प्रेगनेंसी का ये डेंजर साइन होता है

प्रेगनेंसी का डेंजर साइन, गर्भावस्था किसी भी महिला के लिए ऐसा समय होता है जहां महिला का अपना बहुत ज्यादा ध्यान रखने की जरुरत होती है। क्योंकि अब महिला अकेली नहीं होती है बल्कि गर्भ में पल रहा शिशु भी अपने विकास के लिए पूरी तरह से अपनी माँ पर ही निर्भर करता है। इसीलिए महिला द्वारा बरती गई थोड़ी सी लापरवाही केवल महिला पर ही नहीं बल्कि शिशु पर भी नकारात्मक असर डाल सकती है। साथ ही इस दौरान महिला के शरीर में बहुत सी शारीरिक परेशानियां भी होती हैं।

जिनकी वजह से प्रेग्नेंट महिला काफी हद तक परेशान भी हो सकती है। लेकिन कुछ ऐसी परेशानियां होती है। जो गर्भावस्था के दौरान खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसे में गर्भवती महिला को लापरवाही न बरतने के साथ शरीर में होने वाले बदलाव का भी ध्यान रखना चाहिए। ताकि महिला को किसी भी तरह की दिक्कत न हो। और गर्भ में शिशु का विकास भी अच्छे से हो सके। तो आइये अब जानते हैं की प्रेगनेंसी के डेंजर साइन कौन कौन से होते हैं।

प्रेगनेंसी का डेंजर साइन होता है ब्लीडिंग

  • प्रेगनेंसी के दौरान हल्का फुल्का खून के धब्बा महसूस होना आम बात होती है।
  • लेकिन कई बार खून के धब्बे लगने के साथ पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस हो।
  • ब्लीडिंग की समस्या बढ़ने लगे, तो इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।
  • क्योंकि प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में ब्लीडिंग का होना गर्भपात का लक्षण हो सकता है।

पेट व् पीठ में तक दर्द

  • गर्भावस्था के दौरान मांसपेशियों में खिंचाव और गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण महिला को पेट व् पीठ में दर्द की थोड़ी बहुत परेशानी हो सकती है।
  • लेकिन यदि पेट व् पीठ का दर्द बढ़ने लगे तो इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।
  • क्योंकि प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में ऐसा होना एक्टोपिक प्रेगनेंसी या गर्भपात का लक्षण हो सकता हैं।
  • तीसरी तिमाही में भी यदि आपको पेट व् पीठ में दर्द अधिक होती है।
  • तो ऐसा होना समय पूर्व प्रसव या पूरे समय पर प्रसव होने का संकेत हो सकता है।

प्रेगनेंसी का डेंजर साइन होता है भूख में कमी

  • बॉडी में होने वाले हार्मोनल बदलाव व् शारीरिक परेशानियों के अधिक होने के कारण हो सकता है की प्रेग्नेंट महिला को भूख कम लगे।
  • लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है की गर्भवती महिला अपने खान पान में किसी तरह की लापरवाही करें।
  • क्योंकि खान पान में लापरवाही बॉडी में पोषक तत्वों की कमी कर सकती है।
  • जिसके कारण शिशु का स्वास्थ्य व् सेहत सम्बन्धी समस्या और गर्भवती महिला की शारीरिक परेशानियां बढ़ सकती है।

शिशु के वजन में कमी

  • प्रेगनेंसी के पांचवे महीने के अल्ट्रासॉउन्ड के दौरान शिशु के गर्भ में वजन के बारे में आपको बताया जाता है।
  • वजन के सही होना जहां अच्छी बात होती है वहीँ शिशु के वजन में कमी परेशानी का विषय हो सकता है।
  • ऐसे में महिला को अपने खान पान का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए ताकि इस परेशानी को दूर करने में मदद मिल सके।

