प्रेगनेंसी में व्रत रखने के नुकसान

साल भर में जिस तरह से बहुत से त्यौहार आते हैं उसी तरह से बहुत से व्रत भी आते है जैसे की करवाचौथ, अहोई अष्टमी, नवरात्रि, आदि। साथ ही कुछ महिलाएं सोमवार, वीरवार, शुक्रवार आदि का भी व्रत करती है। और व्रत रखना उनके लिए उनके श्रद्धा भाव और विश्वास को भगवान के प्रति दर्शाता है। लेकिन व्रत व् उपवास रखने का फायदा तभी होता है जब आप शारीरिक रूप से स्वस्थ हो, क्योंकि यदि आप बीमार है और व्रत रख रहें हैं तो इसके कारण आपकी सेहत को नुकसान हो सकता है। इसीलिए बच्चे, बुजुर्ग, बीमार व्यक्ति, प्रेग्नेंट महिला व्रत न भी करे तो भी चलता है। क्योंकि इन्हे व्रत रखने के कारण परेशानी हो सकती है। और प्रेग्नेंट महिला तो अकेली नहीं होती है बल्कि उसके गर्भ में पल रहा शिशु भी उसी पर निर्भर करता है। ऐसे में यदि महिला उपवास रख लेती है तो इससे शिशु को भी पोषण नहीं मिल पाता है।

गर्भावस्था में व्रत रखने के नुकसान

प्रेगनेंसी के दौरान कोई जरुरी व्रत हो तो उसे गर्भवती महिला अपना अच्छे से ध्यान रखकर कर सकती है, लेकिन पूरा दिन भूखे प्यासे रहकर उपवास नहीं करना चाहिए। यदि गर्भवती महिला कुछ ज्यादा ही व्रत करती है तो इसके कारण महिला को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। तो आइये जानते हैं की प्रेग्नेंट महिला को व्रत रखने से कौन से नुकसान हो सकते हैं।

पोषण की कमी

व्रत रखने के बाद खान पान में कमी तो आ ही जाती है, लेकिन प्रेग्नेंट महिला का स्वस्थ रहना और गर्भ में शिशु का विकास महिला के खान पान पर ही निर्भर करता है। ऐसे में व्रत रखने पर महिला सभी पोषक तत्वों का सेवन नहीं कर पाती है जिसके कारण महिला को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या जैसे की खाली पेट रहने पर गैस बनना, सर दर्द, चक्कर आदि की समस्या हो सकती है।

पानी की कमी

यदि आप व्रत के दौरान पानी का सेवन भरपूर मात्रा में नहीं करती है तो इसके कारण डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। और गर्भवती महिला के शरीर में पानी की कमी थकान व् कमजोरी जैसी समस्या को बढ़ाने के साथ गर्भ में पल रहे शिशु को भी दिक्कत में डाल सकती है।

गेस्टेशनल शुगर

व्रत का ज्यादातर खाना मीठा ही होता है और अधिक मीठे का सेवन गर्भवती महिला के ब्लड में शुगर के लेवल को बढ़ा सकता है। जिसके कारण महिला को प्रेगनेंसी के दौरान गेस्टेशनल शुगर जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

कमजोरी व् थकान

गर्भवती महिला यदि व्रत रखती है तो हो सकता है की दिन में महिला का अच्छा टाइम पास हो रहा हो लेकिन जैसे जैसे समय आगे बढ़ता है। महिला की भूख में वृद्धि हो सकती है, ऐसे में जरुरत के अनुसार आहार न मिलने के कारण महिला को थकान व् कमजोरी जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

ब्लड प्रेशर

यदि गर्भवती महिला तनाव, शुगर जैसी परेशानी से ग्रसित है तब तो महिला को बिल्कुल भी व्रत नहीं करना चाहिए क्योंकि यदि महिला ऐसी अवस्था में व्रत रखती है। तो इसके कारण गर्भवती महिला को ब्लड प्रेशर बढ़ने जैसी समस्या से परेशान होना पड़ सकता है।

शिशु का विकास

व्रत अधिक रखने के कारण गर्भवती महिला को पोषक तत्व भरपूर मात्रा में नहीं मिल पाते हैं जिसके कारण शिशु का विकास भी प्रभावित होता है। रिसर्च के अनुसार जो महिला प्रेगनेंसी के दौरान अधिक व्रत रखती है उन महिला के बच्चों में सीखने की क्षमता में कमी, जन्म के समय होने वाली बीमारियों का खतरा अधिक रहता है।

प्रेग्नेंट महिला व्रत रखते समय इस बात का ध्यान रखें

कई बार प्रेग्नेंट महिला को किसी व्रत को रखने की बहुत अधिक इच्छा हो सकती है ऐसे में महिला यदि व्रत रखती है। तो व्रत रखने के दौरान महिला को बहुत सी बातों का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की प्रेग्नेंट महिला यदि व्रत रखती है तो उसे कौन कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • निर्जल उपवास न करें और पूरा दिन भूखा न रहें।
  • व्रत रखने पर थोड़े- थोड़े समय बाद फलों, दूध, ड्राई फ्रूट, आदि का सेवन करते रहना चाहिए।
  • व्रत रखने के बाद दिन में भी थोड़ा आराम करना चाहिए।
  • खाने पीने की चीजों में अधिक मीठा युक्त आहार या ज्यादा तला भुना नहीं खाना चाहिए।
  • पानी व् अन्य तरल पदार्थ जैसे जूस, नारियल पानी आदि का भरपूर सेवन करना चाहिए।
  • व्रत के दौरान चाय कॉफ़ी का अधिक सेवन करने से बचना चाहिए।
  • लम्बे समय तक चलने वाले व्रत जैसे नवरात्रि, रमजान आदि तो रखने से गर्भवती महिला को बचना चाहिए।
  • यदि आपको व्रत रखने के बाद ऐसा महसूस हो की व्रत रखने के कारण आपकी तबियत ज्यादा खराब हो रही है तो आपको उसी समय व्रत को तोड़ देना चाहिए।

तो यह हैं कुछ टिप्स जिनका आपको व्रत रखते समय ध्यान रखना चाहिए, साथ ही महिला को व्रत रखने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर राय लेनी चाहिए। ताकि आपको पता चल सके की आपके स्वास्थ्य के हिसाब से प्रेगनेंसी के दौरान आपको व्रत करना भी चाहिए या नहीं। यदि डॉक्टर आपको हाँ कहे तो आप पूरी सावधानी से व्रत कर सकती है, लेकिन यदि डॉक्टर आपको व्रत न करने की सलाह दे तो व्रत करने से बचना चाहिए।

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