नवजात शिशु की देखभाल के लिए 10 टिप्स

प्रेगनेंसी के पूरे नौ महीने का इंतज़ार ख़त्म होने के बाद जब आपकी नन्ही सी जान आपकी गोद में आती है तो वो ख़ुशी दुनिया की सब खुशियों से ऊपर होती है। क्योंकि जिस नन्ही सी जान को आपअपने गर्भ में सींच रही थी वो अब आपके बहुत करीब होता है। और जब आप उसे गोद में उठाती हैं तो उसकी मुस्कान, उसका कोमल शरीर, आपको सब कुछ आकर्षित करने लगता है।

लेकिन उसके साथ ही मन में बहुत सी बातें भी होती है की बच्चे को कैसे नहलाना है, सुलाना है, दूध पिलाना है, आदि। लेकिन यह परेशान होने की बात नहीं होती है क्योंकि धीरे धीरे आपको सब समझ आने लगता है। तो आइये अब इस आर्टिकल में हम आपको नवजात शिशु की देखभाल के लिए कुछ टिप्स बताने जा रहे हैं। परन्तु उससे पहले जानते हैं की आपको बच्चे की देखभाल के लिए किन किन चीजों की जरुरत पड़ सकती है।

नवजात की केयर के लिए जरुरी सामान

  • एक पिल्लो जिस पर लिटाकर आप शिशु को दूध पिला सकें।
  • शिशु के लिए आरामदायक कपडे जैसे की मोज़े, दस्ताने, बनियान, लंगोट, टी शर्ट, पजामी, आदि, बिछोने, तौलिया, आरामदायक और कोमल सा कम्बल, आदि।
  • डाइपर भी जरूर लेकर आएं।
  • शिशु के लिए झूला, मच्छर से बचाने वाली जाली, आदि।
  • बेबी वाइप्स, क्रीम, नहाने का साबुन, शैम्पू, बेबी बाथ टब, आदि।
  • अगर बच्चा स्तनपान नहीं करें तो उसके लिए फीडिंग बोतल एक से ज्यादा लेकर आएं।

छोटे बच्चे की देखभाल के लिए टिप्स

जब बच्चा जन्म लेता है तो ख़ुशी होने के साथ मन में टेंशन भी होता है की क्या मैं अपने बच्चे की अच्छे से देखभाल कर पाऊँगी या नहीं। लेकिन ऐसे में महिला को दिक्कत लेने की जरुरत नहीं होती है बल्कि बच्चे के साथ महिला को अपना टाइम एन्जॉय करना चाहिए क्योंकि जब आपके पास बच्चा होता है तो आप उसकी केयर करना सीख जाती है और फिर दूसरों को भी राय देने लगती हैं की बच्चा कैसे पालना चाहिए। तो आइये अब बेबी की देखभाल के कुछ टिप्स जानते हैं।

स्तनपान कैसे और कितना करवाएं?

जब आप बच्चे को फीड करवाती है तो सबसे पहले तो आपको आरामदायक पोजीशन में बैठना चाहिए ताकि आपको कोई दिक्कत नहीं हो और बच्चा जब तक दूध पीना चाहता है आराम से पी सकें। इसके लिए आप एक पिलो का इस्तेमाल करें और पिल्लो को गोद में रखकर बच्चे को उसपर लिटाएं और दूध पिलाएं। उसके बाद बच्चे को आपको जब तक दूध पिलाना चाहिए जब तक की बच्चा दूध पीना खुद बंद नहीं करता है।

साथ ही आपको दोनों ब्रेस्ट से बच्चे को दूध पिलाना चाहिए। पहले दो तीन महीने तक बच्चे को हर दो से तीन घंटे में दूध पिलाना चाहिए। उसके बाद बच्चे के रोने से आपको यह पता चलने लगता है की बच्चा भूखा है ऐसे में आप उसे दूध पीला सकती है। फिर जब बच्चा छह महीने का हो जाता है तो बच्चे को दूध के साथ आपको थोड़ा साबुत आहार भी देने शुरू करना चाहिए।

दूध पिलाने के बाद डकार जरूर दिलाएं

जब आपका बच्चा दूध पीना बंद कर देता हैं तो आपको बच्चे को कंधे से लगाकर हल्के हाथ से थपथपाना चाहिए ताकि बच्चा डकार ले सकें। डकार लेने से बच्चे का दूध हज़म हो जाता है और यदि बच्चा डकार नहीं लेता है तो बच्चे को उल्टी, पेट में दर्द व् गैस बनने की समस्या अधिक हो सकती है।

शिशु को उठायें कैसे

शिशु बहुत ही नाजुक होता है और शुरुआत में जब उसकी गर्दन नहीं लगी होती है तो उसकी बहुत प्यार से उठाना चाहिए केयर से उठाना चाहिए। आप शिशु को उठाने के लिए शिशु की गर्दन और सिर के बीच उँगलियों को फैलाते हुए उठाएं इससे सिर और गर्दन को स्पोर्ट मिलता है। साथ ही बच्चे को हवा में ऊपर की तरफ उछालना, बच्चे को अचानक से बिना सहारे के उठाना लेना आदि नहीं करना चाहिए।

