वात पित्त कफ दोष क्या होता है

वात पित्त कफ दोष : आज के समय में यदि हमे कोई भी दिक्कत होती है तो हम तुरंत डॉक्टर के पास जाते हैं।  नहीं तो अपने आप ही दवाई का सेवन करके उस परेशानी से आराम पा लेते हैं। लेकिन यदि उस परेशानी का जड़ से समाधान न किया जाए तो वह दिक्कत आपको बार बार होती है। ऐसे में आयुर्वेद में कुछ ऐसे नुस्खे बताएं गए हैं, जो आपके शरीर से सम्बंधित परेशानियों को जड़ से खत्म करने में आपकी मदद करते हैं। पुराने समय में जब कोई डॉक्टर नहीं होता था तो जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करके ही रोगो को खत्म किया जाता था। शरीर में तीन दोष होते है वात पित्त और कफ।

क्या होता है ये तीनो दोष?

कई लोग तो आजकल भी घर में छोटी छोटी दिक्कतों के लिए आयुर्वेदिक नुस्खों का ही इस्तेमाल करते हैं। लेकिन आपको परेशानी होने का मुख्य कारण क्या होता है? किस दोष के कारण आपको शारीरिक परेशानी होती है। तो आईये जानते हैं कौन कौन से शरीर में दोष होते हैं ?

त्रिदोष क्या होता है?

जब आपको कोई दिक्कत होती है और आप उसके इलाज के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के पास जाते हैं। तो वो आपसे यह कहते हैं की शरीर में वात के ज्यादा बढ़ने या कमी के कारण दिक्कत हो गई है या फिर कफ का संतुलन बिगड़ने के कारण आपको शरीर में दिक्कत हो रही है।

लेकिन कभी आपने सोचा है की वात, कफ क्या होता है? और इनका संतुलन बिगड़ने का क्या कारण है? आदि। तो इसका जवाब है की आयुर्वेद के अनुसार आपके शरीर का स्वास्थ्य तीन चीजों पर सबसे ज्यादा निर्भर करता है।

और वो तीन चीजें होती हैं वात, पित्त और कफ। यदि यह तीनों शरीर में संतुलित अवस्था में हैं तो आप भी स्वस्थ हैं, लेकिन यदि इनमें से किसी का भी संतुलन बिगड़ा यानी शरीर में यह कम या ज्यादा हुआ तो इसकी वजह से आपको शारीरिक परेशानी होने लगती है इसी वजह से आयुर्वेद में इन्हें ‘दोष’ कहा गया है। और यह तीन दोष होते हैं इसी कारण ही इन्हें त्रिदोष कहा जाता है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की ये दोष क्या होते हैं?

वात दोष

हमारा शरीर पांच तत्व जल, पृथ्वी, आकाश, अग्नि और वायु से मिलकर बना है। और वात दोष वायु और आकाश इन दो तत्वों से मिलकर बना है। शरीर में होने वाली अधिकतर सभी प्रकार की क्रियाओं का जिम्मेवार वात दोष होता हैं। जैसे कि बॉडी में ब्लड फ्लो होना वात के कारण है।

वात की वजह से ही शरीर के सभी अंग अपना अपना काम करते हैं। साथ ही शरीर के किसी एक अंग का दूसरे अंग के साथ जो संपर्क है वो भी वात के कारण ही संभव है। वात इतना ज्यादा प्रभावशाली होता है की यह अन्य दोषों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचा देता है। वात के असंतुलन के कारण यदि आपके शरीर में कोई दिक्कत है तो वो और बढ़ जाती है।

आपके शरीर के अंदर होने वाली कोई भी क्रिया जिसमें मूवमेंट है वो वात की वजह से ही होती है। जैसे कि शरीर से पसीना निकलना, यूरिन पास करना आदि। इसके अनुसार देखा जाए तो आयुर्वेद के अनुसार शरीर में सभी प्रकार के रोगों का कारण वात ही है। ऐसा माना जाता है की वात शरीर में पेट के आस पास होता है।

इसके अलावा नाभि से नीचे का भाग, जोड़ो में, रीढ़ की हड्डी, मस्तिष्क, कमर, जांघ, टांग और हड्डियाँ भी वात के रहने की जगह होती हैं। ऐसे में वात दोष में असंतुलन होने के कारण आपके शरीर की अधिकतर सभी क्रियाओं पर बुरा असर पड़ता है जिसकी वजह से आपको शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

पित्त दोष

पित्त दोष अग्नि और जल इन दो तत्वों से मिलकर बना हुआ है। जिस तरह वात शरीर की अधिकतर कोशिकाओं में मौजूद होता है उसी तरह पित्त भी शरीर की अधिकतर कोशिकाओं में मौजूद होता है। पित्त का मतलब होता है की जो तत्व शरीर में गर्मी पैदा करता है। पित्त का सबसे अहम काम बॉडी में पाचन तंत्र की क्रियाओं को नियमित करना व बॉडी में हार्मोनल बैलेंस को बनाएं रखना होता है। ऐसे में यदि आपके शरीर में पित्त दोष बढ़ जाता है तो इसका सबसे ज्यादा असर आपके पांचन तंत्र पर पड़ता है।

जिसकी वजह से आपको पाचन तंत्र से जुडी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यदि आप चाहते हैं की बॉडी में पित्त दोष सामान्य रहे तो इसके लिए आपको ऐसे कोई भी आहार का सेवन करना चाहिए जिससे पित्त दोष बढ़ें। इसके लिए आपको ज्यादा नमकीन, मसालेदार, चटपटे भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए। साथ ही अपने आहार में उन चीजों को कभी नहीं लेना चाहिए जिनके सेवन से आपको पेट सम्बन्धी दिक्कत होती है।

कफ दोष

ये पृथ्वी और जल इन दो तत्वों से मिलकर बना हुआ है। ये शरीर की सभी कोशिकाओं में मौजूद होता है और शरीर के सभी अंगों का पोषण प्रदान करता है साथ ही बाकी दोनों दोष का संतुलन बनाएं रखने में भी करता है। आपके शरीर में कफ का मुख्य स्थान पेट, छाती है, गले का ऊपरी भाग, सिर, गर्दन, हड्डियों के जोड़, पेट का ऊपरी हिस्सा आदि होते हैं।

कफ शरीर के हिस्सों को गर्मी से सुरक्षित रखने में मदद करता है। इसके अलावा आपकी मानसिक और शारीरिक काम करने की क्षमता, रोग प्रतिरोधक क्षमता, धैर्य, आदि कफ के गुण होते हैं। इसीलिए कफ प्रकृति के लोग खुशमिजाज होते हैं। लेकिन यदि आपके शरीर में ये होता है तो इसमें में जो गुण होते हैं उन्ही से सम्बंधित परेशानियों का सामना आपको करना पड़ता है।

तो यह है वात पित्त कफ दोष से जुडी जानकारी, ऐसे में आपको अपने स्वास्थ्य का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए ताकि शरीर में इनका संतुलन बना रहे। जिसे आपको बिमारियों से सुरक्षित रहने में मदद मिल सके।

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