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प्रेगनेंसी

प्रेगनेंसी के सातवें महीने में क्या -क्या होता है?

Suruchi Chawla
Last updated: 2022/06/17 at 12:10 PM
Suruchi Chawla
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10 Min Read
Seventh month pregnancy diet care tips
Seventh month pregnancy diet care tips
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प्रेगनेंसी का सातवां महीना यानी की प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही की शुरुआत, इस दौरान महिला को सतर्कता बरतने की जरुरत होती है। क्योंकि अब महिला का तीसरा ट्राइमेस्टर शुरू हो चूका होता है ऐसे में महिला जितना ज्यादा अच्छे से अपना ध्यान रखती है उतना ही शिशु का विकास तेजी से होता है साथ ही महिला के शरीर को डिलीवरी के लिए तैयार होने में मदद मिलती है। इसके अलावा प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में और भी बहुत कुछ होता है तो आइये अब इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं की प्रेगनेंसी के सातवें महीने में क्या-क्या होता है।

Contents
गर्भावस्था के सातवें महीने में महसूस होने वाले लक्षणपेट से जुडी समस्यासंकुचनसफ़ेद पानीस्तनों से रिसावसांस लेने में तकलीफपैरों में सूजनवजनशिशु की मूवमेंटगर्भावस्था के सातवें महीने में बच्चे का विकासगर्भावस्था के सातवें महीने में आने वाले रिस्कप्रेगनेंसी के सातवें महीने में क्या खाएंप्रेगनेंसी के सातवें महीने में क्या नहीं खाएंप्रेगनेंसी के सातवें महीने में बरतें यह सावधानियांगर्भावस्था के सातवें महीने में डॉक्टर से कब मिलना चाहिए

गर्भावस्था के सातवें महीने में महसूस होने वाले लक्षण

गर्भवती महिला को सातवें महीने बहुत से लक्षण शरीर में महसूस हो सकते हैं जिनकी वजह से महिला को थोड़ी परेशानी भी महसूस हो सकती है। तो आइये अब जानते हैं की वो लक्षण कौन से हैं।

पेट से जुडी समस्या

प्रेगनेंसी के सातवें महीने में महिला को कब्ज़, खाना हज़म होने में परेशानी, एसिडिटी आदि की समस्या अधिक हो सकती है। क्योंकि इस दौरान गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण पाचन क्रिया थोड़ा धीमे काम कर सकती है। साथ ही बॉडी में हो रहे हार्मोनल बदलाव के कारण भी महिला को यह समस्या हो सकती है।

संकुचन

प्रेगनेंसी के सातवें महीने में महिला को रह रह कर कभी कभार पेट में दर्द महसूस हो सकता है। इसे फाल्स लेबर कहा जाता है। ऐसे में महिला यदि कभी ज्यादा दर्द महसूस हो तो इसे अनदेखा न करते हुए महिला को डॉक्टर से मिलना चाहिए।

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सफ़ेद पानी

इस समय कुछ महिलाओं को सफ़ेद पानी की समस्या भी हो सकती है लेकिन महिला को इसे लेकर घबराना चाहिए। क्योंकि ऐसा होने का कारण महिला के पेट के निचले हिस्से पर दबाव पड़ना हो सकता है। लेकिन ध्यान रखें यदि आप पानी के साथ बदबू या दर्द आदि महसूस हो तो यह इन्फेक्शन का लक्षण होता है ऐसे में इसे अनदेखा नहीं करें।

स्तनों से रिसाव

प्रेगनेंसी के सातवें महीने में महिला को ब्रैस्ट से तरल पदार्थ का रिसाव भी हो सकता है और यह भी कोई चिंता का विषय नहीं होता है। इसका कारण स्तनों में दूध बनने की प्रक्रिया होती है ऐसे में कभी कभी आपको थोड़ा रिसाव महसूस हो सकता है। इसके अलावा आपको अपने स्तन पहले की अपेक्षा थोड़े बड़े हुए भी महसूस हो सकते हैं।

सांस लेने में तकलीफ

वजन बढ़ने, पेट का आकार बढ़ने के कारण इस दौरान महिला को सांस लेने में भी थोड़ी तकलीफ महसूस हो सकती है।

पैरों में सूजन

सातवें महीने में महिला को पैरों में सूजन की समस्या अधिक हो सकती है ऐसे में महिला को ज्यादा देर खड़े रहकर कमा करने से बचना चाहिए, पैरों की सिकाई करनी चाहिए आदि। ताकि महिला को पैरों में सूजन की समस्या से निजात पाने में मदद मिल सकें।

वजन

प्रेगनेंसी के सातवें महीने में महिला का वजन बढ़ चूका होता है ऐसे में वजन बढ़ने के कारण महिला को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

शिशु की मूवमेंट

प्रेगनेंसी के सातवें महीने में गर्भ में शिशु थोड़ी ज्यादा हलचल कर सकता है ऐसे में महिला को अपने इस अनुभव का मज़ा जरूर उठाना चाहिए।

गर्भावस्था के सातवें महीने में बच्चे का विकास

प्रेगनेंसी के सातवें महीने में आधे से ज्यादा शिशु का विकास सम्पूर्ण हो चूका होता है और शिशु का वजन लगभग एक किलों या उससे थोड़ा ज्यादा हो सकता है। साथ ही अब शिशु अपनी आँखों को खोल व् बंद कर सकता है, शिशु अंगड़ाई लेना, जम्हाई लेना, अंगूठा चूसना जैसी हरकतें गर्भ में करता रहता है। इसके अलावा इस समय शिशु के सुनने की क्षमता और महसूस करने की क्षमता भी बढ़ जाती है ऐसे में पेट पर हतः लगाने या तेज आवाज़ को सुनकर शिशु अपनी हलचल के माध्यम से प्रतिक्रिया भी देता है।

