गर्भधारण के पहले महीने की सावधानियां

गर्भधारण के पहले महीने की सावधानियां, प्रेगनेंसी के पहले महीने इन बातों का रखें ध्यान, प्रेगनेंसी के पहले महीने के लिए टिप्स, गर्भावस्था का पहला महीना, Tips for First Month of Pregnancy

प्रेगनेंसी के पहले महीने में ज्यादातर महिलाओं को यह नहीं पता होता है की उनका गर्भ ठहर गया है, लेकिन यदि आप प्रेग्नेंट होना चाहती हैं। तो आपको प्रेगनेंसी के पहले महीने से ही इसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। और इस दौरान आपको बहुत सी सावधानियां भी रखनी चाहिए। यदि आप ओवुलेशन पीरियड में बेहतर सम्बन्ध बनाते हैं, तो इससे आपकी प्रेगनेंसी के चांस बढ़ जाते हैं। और यदि इस दौरान निषेचन हो जाता हैं तो शरीर में उसी समय से हार्मोनल बदलाव शुरू हो जाते हैं, जिन्हे महसूस किया जा सकता हैं। ऐसे में यदि आपको ऐसा महसूस हो की आपका गर्भ ठहर गया हैं तो आपको बहुत सी सावधानियां बरतनी चाहिए। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की प्रेगनेंसी के पहले महीने में कौन कौन सी बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।

स्वस्थ आहार लें

बेहतर प्रेगनेंसी के लिए आपके शरीर का स्वस्थ होना बहुत जरुरी होता हैं, ऐसे में शारीरिक रूप से फिट रहने के लिए आपको अपने आहार का विशेष ध्यान रखना चाहिए। और जितना हो सके स्वस्थ व् पोषक तत्व से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए। और जितना आप शारीरिक रूप से फिट रहते हैं उतना ही आपको प्रेगनेंसी के दौरान आने वाली परेशानियों से बचाव करने में मदद मिलती हैं।

तनाव से बचें

यदि आप तनाव लेती हैं तो इसके कारण आपको प्रेगनेंसी की नेगिटिव रिपोर्ट का सामना करना पड़ सकता हैं। क्योंकि तनाव आपको मानसिक रूप से प्रभावित करता हैं, और आपकी बॉडी में होने वाले सभी कार्यो को मस्तिष्क करता है ऐसे में यदि आप तनाव लेती हैं तो आपको समस्या हो सकती हैं। यहां तक की पहले तीन महीने में तनाव गर्भपात का कारण भी बन सकता हैं।

इन चीजों का सेवन न करें

गरम तासीर वाली चीजें जैसे ड्राई फ्रूट, इलायची, आदि के सेवन से आपको परहेज करना चाहिए। साथ ही विटामिन सी युक्त चीजें जैसे कच्चा पपीता, कटहल, अनानास आदि का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके कारण गर्भ गिरने के चांस बढ़ जाते हैं। इसके आलावा कच्चा पनीर, कच्चे अंडे, अधपका मांस आदि भी नहीं खाना चाहिए।

ज्यादा भागादौड़ी न करें

पहले महीने में आपको इस बात का भी खास ध्यान रखना चाहिए की आप ज्यादा भागादौड़ी न करें, सीढ़ियां न चढ़ें, काम करने में ज्यादा तेजी न दिखाएं, यात्रा करने से बचें, क्योंकि शुरूआती दिनों में इसके कारण झटका आदि लगने के कारण गर्भ न ठहरने के चांस बढ़ जाते हैं, और यदि आप प्रेग्नेंट होना चाहती हैं तो आपको इससे बचना चाहिए।

पेट पर दबाव न डालें

उल्टा होकर सोना, भारी सामान उठाना, पेट के बल काम करना, या किसी भी अन्य ऐसे काम को न करें जिससे पेट पर दबाव पड़े। क्योंकि शुरूआती दिनों में पेट पर दबाव आपके लिए परेशानी का कारण बन सकता हैं।

दवाइयों का सेवन

कई बार शुरूआती दिनों में ही गर्भ ठहरने के कारण हार्मोनल बदलाव के कारण बॉडी में थकान, कमजोरी व् शरीर के अंगो में दर्द आदि की समस्या होने लगती हैं। ऐसे में आपको दवाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए और यदि आपको ऐसे लक्षण महसूस होते हैं तो यह इस बात का संकेत देते हैं की आप प्रेग्नेंट हैं।

भीड़ व् प्रदूषण से बचें

शिशु के अंग गर्भधारण के पहले महीने से ही बनने शुरू हो जाते हैं ऐसे में आपको भीड़ व् प्रदूषण वाली जगह पर जाने से भी बचना चाहिए क्योंकि यह शिशु के विकास पर बुरा असर डाल सकते हैं।

नशा न करें

यदि आप शराब या धूम्रपान करती हैं, या आपके सामने भी कोई करता हैं तो ऐसी जगह पर नहीं बैठना चाहिए और न ही आपको करना चाहिए, क्योंकि इसका बुरा असर गर्भनाल के रास्ते शिशु तक पहुंचकर उसके शारीरिक व् मानसिक रूप से विकास में समस्या उत्पन्न कर सकता हैं।

डाइटिंग न करें

शुरूआती समय में खाने का मन नहीं करता या मोटापे के डर से कुछ महिलाएं डाइटिंग भी शुरू कर देती हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके कारण आपको भी कमजोरी आदि की समस्या के साथ शिशु के विकास पर भी असर पड़ सकता हैं।

बाहर का खाना खाने से बचें

यदि आप अधिक मसालेदार खाना, या जंक फ़ूड का अधिक सेवन करते हैं तो इसके कारण आपको पेट में गैस व् जलन की समस्या का सामना करना पड़ सकता हैं, साथ ही इसका बुरा प्रभाव शिशु पर भी पड़ सकता हैं ऐसे में आपको प्रेगनेंसी के पहले महीने से ही अपनी डाइट से इन्हे बाहर कर देना चाहिए।

तो यह हैं कुछ सावधानियां जो महिला को प्रेगनेंसी के पहले महीने में रखनी चाहिए साथ ही जैसे ही पीरियड्स के मिस होने के बाद आपको प्रेगनेंसी कन्फर्म होती हैं। वैसे ही आपको एक अच्छे से डॉक्टर के पास जाकर अच्छे से अपना चेकअप करवाना चाहिए सभी जरुरी टेस्ट करवाने चाहिए। ताकि शुरुआत से ही आपको प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली परेशानियों से बचने के साथ शिशु के बेहतर विकास में मदद मिल सके।

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