मालिश करें

आपको बच्चे के जन्म के बाद स्वयं या घर में किसी से रोजाना शिशु को नहलाने से पहले मालिश जरूर करवानी चाहिए। इससे शिशु को आराम मिलता है साथ ही शिशु के अंगों को मजबूती मिलती है और मालिश करवाने के बाद शिशु आराम से सोता भी है।

बच्चे को नहलाएं कैसे

बच्चे को नहलाना महिलाओं के लिए सबसे मुश्किल होता है क्योंकि बच्चा इतना नाजुक होता है की कई बार महिला को डर लगता है कहीं बच्चा फिसल कर गिर नहीं जाये। ऐसे में महिला को बिना डर के शिशु को नहलाना चाहिए या तो आप शिशु को बेबी बाथ टब में लिटाएं और उसके सिर व् गर्दन के बीच हाथ रखकर उसका सिर थोड़ी ऊपर करें और फिर थोड़ा थोड़ा पानी डालकर नहलाएं।

पानी के तापमान का खास ध्यान रखें की न तो पानी ज्यादा गर्म होना चाहिए और न हो ज्यादा ठंडा होना चाहिए। उसके बाद शिशु को टॉवल में लपेटकर अच्छे से साफ़ करें और पाउडर का इस्तेमाल करने के बाद उसे कपडे पहनाएं। या फिर शिशु को आप अपने पंजी और ऊपर उठाते हुए अपने पैरों पर बिठाएं और उसके सिर व् गर्दन के बीच हाथ देकर सहारा दें उसके बाद धीरे धीरे पानी कस इस्तेमाल करते हुए शिशु को नहलाएं। जो भी तरीका आपको आसान लगे आप उसी तरीके का इस्तेमाल करके शिशु को नहला सकते हैं।

बच्चे की नाभि का ध्यान रखें

माँ के गर्भ में शिशु नाभि की मदद से ही जुड़ा होता है और बच्चे के जन्म के बाद उसे गर्भनाल से अलग करने के लिए काट दिया जाता है। उसके बाद धीरे धीरे वह सूख जाता है ऐसे में महिला को ध्यान रखना चाहिए की महिला नाभि का वो हिस्सा जब तक सूख नहीं जाता है उसके आस पास की सफाई का ध्यान रखें ताकि बच्चे को संक्रमण से बचे रहने में मदद मिल सकें। इसके अलावा उसके बाद भी नाभि की साफ़ सफाई का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि नाभि यदि साफ़ नहीं होती है तो इससे शरीर में बहुत सी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।

डाइपर का भी ध्यान रखें

आजकल डाइपर का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होना शुरू हो गया है लेकिन जितना हो सके बच्चे को घर में डाइपर नहीं पहनाना चाहिए। क्योंकि इससे रैशेस होने का खतरा होता है जिससे शिशु को बहुत परेशानी होती है। साथ ही जब भी आप बच्चे को डाइपर पहनाएं तो बच्चे को सुखाकर पाउडर का इस्तेमाल करके डाइपर पहनाएं। और हर पांच से छह घंटे में शिशु का डाइपर बदल देना चाहिए। इसके अलावा बीच बीच में शिशु को चेक करते रहना चाहिए क्योंकि यदि शिशु पॉटी करदे और लम्बे समय तक आप उसे चेच नहीं करें तो इससे इन्फेक्शन होने का डर रहता है।

समय पर करवाएं टीकाकरण

बच्चे को तीन महीने तक बहुत सी वैक्सीन लगती है जिससे शिशु को संक्रमण से बचे रहने में मदद मिलती है ऐसे में आप शिशु को सुरक्षित रखने के लिए समय से वैक्सीन लगवाएं।

बच्चे को कितना सुलाएं

आपको यह जानकर हैरानी होगी की नवजात शिशु दिन भर में अठारह से बाइस घंटे तक सो सकता है। ऐसे में आपको इसे लेकर घबराना नहीं चाहिए लेकिन शिशु को लम्बे समय तक भूखा सोने नहीं देना चाहिए। और हर दो से तीन घंटे में शिशु को उठाकर दूध पिलाते रहना चाहिए।

शिशु के नाख़ून कैसे काटें

छोटे बच्चे के नाख़ून बहुत जल्दी बढ़ते हैं ऐसे में आपको बच्चे के नाख़ून की साफ़ सफाई का ध्यान रखना चाहिए। और बच्चे के नाखूनों को काटते रहना चाहिए। नाख़ून काटने के लिए आप बच्चों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले नेल कटर का इस्तेमाल कर सकते हैं साथ ही नाख़ून काटते समय तेजी नहीं करें।

तो यह हैं कुछ टिप्स जो नवजात शिशु की केयर में आपकी मदद कर सकते हैं यदि आपने भी अभी अभी एक नन्हे शिशु को जन्म दिया है या देने वाली हैं तो आप भी इन टिप्स का ध्यान रखें। इसके अलावा बदलते मौसम के साथ शिशु की केयर में थोड़ा बहुत बदलाव भी आता है तो आपको उसका भी खास ख्याल रखना चाहिए ताकि शिशु को कोई दिक्कत नहीं हो।

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