Fetal development

Fetal development


गर्भ में शिशु के आने की खबर के साथ ही महिला के सोचने के तरीके में बदलाव आ जाता है। क्योंकि अब महिला कुछ भी करने से पहले, कुछ भी खाने से पहले, केवल इसी बात के बारे में सोचती है की जो वो कर रही है वो बच्चे के लिए सही है या नहीं। और ऐसा करना जरुरी भी है क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान महिला जितना ज्यादा अपना ध्यान रखती है उतना ही शिशु को फायदा मिलता है।

साथ ही बच्चे के गर्भ में आने से लेकर बच्चे के जन्म के कुछ समय बाद तक भी बच्चे का विकास उसकी माँ पर ही निर्भर करता है। प्रेगनेंसी के एक से नौ महीने तक शिशु का विकास गर्भ में धीरे धीरे बढ़ता रहता है और जब शिशु पूरा विकसित हो जाता है तो उसका जन्म होता है।

गर्भ में तो शिशु के विकास को महिला देख नहीं पाती है लेकिन जन्म के बाद महिला शिशु के विकास को देख पाती है। आज इस आर्टिकल में हम गर्भ में शिशु के विकास से जुडी कुछ जानकारी आपको बताने जा रहे हैं। जिसे अधितर लोग जानना चाहते हैं की आखिर गर्भ में शिशु में जान कब आती है।

कब आती है भ्रूण में जान

एक महीने तक तो महिला को पता भी नहीं चलता है की महिला का गर्भ ठहरा है या नहीं लेकिन जब दूसरे महीने में जब महिला के पीरियड्स मिस हो जाते हैं। तब महिला घर में प्रेगनेंसी टेस्ट करती है जिससे यह जानने में मदद मिलती है की महिला प्रेग्नेंट हैं या नहीं।

यदि घर में प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव आता है तो उसके बाद महिला डॉक्टर के पास जाती है। और जब महिला डॉक्टर के पास जाती है तो डॉक्टर महिला को कुछ टेस्ट करवाने के लिए बोल सकते हैं। साथ ही छह से नौ हफ्ते की प्रेगनेंसी के बीच महिला को एक अल्ट्रासॉउन्ड करवाने की सलाह दी जाती है। और यह अल्ट्रासॉउन्ड गर्भ में शिशु के दिल की धड़कन आई है या नहीं इसके लिए लिए किया जाता है।

इस दौरान महिला चाहे तो डॉक्टर की मदद से शिशु के धड़कते दिल की आवाज़ सुन भी सकती है। अब जब इस दौरान शिशु के दिल की धड़कन आ जाती है तो इसका मतलब यही होता है की शिशु में जान आ गई है। और अब इसके बाद धीरे धीरे गर्भ में शिशु का विकास बढ़ने लगता है। पहले शिशु के अंगों की आकृतियां बनती है, धीरे धीरे उनमे मजबूती बढ़ती है और फिर वो अंग धीरे धीरे अपना काम भी करने लगते हैं।

तो यह हैं गर्भ में अंदर बच्चे में कितने महीने में जान आती है उससे जुडी जानकारी, ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान महिला को अपना अच्छे से ध्यान रखना चाहिए ताकि गर्भ में शिशु के बेहतर विकास और तेजी से विकास होने में मदद मिल सके।

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