गर्भ में शिशु सांस कैसे लेता है?

माँ के पेट में बच्चे की दुनिया बहुत ही अलग होती है क्योंकि जिस तरह माँ अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को देख नहीं सकती है केवल उसे महसूस कर सकती है। उसी तरह बच्चा भी बाहर की गतिविधियों को महसूस कर सकता है और अपनी हलचल के माध्यम से उस पर प्रतिक्रिया देता है। गर्भ में बच्चा एक पानी की थैली में होता है जिसमे पूरे नौ महीने तक उसका विकास होता है। और जिस पानी में बच्चा होता है उसे एमनियोटिक फ्लूड कहा जाता है।

एमनियोटिक फ्लूड गर्भ में बच्चे के विकास के लिए बहुत जरुरी होता है। बच्चे के विकास को लेकर गर्भवती महिला के मन में बहुत से सवाल आते हैं। जैसे की गर्भ में बच्चे का विकास कैसे होता है? क्या बच्चा बाहर की चीजों को महसूस कर सकता है? क्या गर्भ में बच्चा सांस लेता है? आदि। तो आइये आज इस आर्टिकल में हम आपको गर्भ में बच्चा सांस लेता है या नहीं? इस बारे में बताने जा रहे हैं।

क्या गर्भ में बच्चा सांस लेता है?

गर्भ में बच्चा एमनियोटिक फ्लूड में होता है और बच्चे के विकास के लिए सभी जरुरी चीजें जैसे की बच्चे के विकास के लिए पोषक तत्व, रक्त व् ऑक्सीजन, सभी गर्भनाल द्वारा शिशु तक पहुंचाया जाता है। गर्भनाल वह नाल होती है जिससे माँ और बच्चा दोनों आपस में जुड़े होते हैं। और माँ जो भी खाती है, पीती है, बॉडी में ब्लड फ्लो होता है वह सभी उस नाल से शिशु तक पहुँचता है और महीने दर महीने शिशु का विकास बढ़ता है।

ऐसे में जब गर्भनाल में रक्त के साथ ऑक्सीजन शिशु तक पहुँचती है तो उसी नाल के माध्यम से कार्बन डाई ऑक्साइड बॉडी से बाहर निकलती है जो महिला द्वारा बॉडी से बाहर की जाती है। ऐसे में यह तो नहीं कहा जा सकता है की गर्भ में बच्चा सांस लेता है लेकिन बच्चे की सभी जरूरतें जब माँ द्वारा पूरी की जाती है तो गर्भ में पल रहे बच्चे की जगह सांस भी माँ ही लेती है।

गर्भ में बच्चा सांस कैसे लेता है?

माँ के गर्भ में जब बच्चा होता है तो शिशु के फेफड़ों में हवा नहीं होती है बल्कि शिशु के फेफड़ों में द्रव भरा होता है। ऐसे में शिशु के फेफड़े माँ के गर्भ में विकसित तो होते हैं लेकिन उस तरह काम नहीं करते हैं जैसे बच्चे के जन्म के बाद करते हैं। लेकिन गर्भ में शिशु की बॉडी में ऑक्सीजन का फ्लो होता है और कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर निकलती है। और यह गर्भनाल की मदद से होता है।

जैसे महिला सांस लेती है तो बॉडी में रक्त की मदद से जैसे महिला की बॉडी में ऑक्सीजन का फ्लो सभी अंगो तक होता है। वैसे ही शिशु के शरीर में गर्भनाल के माध्यम से रक्त के साथ ऑक्सीजन का प्रवाह होता है। जिससे शिशु का विकास लगातार होता रहता है। साथ ही कार्बन डाई ऑक्साइड भी गर्भनाल की मदद से महिले की सांस लेने की प्रक्रिया से बॉडी से बाहर निकल जाती है।

जन्म के बाद शिशु सांस कैसे लेता है?

अब हो सकता है की आपके मन में यह सवाल आये की जब शिशु गर्भ में सांस नहीं लेता है तो जन्म लेने के तुरंत बाद सांस कैसे लेता है। आप सभी को यह तो पता है की जन्म लेने के तुरंत बाद शिशु जोर से रोता है। और यदि शिशु नहीं रोता है तो उसे पीठ या तलवे पर थपकी देकर से रुलाने की कोशिश की जाती है।

ऐसा इसीलिए किये जाता है की शिशु जब रोता है तो वो जोर लगाता है जिससे फेफड़ों में मौजूद द्रव बाहर निकलता है और फेफड़ें अपना काम करने लगते हैं। और जब फेफड़ों में वायु के आने जाने का मार्ग खुल जाता है तो बच्चा अपने आप सांस लेना शुरू कर देता है। ऐसे में जन्म के बाद बच्चे के सांस लेने के लिए बच्चे का रोना बहुत जरुरी होता है।

तो यह हैं गर्भ में बच्चे के सांस लेने से जुडी कुछ बातें, यदि आप भी माँ बनने वाली है और आपका बच्चा किस प्रकार गर्भ में सांस लेता है। आप यह जानना चाहती है तो इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपके सवालों का जवाब मिलने में आपको मदद मिल सकती है।

 

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