वजन

  • प्रेगनेंसी के दौरान महिला का वजन ग्यारह से सोलह और यदि गर्भ में जुड़वाँ शिशु हैं तो अठारह किलो तक बढ़ सकता है।
  • लेकिन यदि महिला का वजन बहुत अधिक बढ़ रहा है तो यह परेशानी का विषय हो सकता है।
  • क्योंकि वजन का बढ़ना न केवल महिअ की शारीरिक दिक्कतों को बढ़ा सकता है बल्कि इससे शिशु को भी दिक्कत हो सकती है।
  • डिलीवरी के दौरान भी वजन बढ़ने के कारण महिला को परेशानी हो सकती है।

प्रेगनेंसी का डेंजर साइन होता है तनाव

  • कुछ गर्भवती महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान तनाव ले लेती हैं।
  • तनाव लेने का कारण महिला के शरीर में होने वाले बदलाव व् शारीरिक समस्याएं हो सकती है।
  • लेकिन फिर भी गर्भवती महिला को तनाव लेने से बचना चाहिए।
  • क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान तनाव लेना गर्भवती महिला की परेशानियों को बढ़ाने के साथ शिशु के शारीरिक व् मानसिक विकास में कमी का कारण बन सकता है।

शिशु की मूवमेंट

  • गर्भ में शिशु की हलचल गर्भवती महिला के लिए प्रेगनेंसी का सबसे बेहतरीन लम्हा होता है।
  • लेकिन यदि कभी महिला को ऐसा महसूस हो की बहुत देर से गर्भ में शिशु हलचल नहीं कर रहा है।
  • तो प्रेग्नेंट महिला को इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।
  • क्योंकि यह प्रेगनेंसी के दौरान एक बहुत बड़ा रिस्क हो सकता है ।
  • ऐसे में गर्भवती महिला को तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।

ब्लड प्रैशर

  • गर्भवती महिला प्रेगनेंसी के दौरान बहुत सी शारीरिक परेशानियों का सामना करती है।
  • जिनमे से एक दिक्कत ब्लड प्रैशर के बढ़ने या कम होने की भी हो सकती है।
  • यदि गर्भवती महिला को ब्लड प्रैशर से जुडी समस्या अधिक रहती है।
  • तो यह भी प्रेगनेंसी में एक खतरनाक सिगनल होता है।
  • इसीलिए प्रेग्नेंट महिला को अपने ब्लड प्रैशर की जांच करवाते रहने चाहिए।
  • ताकि गर्भवती महिला को हर दिक्कत से बचे रहने में मदद मिल सके।

प्रसव का संकेत

  • डिलीवरी से पहले बॉडी बहुत से संकेत देती है।
  • लेकिन डिलीवरी के लिए दी गई तारीख के निकल जाने के बाद भी बॉडी यदि कोई संकेत नहीं देती है तो इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।
  • क्योंकि इससे गर्भ में शिशु को रिस्क ही सकता है साथ ही ऐसे केस में सिजेरियन डिलीवरी होने के चांस भी बढ़ जाते हैं।

प्रेगनेंसी में कॉम्प्लीकेशन्स

  • यदि प्रेग्नेंट महिला को पहले गर्भपात हुआ तो महिला की प्रेगनेंसी थोड़ी रिस्की हो सकती है।
  • उम्र अधिक होने पर महिला ने गर्भधारण किया है तो भी प्रेगनेंसी में खतरा ज्यादा होता है।
  • किसी प्रेग्नेंट महिला को यदि शारीरिक परेशानियां अधिक होती है तो भी प्रेगनेंसी रिस्की हो सकती है।
  • गर्भ में एक से ज्यादा शिशु होने पर भी प्रेगनेंसी में थोड़ा खतरा हो सकता है।
  • गर्भाशय कमजोर होने के कारण भी प्रेगनेंसी में परेशानियां आ सकती है।
  • प्रेग्नेंट महिला यदि प्रेगनेंसी के दौरान अपना ध्यान रखने की बजाय लापरवाही करती है तो भी प्रेगनेंसी में खतरा हो सकता है।

तो यह हैं प्रेगनेंसी के दौरान किन लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए उससे जुड़े टिप्स। तो यदि आप भी गर्भवती हैं तो इन बातों का ध्यान रखें ताकि प्रेगनेंसी के दौरान आपको हर दिक्कत से बचाव होने में मदद मिल सके।

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