अबॉर्शन के बाद माँ बनने में क्या दिक्कत आती है

माँ बनना जितना सुखद अहसास होता है उतना ही दुखद महिला का गर्भपात होना होता है। क्योंकि अबॉर्शन के बाद महिला केवल शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी परेशानी का अनुभव करती है। खासकर जो महिला गर्भधारण करना चाहती थी उसके लिए गर्भपात किसी बुरे सपने से कम नहीं होता है।

साथ ही गर्भपात होने के बाद बहुत सी महिलाएं सोचती है की दुबारा गर्भधारण के लिए सही समय कौन सा है और महिला यदि दुबारा माँ बनने के लिए कोशिश करती है तो उसमे किसी तरह की परेशानी तो नहीं होगी, आदि। तो आइये अब विस्तार से अबॉर्शन के बाद गर्भधारण कब करना चाहिए और अबॉर्शन के बाद महिला को दुबारा प्रेग्नेंट होने में क्या दिक्कत आती है।

अबॉर्शन के बाद दुबारा गर्भधारण का सही समय कौन सा होता है?

गर्भधारण के बाद महिला के शरीर के काफी कमजोरी आ जाती है, गर्भशय की ग्रीवा कमजोर हो जाती है, महिला मानसिक व् शारीरिक रूप से तुरंत प्रेगनेंसी के लिए तैयार नहीं होती है, आदि। ऐसे में महिला यदि गर्भपात के तुरंत बाद प्रेग्नेंट होने के लिए सोचती है तो इससे दुबारा गर्भपात होने के चांस बढ़ जाते हैं। ऐसे में एक बार गर्भपात होने के बाद महिला को कम से कम तीन से छह महीने तक दोबारा प्रेगनेंसी के लिए नहीं सोचना चाहिए और इसके बाद माँ बनने का फैसला लेना चाहिए।

गर्भपात के बाद माँ बनने में क्या- क्या दिक्कत आती है

एक बार गर्भपात होने के बाद जब महिला दोबारा माँ बनने का फैसला लेती है तो महिला को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की गर्भपात के बाद माँ बनने में महिला को कौन कौन सी परेशानियां होती है।

गर्भधारण में होती है परेशानी

गर्भपात होने के बाद भी महिला के शरीर में ओवुलेशन की प्रक्रिया तो चलती रहती है लेकिन महिला गर्भपात के डर से इतनी जल्दी नहीं उभर पाती है। जिसके कारण निषेचन होने के चांस कम होते हैं और महिला को गर्भधारण में परेशानी हो सकती है। साथ ही यदि महिला का गर्भपात घर पर ही हुआ है और महिला के गर्भाशय में कुछ टिश्यू रह जाते हैं तो इसके कारण भी गर्भधारण में परेशानी आती है। ऐसे में गर्भपात होने के बाद दुबारा गर्भधारण से पहले महिला को अपनी सभी जांच अच्छे से करवानी चाहिए। ताकि महिला को गर्भपात के बाद दुबारा गर्भधारण में किसी तरह की परेशानी न हो।

गर्भपात का होता है खतरा

गर्भपात के बाद गर्भाशय की ग्रीवा में कमजोरी आ जाती है जिसके कारण गर्भाशय में उतनी मजबूती नहीं रहती है जिससे गर्भधारण के बाद महिला के गर्भपात के चांस बढ़ जाते हैं। ऐसे में गर्भपात के बाद शारीरिक रूप से अच्छे से फिट होने के बाद ही महिला को दुबारा गर्भधारण का फैसला लेने चाहिए।

तनाव ज्यादा होता है

अबॉर्शन के बाद दुबारा गर्भधारण करने पर महिला को तनाव, डर, घबराहट जैसी परेशानियां अधिक हो जाती है। क्योंकि कहीं न  कहीं महिला के मन में इस बात को लेकर डर होता है की कहीं महिला का दुबारा से गर्भपात न हो जाये।

शारीरिक कमजोरी व् शारीरिक परेशानियां अधिक होती है

जिस तरह डिलीवरी के बाद पूरी तिरह फिट होने में महिला को समय लगता है उतना ही गर्भपात के बाद भी महिला को शारीरिक रूप से फिट होने में समय लगता है। ऐसे में गर्भपात के बाद दुबारा गर्भधारण होने पर महिला को शारीरिक रूप से कमजोरी व् शारीरिक परेशानियों का सामना अधिक करना पड़ सकता है, जिसके कारण प्रेगनेंसी में कॉम्प्लीकेशन्स बढ़ जाते हैं।

संक्रमण का खतरा

अबॉर्शन के बाद दुबारा गर्भधारण होने पर महिला को बच्चेदानी, प्राइवेट पार्ट आदि में संक्रमण होने का खतरा भी अधिक होता है। ऐसे गर्भपात के बाद गर्भधारण करने पर महिला को अपना बहुत ज्यादा ध्यान रखने की सलाह दी जाती है।

तो यह हैं गर्भपात के बाद महिला को माँ बनने का फैसला कब लेना चाहिए व् गर्भपात के बाद माँ बनने में महिला को क्या क्या दिक्कत आती है उससे जुडी कुछ बातें। यदि आपका भी अबॉर्शन हुआ है तो आपको भी इन सब बातों का ध्यान रखना चाहिए उसके बाद ही माँ बनने का फैसला लेना चाहिए।

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