गर्भ में शिशु की मूवमेंट ज्यादा होने के कारण?

गर्भ में शिशु के आने की खबर से महिला बहुत उत्साहित हो जाती है। और प्रेगनेंसी की शुरुआत से लेकर आखिर तक महिला हर वो काम करती है जिससे गर्भ में पल रहा शिशु पूरी तरह से स्वस्थ रहें। लेकिन यदि प्रेगनेंसी के सबसे खास मूवमेंट की यदि बात की जाए तो महिला के लिए वो मूवमेंट गर्भ में शिशु का पहली बार हलचल करना होता है।

क्योंकि जब शिशु मूवमेंट करता है, महिला को किक करता है तो इससे महिला को अपने शिशु के और ज्यादा करीब महसूस होता है। साथ ही शिशु का मूव करना इस बात का संकेत भी होता है की गर्भ में आपका शिशु स्वस्थ है। लेकिन कई बार देखने को मिलता है की गर्भ में शिशु ज्यादा मूव करने लगता है। क्या आप प्रेग्नेंट हैं और आपके साथ भी ऐसा हो रहा है? यदि हाँ, तो आइये अब इस आर्टिकल में हम आपको गर्भ में शिशु ज्यादा मूव कब करता है उसके बारे में बताने जा रहे हैं।

गर्भ में शिशु की मूवमेंट कब शुरू होती है?

माँ के गर्भ में पहले तीन महीने में शिशु के अंग बनने लगते हैं उसके बाद धीरे धीरे वह अंग काम करना शुरू कर देते हैं। बच्चे के हाथ पैर, सिर आदि मूव करने लगते हैं और प्रेगनेंसी के चौथे महीने के आखिर या पांचवें महीने के दौरान महिला को गर्भ में शिशु की हलचल महसूस होना शुरू हो जाती है।

माँ के पेट में शिशु के ज्यादा हलचल करने के कारण

गर्भ में पल रहा शिशु यदि मूव कर रहा है तो यह बात बहुत अच्छी होती है क्योंकि यह गर्भ में शिशु के स्वस्थ होने की और इशारा करता है। लेकिन कई बार शिशु ज्यादा मूव करने लगता है ऐसे में इसे लेकर महिला घबरा सकती है लेकिन ऐसे में घबराने की कोई बात नहीं होती है। तो आइये अब जानते हैं की गर्भ में शिशु के ज्यादा मूव करने के क्या कारण होते हैं।

प्रेगनेंसी का समय आगे बढ़ने के साथ

गर्भावस्था के चौथे या पांचवें महीने के आखिर में गर्भ में शिशु मूव करना शुरू कर देता है। और शुरुआत में महिला को यह हलचल बहुत कम समय के लिए महसूस होती है लेकिन जैसे जैसे प्रेगनेंसी का समय आगे बढ़ता है वैसे वैसे गर्भ में शिशु की मूवमेंट भी बढ़ने लगती है। और शिशु पहले की अपेक्षा दिन भर में ज्यादा समय और ज्यादा देर तक मूव करता है।

तेज आवाज़ होने पर

गर्भ में शिशु के अंग बनने के बाद धीरे धीरे उन अंगों का विकास शुरू हो जाता है और वो अंग काम भी करने लगते हैं। जैसे की गर्भ में शिशु की सुनने की क्षमता का विकास बढ़ने लगता है और शिशु बाहर की आवाज़ों को सुनने लगते हैं। ऐसे में यदि कभी गर्भवती महिला तेज आवाज़ में म्यूजिक सुनती है या ऐसी किसी जगह पर जाती है जहां पर तेज आवाज़ होती है तो तेज आवाज़ सुनकर गर्भ में शिशु चौंक जाता है घबरा जाता है जिसकी वजह से गर्भ में शिशु अचानक से ज्यादा मूवमेंट करना शुरू कर देता हैं।

रात के समय

रात के समय जब महिला आराम से बैठती है चारों तरफ शांति होती है तो भी महिला को गर्भ में शिशु की हलचल ज्यादा महसूस हो सकती है। क्योंकि दिन भर में काम करते हुए महिला को हलचल कम महसूस होती है लेकिन रात के समय जब महिला रिलैक्स होती है तो बच्चा गर्भ में ज्यादा घूमने लगता है जिसकी वजह से महिला को हलचल ज्यादा महसूस हो सकती है।

ज्यादा रौशनी होने पर

यदि गर्भ में गर्भ पर तेज रौशनी पड़ती है तो इसे भी गर्भ में पल रहा शिशु महसूस करता है और चौंक जाता है। जिसकी वजह से गर्भ में पल रहा शिशु ज्यादा मूव करना शुरू कर देता हैं।

शिशु से बातें करने पर

प्रेग्नेंट महिला जब गर्भ पर हाथ फेरती है शिशु से बातें करती है तो गर्भ में पल रहा शिशु भी इस पर प्रतिक्रिया दे सकता है। और यह प्रतिक्रिया शिशु अपनी मूवमेंट से देता हैं और गर्भ में ज्यादा मूव करना शुरू कर देता हैं।

तो यह हैं कुछ कारण जिनकी वजह से गर्भ में पल रहा शिशु ज्यादा मूव करना शुरू कर देता हैं। तो ऐसे में घबराने की कोई बात नहीं होती है बल्कि इससे यह पता चलता है की गर्भ में पल रहा शिशु एक्टिव और स्वस्थ हैं। लेकिन यदि महिला को गर्भ में शिशु की हलचल में कमी महसूस हो तो महिला को इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए क्योंकि यह चिंता का कारण होता है और ऐसे केस में महिला को तुरंत डॉक्टर से भी मिलना चाहिए ताकि किसी तरह की दिक्कत नहीं हो।

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