5 इन्फेक्शन्स जो गर्भ में पल रहे शिशु पर डालते हैं बुरा असर

गर्भावस्था के दौरान महिला को इन्फेक्शन्स की समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि इस दौरान महिला के शरीर में तेजी से हार्मोनल बदलाव होते हैं। जिसके कारण महिला की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है। ऐसे में जब महिला को इन्फेक्शन होते हैं तो इसका असर गर्भ में पल रहे शिशु पर भी पड़ सकता है। तो आज इस आर्टिकल में हम आपको ऐसे पांच इन्फेक्शन्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो यदि प्रेग्नेंट महिला को होते हैं तो इनका बुरा असर गर्भ में पल रहे शिशु पर भी पड़ता है।

बैक्टेरियल इन्फेक्शन

यदि प्रेग्नेंट महिला को हानिकारक बैक्टेरिया जैसे की साल्मोनेला, इ कोलाई, लिस्टेरिया जो की कच्चे दूध, कच्चे मास, आदि में मौजूद होता है उसके कारण इन्फेक्शन हो जाता है। तो यह बैक्टेरिया गर्भ में शिशु तक भी पहुंच जाता है। जिसकी वजह से बच्चे के शारीरिक विकास में कमी, जन्म के समय बच्चे के वजन में कमी, समय से पहले महिला की डिलीवरी आदि होने का खतरा हो जाता है।

यौन संचारित रोग

यदि गर्भवती महिला को यौन संचारित रोग है तो यह भी गर्भ में शिशु तक पहुँच सकता है। जो महिलाएं इस इन्फेक्शन्स से ग्रसित होती है और वो महिलाएं अपने बच्चे को स्तनपान करवाती है तो भी यह इन्फेक्शन शिशु तक पहुँच जाता है। लेकिन यदि आपको पता है की आपको यह समस्या है और आप गर्भधारण कर रही है तो प्रेगनेंसी की शुरुआत से ही ट्रीटमेंट लेना चाहिए ताकि बच्चे को इस परेशानी से बचे रहने में मदद मिल सके।

यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन्स

प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को यदि गर्भवती महिला को यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन हो जाता है तो इसकी वजह से महिला को दिक्कत जैसे की यूरिन पास करते समय दर्द, जलन, बुखार, यूरिन खून आना, आदि हो सकती है। साथ ही यदि यह इन्फेक्शन बढ़ जाये तो इसके कारण गर्भ में शिशु पर भी बुरा असर पड़ता है। जैसे की इसके कारण जन्म के समय शिशु के वजन में कमी, समय से पहले बच्चे का जन्म आदि समस्या हो सकती है।

पेट में इन्फेक्शन

गलत खान पान के कारण गर्भवती महिला को पेट में इन्फेक्शन की समस्या हो सकती है। जिसके कारण महिला को उल्टी, दस्त आदि की समस्या हो जाती है। और यदि महिला को उल्टी दस्त आदि की परेशानी बढ़ जाती है। तो इस वजह से महिला के शरीर में पानी व् पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। जिसके कारण महिला को दिक्कत होने के साथ बच्चे को भी दिक्कत होती है। क्योंकि पानी की कमी के कारण एमनियोटिक फ्लूड पर प्रभाव पड़ता है जिसके कारण गर्भ में बच्चा दिक्कत महसूस करता है। साथ ही प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में पेट में इन्फेक्शन बढ़ने के कारण संकुचन बढ़ सकता है जिसकी वजह से एमनियोटिक बैग फटने का खतरा भी रहता है।

कोरियोमायोनीटिस

यह भी एक प्रकार का संक्रमण है जो गर्भवती महिला के प्राइवेट पार्ट में हो सकता है और धीरे धीरे यह गर्भ तक पहुँचता है। जिसके कारण एमनियोटिक बैग पर असर पड़ता है। और उसके फटने का खतरा बढ़ जाता है। जिसकी वजह से बच्चे का समय से पहले जन्म होने का खतरा बढ़ता है और शिशु को जन्म के बाद होने वाली परेशानियों का खतरा भी बढ़ जाता है।

तो यह हैं वो इन्फेक्शन्स जिनसे यदि प्रेग्नेंट महिला ग्रसित होती है तो इसका बुरा असर गर्भ में पल रहे शिशु पर भी पड़ सकता है। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान महिला को इन सभी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी रखनी चाहिए ताकि माँ व् बच्चे दोनों को प्रेगनेंसी के दौरान इन्फेक्शन से बचे रहने और स्वस्थ रहने में मदद मिल सके।

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