गर्भावस्था के सातवें महीने में आने वाले रिस्क

समय से पहले डिलीवरी: गर्भवती महिला सातवें महीने में यदि किसी भी तरह की लापरवाही करती है जिससे पेट पर जोर पड़ता है या प्रसव पीड़ा उत्तेजित हो सकती है तो इसके कारण समय से पहले बच्चे के जन्म होने का खतरा होता है। जिसकी वजह से जन्म के बाद शिशु में वजन की कमी, जन्म दोष जैसी समस्या हो सकती है।

ब्लीडिंग: इस दौरान ज्यादा भागदौड़ी करने, पेट के निचले हिस्से पर दबाव आदि बढ़ने के कारण महिला को ब्लीडिंग जैसी समस्या भी हो सकती हैं।

दर्द: प्रेगनेंसी के सातवें महीने में महिला यदि जरुरत से ज्यादा अपने आप को थकाती है तो इसके कारण महिला को पीठ में दर्द, पेट के निचले हिस्से में दर्द, शरीर में दर्द आदि की समस्या हो सकती है।

प्रेगनेंसी के सातवें महीने में क्या खाएं

  • महिला को फलों व् सब्जियों का भरपूर सेवन करना चाहिए।
  • साबुत अनाज, पोहा, ओट्स, दलिया, खिचड़ी आदि का भरपूर सेवन करना चाहिए क्योंकि इससे महिला को पेट सम्बन्धी समस्या से बचे रहने में मदद मिलती है।
  • पानी, नारियल पानी, जूस आदि का भरपूर सेवन करें।
  • डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे की दूध, दही, छाछ आदि का भरपूर सेवन करें।
  • शरीर में खून की कमी न हो इसके लिए आयरन से भरपूर डाइट लें।
  • दाल, फलियां आदि भरपूर मात्रा में अपनी डाइट में शामिल करें।
  • डॉक्टर्स द्वारा बताई गई दवाइयों का समय से सेवन करें।

प्रेगनेंसी के सातवें महीने में क्या नहीं खाएं

  • महिला को बासी खाना, ज्यादा ठंडी चीजें, रिफाइंड शुगर वाली चीजें, डिब्बाबंद आहार, जंक फ़ूड, ज्यादा मसालेदार आहार आदि नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसकी वजह से महिला की पेट सम्बन्धी परेशानियाना बढ़ सकती है।
  • गर्भवती महिला को शराब, धूम्रपान आदि का सेवन नहीं करना चाहिए और ऐसी जगह पर भी नहीं जाना चाहिए जहां कोई इनका सेवन कर रहा हो।
  • प्रेग्नेंट महिला को बिना धुले फल व् सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • बहुत देर तक कटे रखें फल व् सब्जियों का सेवन करने से बचना चाहिए।
  • उन चीजों को खाने से बचना चाहिए जिनसे महिला को एसिडिटी की समस्या होती है।
  • खाने में नमक का सेवन संतुलित मात्रा में करें खासकर जिन्हे ब्लड प्रैशर से जुडी समस्या है वो इस बात का खास ध्यान रखें।

प्रेगनेंसी के सातवें महीने में बरतें यह सावधानियां

  • प्रेग्नेंट महिला को ज्यादा भागादौड़ी करने से बचना चाहिए।
  • महिला को खाने में भरपूर पोषक तत्वों को शामिल करने के साथ अपनी डाइट को समय से लेना चाहिए।
  • शरीर में पानी की कमी नहीं होने देनी चाहिए।
  • स्ट्रैस नहीं लेना चाहिए बल्कि खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए और अपने प्रेगनेंसी के आखिरी पलों को एन्जॉय करना चाहिए।
  • पेट पर दबाव नहीं पड़ने देना चाहिए।
  • यदि काम करते समय थक गई है तो पहले थोड़ा आराम करें उसके बाद दोबारा काम करें।
  • भरपूर नींद लेनी चाहिए।
  • प्रेगनेंसी के सातवें महीने में यदि आप सम्बन्ध बना रहे हैं तो बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की जरुरत है और हो सके तो इसके लिए आप एक बार डॉक्टर से राया जरूर लें की इस दौरान सम्बन्ध बनाना सेफ है या नहीं।
  • सातवें महीने में थोड़ा बहुत व्यायाम महिला को जरूर करना चाहिए ताकि महिला को फिट व् एक्टिव रहने में मदद मिल सकें लेकिन ध्यान रखें की शरीर पर ज्यादा जोर नहीं डालें।

गर्भावस्था के सातवें महीने में डॉक्टर से कब मिलना चाहिए

प्रेग्नेंट महिला को यदि कुछ समझ नहीं आ रहा हो, शरीर में कोई असहज लक्षण महसूस हो रहा हो, कोई शारीरिक परेशानी अधिक हो, तो महिला को बिना देरी किये है तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।

तो यह हैं प्रेगनेंसी के सातवें महीने में गर्भवती महिला को कैसा महसूस होता है, बच्चे का विकास कैसा होता है, महिला को क्या क्या करना चाहिए क्या नहीं, क्या लक्षण होते हैं, उससे जुडी जानकारी। यदि आप भी माँ बनने वाली हैं तो आपके पास भी यह जानकारी होनी चाहिए ताकि आपकी प्रेगनेंसी को आसान बनाने में मदद मिल सके।

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Suruchi Chawla June 17, 2022 June 17, 2022
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