यान रखना जरुरी है।

डाइट न करें

गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ना सामान्य होता है ऐसे में महिला को अपने वजन को नियंत्रित रखने के लिए डाइट नहीं करने चाहिए। बल्कि अपनी डाइट में भरपूर पोषक तत्वों की शामिल करना चाहिए। लेकिन साथ ही इस बात का ध्यान रखना चाहिए की महिला को न तो जरुरत से ज्यादा खाना चाहिए न ही जरुरत से कम खाना चाहिए।

मिनरल्स ले भरपूर

प्रोटीन, आयरन, पोटैशियम, विटामिन्स व् अन्य मिनरल्स जो की प्रेगनेंसी के दौरान महिला के फिट रहने के लिए और शिशु के विकास के लिए जरुरी होते हैं। उन्हें मौसमी सब्जियों व् फलों के माध्यम से अपनी डाइट का अहम हिस्सा बनाना चाहिए। जाइए की यदि सर्दियां है तो गाजर, हरी सब्जियों का सेवन जरूर करना चाहिए।

डेयरी प्रोडक्ट्स लेना न भूलें

कैल्शियम व् मैग्नीशियम से भरपूर डेयरी प्रोडक्ट्स प्रेगनेंसी के दौरान माँ व् बच्चे दोनों के शारीरिक व् मानसिक विकास के लिए जरुरी होते हैं। ऐसे में डेयरी प्रोडक्ट्स को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।

दालें जरूर खाएं

सब्जियों के साथ दालों को भी अपनी डाइट का हिस्सा जरूर बनाएं। क्योंकि दालें प्रोटीन, आयरन, विटामिन जैसे पोषक तत्वों का अहम स्त्रोत होती है ऐसे में दिन में एक समय किसी न किसी दाल का सेवन जरूर करें।

बाहरी खाने से बचें

गर्भवती महिला को पैकेट वाला खाना, रोड साइड मिलने वाला खाना, जंक फ़ूड, बासी खाना, आदि से भी परहेज करना चाहिए। क्योंकि ऐसे खाने में किसी तरह के पोषक तत्व नहीं होते हैं। साथ ही ऐसे खाने को खाने से महिला को सेहत सम्बन्धी परेशानी जरूर हो सकती है। ऐसे में महिला को इससे परहेज करना चाहिए।

एलर्जी का ध्यान रखें

यदि किसी भी चीज को खाने पीने से महिला को किसी भी तरह की एलर्जी या दिक्कत हो रही है। तो महिला को ऐसे खाने से परहेज करना चाहिए। साथ ही महिला को एक बार इस बारे में डॉक्टर से भी राय जरूर लेनी चाहिए।

डॉक्टर द्वारा बताए गए विटामिन्स

गर्भावस्था के दौरान शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं हो इसके लिए महिला को डॉक्टर द्वारा कुछ विटामिन्स लेने की सलाह दी जाती है। ऐसे में महिला को उन विटामिन्स को समय से लेना चाहिए।

गर्भावस्था के पहले महीने में शिशु का विकास

प्रेगनेंसी के पहले महीने में ही गर्भ में शिशु के विकास की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। यदि आप भी माँ बनने के लक्षणों को अपने शरीर में महसूस कर रही हैं या फिर माँ बनने की ट्राई कर रही हैं तो आपको शिशु के विकास की प्रक्रिया के बारे में कुछ जानकारियां होना चाहिए। तो आइये अब जानते हैं की प्रेगनेंसी के पहले महीने में शिशु का विकास किस प्रकार और कितना होता है।

फर्टिलाइजेशन होता है

फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया सम्बन्ध बनाने के दो या तीन दिन बाद से शुरू हो सकती है। इस प्रक्रिया में शुक्राणुओं और अंडाणुओं का मिलन होता है और इसे निषेचन भी कहा जाता है। फर्टिलाइजेशन के शुरुआती समय में जब शुक्राणु और अंडाणु आपस में मिलते हैं तो एक युग्म बनता है जिसे की जाइगोट भी कहा जाता है।

