रंगों का क्या महत्व है? और कौन सा रंग किसका प्रतीक है?

क्या आपने कभी रंगों के महत्व को जानने की कोशिश की है? या क्या आपने कभी सोचा है की आखिर रंगीन फूलों को देखते ही मन प्रफुल्लित क्यों हो जाता है? हरे भरे खेतों को देखकर क्यों हम अन्दर से ताजा-ताजा फील करते है? या दोस्ती की हाथ बढाने के लिए लाल गुलाब ही क्यों दिया जाता है पीला भी तो दिया जा सकता है? इन्द्रधनुष को देखने के लिए सभी इतने उत्साहित क्यों होते है? शायद नहीं क्योंकि बहुत कम लोग रंगों के महत्व को समझते है।holi skin care tips

जी हां, व्यक्ति के जीवन में रंगों का बहुत अधिक महत्व होता है। उसके कपड़ों से लेकर उसके आस पास की सभी चीजों में रंगों का सही बैलेंस होना बहुत जरुरी होता है। क्योंकि रंग ही हमारे स्वाभाव और हमारे व्यवहार को बना और बिगाड़ सकते है। अगर आप गौर करेंगे तो आपने देखा होगा जो लोग भडकीले और डार्क कलर्स अधिक पसंद करते है वे स्वभाव के नक्चड़े और गुस्सैल होते है जबकि हलके और कोमल रंग पहनने वाले स्वाभाव के सरल और मितभाषी होते है।

इसके अलावा आपने देखा होगा मंदिर आदि जैसी जगहों पर धार्मिक और हलके रंग किये जाते है जबकि पब और पार्टी करने वाले रेस्तरां में भड़कीले और डार्क रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि रंग बहुत खास होते है और इनका अपने आप ही अलग महत्व और अर्थ होता है। इसलिए आज हम आपको रंगों का महत्व और किस रंग का क्या अर्थ होता है इस बारे में बता रहे है। तो आइये जानते है रंगों के बारे में …

कौन से रंग का क्या अर्थ होता है?

पीले रंग का अर्थ :

पीले रंग को प्रकाश, ज्योति (लौ) और प्रसन्नता का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक रूप से भी इस रंग का खास महत्व होता है। बता दें पीले रंग को सूर्य का रंग भी कहा जाता है। इस रंग से व्यक्ति के मन में प्रकाश और ज्ञान फैलता है। यह रंग सकारात्मकता और चतुराई का संदेश भी देता है। इस रंग से व्यक्ति के विचारों में स्पष्टता आती है जिससे मन में सतर्कता बढती है। पीले रंग की मदद से मन की आध्यात्मिक उर्जा को भी बढाया जा सकता है।

वैज्ञानिक रूप से लिवर और त्वचा का रंग भी पीला होता है जिसके कारण यह शरीर में मौजूद सभी टोक्सिन्स / विषाक्त पदार्थों को दूर करने में बेहद उपयोगी होता है। ये रंग केवल सुन्दरता के लिए ही नहीं अपितु हमारे मनोभावों को भी बिना कुछ कहे व्यक्त कर देता है। स्त्रियों की काया में भी इसका खास योगदान होता है।

नारंगी रंग का अर्थ :

नारंगी रंग को राजसी एश्वर्य और वीरता का भी प्रतीक माना जाता है। इसलिए भारत के राष्ट्रिय ध्वज में भी इसका स्थान सबसे ऊपर आता है। इस रंग को खुशियों और उत्साह का प्रतीक भी माना जाता है। व्यक्ति की भावनाओं को सक्रिय करने के लिए इस रंग को बहुत प्रभावशाली माना जाता है। इसके अलावा नारंगी रंग स्वतंत्रता, ख़ुशी, ऊर्जा, सामाजिकता और सृजन का भी प्रतीक होता है।

धार्मिक रूप से भी इस रंग को बहुत शुभ माना जाता है। संत आदि महात्मा भी अपने वस्त्रों के लिए इसी रंग को चुनते है। इस रंग से वातावरण में सकारात्मकता फैलती है।

लाल रंग का महत्व :

लाल रंग को प्रेम, क्रोध और संघर्ष का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा हिन्दू धर्म में सुहाग का प्रतीक भी लाल रंग ही होता है। घर में किसी भी शुभ कार्य के लिए सबसे पहले लाल रंग का ही इस्तेमाल किया जाता है। फिर चाहे वो किसी के कपडे हो या पूजा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पुष्प। इसके अतिरिक्त पूजा में चढ़ाएं जाने वाले फलों में भी लाल रंग को महत्ता दी जाती है।

वैज्ञानिक दृष्टि से लाल रंग व्यक्ति के शरीर की उर्जा को प्रभावित करता है। यह रंग उत्प्रेरक, उत्तेजक और जोशीला होता है, जिसे देखते ही दिल की धड़कने तेज होने लगती है। लाल रंग को युद्ध के देवता का रंग भी कहा जाता है। खतरे और सावधानी को दर्शाने के लिए भी इसी रंग का इस्तेमाल किया जाता है क्यूंकि लाल रंग काफी अट्रेक्टिव होता है जो जिसे ऑंखें अपने आप ही ढूंढ़ लेती है। ये आँखों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसके अलावा महिलाएं सिंदूर और लिपस्टिक के लिए भी लाल रंग का इस्तेमाल करती है क्योंकि लाल रंग सेक्स और रोमांस का भी प्रतीक होता है।

