प्रेगनेंसी के दौरान गर्भ में पल रहे शिशु में होते है ये बदलाव

प्रेगनेंसी को यदि दुनिया का सबसे खास और प्यारा अनुभव कहा जाए तो गलत नहीं होगा। क्योंकि इस दौरान महिला पूरे नौ महीने गर्भ में एक नन्ही जान को रखती है। हर पल, हर समय शरीर में हो रहे नए बदलाव का अनुभव करती है। जैसे ही महिला को पता चलता है की वो माँ बनने वाली है, तो अपने आप ही उसमे मातृत्व की झलकियां दिखनी शुरू हो जाती है। गर्भ में पल रहे शिशु का अभी जन्म भी नहीं होता, लेकिन माँ अपने मन में अपने शिशु के लिए सपने संजोना शुरू कर देती है।

गर्भ में पल रहा शिशु जब अपनी मूवमेंट को शुरू करता है, जो की महिला प्रेगनेंसी के पांचवे हफ्ते में महसूस करना शुरू कर देती है। जैसे की बच्चे का लात मारना, घूमना, आदि। इस पल को केवल एक माँ ही महसूस करती है। तो आइये आज हम आपको महिला को प्रेगनेंसी के दौरान गर्भ में हो रहे शिशु के विकास से जुडी कुछ बातें बताते है। जो की शायद हर माँ के मन का सवाल होता है की शिशु का गर्भ में विकास कैसे होता है।

प्रेगनेंसी के दौरान पहली तिमाही में होने वाले बदलाव:-

प्रेगनेंसी का पहला महीना:-

प्रेगनेंसी के पहले महीने में पीरियड्स मिस होने के बाद आप अपने घर में टेस्ट करके या अपने डॉक्टर से चेक करवाकर पता करते है की आप प्रेग्नेंट है। और आप ऐसा अपने पीरियड्स खत्म होने के चौथे हफ्ते के बाद चेक कर सकते है। यदि आप प्रेग्नेंट है तो इस समय भ्रूण बनता है और उसमे केवल दो कोशिकाएं होती है।

प्रेगनेंसी का दूसरा महीना:-

इस दौरान महिला के शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलाव के कारण नए नए प्रेगनेंसी के लक्षण दिखाई देते है। जैसे की सुबह उठने में दिक्कत होना, मन मचलाना, बार बार यूरिन पास करने की इच्छा होना, सर में भारीपन, आदि। यह लक्षण हर महिला के हार्मोनल बदलाव पर निर्भर करते है। दूसरे महीने में आपके बेबी का दिल धड़कना शुरू करता है। और उसका मानसिक विकास या मस्तिष्क भी बन जाता है।

प्रेगनेंसी का तीसरा महीना:-

प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में भ्रूण पूरा विकसित हो जाता है, और इस महीने में महिलाओ को सुबह उठने पर सर में भारीपन आदि से भी छुटकारा मिल जाता है। और साथ ही शिशु का विकास होता है और प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में भ्रूण का आकार एक बेर जितना हो जाता है। साथ ही अब भ्रूण मुड़ना, जम्हाई लेना, आंखे घूमना, हिचकी लेना भी शुरू कर देता है।

प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही:-

प्रेगनेंसी का चौथा महीना:-

चौथे महीने के शुरू होते ही प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही शुरू हो जाती है। और गर्भ में पल रहे शिशु का विकास तेजी से होने लगता है। बच्चे की हड्डियां, और कोशिकाएं मजबूत होने लगती है। और यह आप देखना चाहे तो अल्ट्रासाउंड मदद से देख भी सकते है। इस दौरान बच्चा पांच इंच लम्बा हो जाता है और उसका वजन भी पांच औंस के बराबर हो जाता है।

प्रेगनेंसी का पांचवा महीना:-

इस महीने में माँ एक नया अनुभव लेती है क्योंकि गर्भ में पल रहा शिशु अब कई बार आपको लात मरता है, जिसका अहसास माँ कर सकती है। लेकिन इस महीने में महिलाओ को कुछ परेशानी भी हो सकती है जैसे की खट्टी डकार आना, जलन महसूस होना, पीठ में दर्द की परेशानी, सर दर्द होना, कब्ज़, पानी की अधिक प्यास लगना, आदि। क्योंकि शिशु का विकास और तेजी से होने लगता है।

प्रेगनेंसी का छठा महीना:-

प्रेगनेंसी का छठा महीना यह बताता है की आपकी आधी प्रेगनेंसी बीत चुकी है। और इस महीने में शिशु के सभी अंग अच्छे से विकसित हो जाते है। और शिशु पूरा बन जाता है। लेकिन उसका आकार अभी छोटा होता है और उसका विकास अगले महीनो में अच्छे से होता है।

प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही:-

प्रेगनेंसी का सातवां महीना:-

इस महीने में शिशु के साथ संकुचन की गतिविधियां शुरू हो जाती है, ऐसे में गर्भ में पल रहा शिशु बाहर की आवाज़ को सुन सकता है, और लाइट को महसूस कर सकता है। और इस महीने में शिशु का आकार लगभग 13 इंच तक बढ़ जाता है, जिसके कारण शिशु की मूवमेंट का आप ज्यादा अनुभव ले सकती है।

प्रेगनेंसी का आठवां महीना:-

प्रेगनेंसी के आठवे महीने में शिशु का वजन भी अच्छे से बढ़ जाता है, ऐसे में शिशु के विकास के लिए माँ को अपने आहार का पूरा ध्यान देना चाहिए। और इस समय तक गर्भ में पल रहे शिशु के फेफड़ों का भी अच्छे से विकास हो जाता है।

प्रेगनेंसी का नौवा महीना:-

अब वो समय और पास आ जाता है जब आपका शिशु आपके हाथों में आने वाला होता है। और इस समय आपको बच्चे का आकार बढ़ने के कारण ज्यादा परेशानियां हो सकती है, क्योंकि इस समय शिशु को जगह कम होने के कारण वो अधिक संकुचन करने लगता है। जिससे आपको पीठ दर्द, व् सोने में परेशानी हो सकती है। उसके बाद जब भी आपको ऐसा लगे की आपको जायदा समस्या हो रही है तो आपको अपने डॉक्टर के पास बिना देरी किया जाना चाहिए।

तो यदि आप भी इस खास अनुभव को लेने वाली है तो आप भी इन टिप्स को पढ़कर जान सकती है। और इनसे आपको यह भी पता चलता हैकि कैसे एक जान अपने अंदर एक नई जान को रखती है। साथ ही प्रेगनेंसी के दौरान महिला को अपना अच्छे से ख्याल भी रखना चाहिए, ताकि महिला और शिशु दोनों को ही स्वस्थ रहने में मदद मिल सकें। और आपका नन्हा मेहमान हष्ट पुष्ट, तंदरुस्त, और बुद्धिमान हो।

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