प्रत्यारोपण की प्रक्रिया

निषेचन की प्रक्रिया होने के तुरंत बाद प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है जिसमे जाइगोट यानी युग्म फैलोपियन ट्यूब से गर्भाशय में प्रत्यारोपित हो जाता है और 4-6 दिनों के अंदर यह ढेरों कोशिकाओं में बंट जाता है। और उसके बाद यह एक गेंद का आकार लेती हैं जिसे ब्लास्टोसिस्ट कहा जाता है। यदि ब्लास्टोसिस्ट गर्भाशय की दीवार से अच्छे से चिपक जाए तो महिला की प्रेगनेंसी पूरी तरह से कन्फर्म हो जाती है।

गर्भ में शिशु का विकास

जैसे ही प्रत्यर्पण पूरा होता है वैसे ही गर्भ में एमनियोटिक सैक का निर्माण होता है। इसी दौरान गर्भनाल भी विकसित होने लगती है साथ ही शिशु के चेहरे का विकास भी शुरू हो जाता है। इसके अलावा शिशु का निचला जबड़ा और गला भी बनने शुरू हो जाते हैं। रक्त की कोशिकाएं बनने लगती हैं और शिशु तक ब्लड फ्लो की प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है। और आपको यह जानकर ख़ुशी होगी की प्रेगनेंसी के पहले महीने के अंत तक शिशु का दिल एक मिनट में लगभग 65 बार धड़कने लगता है। और पहले महीने के अंत तक शिशु का आकार लगभग एक चावल के दाने के बराबर हो जाता है।

गर्भावस्था के पहले महीने में बरतें यह सावधानियां

प्रेगनेंसी के दौरान जितना खान पान का ध्यान देना जरूरी है उतना ही महिला को सावधानियां बरतनी भी जरुरी है। क्योंकि थोड़ी सी गलती भी कई बार आपको दिक्कत में डाल सकती हैं। तो आएये अब जानते हैं की प्रेगनेंसी के दौरान महिला क्या सावधानियां बरतें।

  • भारी वजन न उठाएं।
  • तनाव न लें।
  • भूखी न रहें।
  • ज्यादा उछल कूद करने से बचें।
  • पेट पर ज्यादा दबाव नहीं डालें।
  • सम्बन्ध बनाने से बचें।
  • ज्यादा टाइट कपडे नहीं पहने।
  • ज्यादा भीड़भाड़ व् प्रदूषण वाली जगह पर जाने से बचें।
  • कोई भी शारीरिक समस्या होने पर डॉक्टर से मिलें।
  • बिना डॉक्टरी परामर्श के किसी दवाई का सेवन न करें।
  • गर्म पानी, सोना बाथ लेने से बचें।
  • ऊँची एड़ी के जूते चप्पल पहनने से बचें।
  • कच्चा अंडा, कच्चा पपीता, कच्चा मॉस, किसी भी तरह का नशा आदि से बचें।
  • लम्बी यात्रा पर न जाएँ।
  • एक ही बारी में पेट भर के खाने की बजाय थोड़ा थोड़ा करके खाएं।
  • किसी की नेगेटिव बातों पर ध्यान न दें।
  • हर किसी के द्वारा बताएं गए टिप्स को फॉलो न करने लग जाएँ।
  • पालतू जानवरों के संपर्क में आने से बचें।
  • ज्यादा व्यायाम नहीं करें।

तो यह है प्रेगनेंसी के पहले महीने में महिला को किन टिप्स को फॉलो करना चाहिए। लेकिन इसके साथ ही महिला को डॉक्टर से भी राय लेनी चाहिए और उनके शरीर के हिसाब से क्या सही है क्या नहीं है इसके बारे में जानना चाहिए। आशा करते हैं की यह जानकारी आपके लिए फायदेमंद होगी।

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