गुलाबी रंग का महत्व :

गुलाबी रंग को प्रेम और रोमांस के लिए अच्छा माना जाता है। यह रंग कोमलता और सुन्दरता का भी प्रतीक होता है। और शायद इसलिए लड़कियों को यह रंग खूब भाता है। इसके अलावा अपने दिल के करीबी और प्रेमी को देने के लिए भी गुलाबी गुलाब की चुना जाता है क्योंकि इस रंग को देखते है वातावरण में भीनी भीनी से हवा चलने लगती है। गुलाबी रंग व्यक्ति की भीतरी उर्जा का संचार करता है और उसमे नेतृत्व की भावना को जगाता है। प्यार के इजहार के लिए भी गुलाबी रंग को ही चुना जाता है।

हरे रंग का महत्व :

हरे रंग को प्रकृति और हरियाली से जोड़ा जाता है क्योंकि खेत खलिहानों से लेकर बड़े बड़े पहाड़ों तक सभी हरे रंग में समाहित होते है। वसंत ऋतू के आगमन पर पूरा धरातल हरा-भरा हो जाता है। इस महीने में खेतों में हरे-पीले फूलों को कालीन सी बिछने लगती है। चिकित्सा की दृष्टि से इसे गहरी सास का रंग माना जाता है। मेंटल स्ट्रेस और बॉडी रिलैक्सेशन के लिए भी हरे रंग को बहुत प्रभावशाली माना जाता है।

इसके लिए आप जब भी परेशान हो या निराश हो तो किसी हरियाली वाली जगह जैसे दूर तक फैले खेत, फूल आदि पर चले जाएं। 2 से 3 मिनट के भीतर आपके मन का सारा स्ट्रेस दूर हो जाएगा। साथ ही आपमें पॉजिटिव एनर्जी का भी संचार होगा। इतना ही नहीं हरा रंग व्यक्ति के जीवन में भी हरियाली भर देता है और शायद इसलिए वसंत ऋतू आने पर कई जगह पर्व मनाए जाते है।

नीला रंग का अर्थ :

समुद्र और असमान दोनों का ही रंग नीला होता है। जो आँखों को खास शांति प्रदान करता है। इसके अलावा एकता, शांति, ठंडक, वफादारी और सतर्कता का प्रतीक भी इसी रंग को माना जाता है। यह मानसिक आराम देने का भी काम करता है। चित्रों में किया गया नीला कलर उन्हें रॉयल लुक देता है। नीला रंग हमारे मूड और मनोभावों पर अच्छा व् सकारात्मक प्रभाव डालता है। पश्चिम दिशा का सूचक नीला रंग होता है जो व्यक्तियों के मन की इच्छाओं को उजागर करके उसे ज्ञान और विज्ञान से जोड़ता है। मन की शांति और शरीर की ठंडक देने के लिए नीला रंग बहुत लाभकारी होता है।

सफ़ेद रंग का अर्थ :

सफ़ेद रंग को शांति का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा एकता, शुद्धता, सत्यता और उज्ज्वलता के प्रतीक भी सफ़ेद रंग ही होता है। सफ़ेद रंग के प्रयोग से व्यक्ति के मन की सभी बुरी भवनाएँ दूर हो जाती है। इसीलिए भारत के राष्ट्रिय ध्वज में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इस रंग को भोलेपन का भी प्रतीक माना जाता है जो मन को शांति प्रदान करता है। सफ़ेद रंग के इस्तेमाल से शरीर की आतंरिक प्रणाली का संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। पूजा के कमरों में इस रंग का प्रयोग करने से निर्मलता और शीतलता आती है।

काला रंग :

धार्मिक और वैज्ञानिक रूप से भारत के अधिकतर हिस्सों में इस रंग को शुभ नहीं माना जाता। क्योंकि यह रंग हमारे मनोभावों को दूषित करता है। इस रंग को बार-बार देखने से आँखों में भ्रम की स्थिति पैदा होता है। जो लोग काले रंग का ज्यादा इस्तेमाल करते है वे बहुत जल्दी गुस्सा हो जाते है (short temper)। इसलिए इस रंग का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए।

चिकित्सा में रंगों का महत्व :

आजकल के समय में दवाओं से ज्यादा डॉक्टर वैकल्पिक चिकित्सा प्रणाली का इस्तेमाल करने लगे है। जिसमे व्यक्तिओं को उनके आस पास मौजूद वस्तुओं और गतिविधियों से ठीक किया जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली में रंगों की सहायता ली जाती है। क्योंकि ये बात स्पष्ट हो चुकी है की रंग व्यक्ति के शरीर पर ही नहीं अपितु मन को भी प्रभावित करते है। रंग चिकित्सकों का मानना है की शरीर के हर अंग और प्रणाली की अपनी अलग विशेषताएं और विशेष ऊर्जा होती है जिन्हें रंगों की मदद से उत्तेजित और शिथिल किया जा सकता है। व्यक्ति अपने आस पास और अपने कपड़ों के रंगों में बदलाव करके अपने सुख और स्वास्थ्य में समृद्धि ला सकते है।


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