कम नींद लेने से गर्भ में पल रहे शिशु को क्या नुकसान हो सकते हैं?

प्रेगनेंसी किसी भी महिला के लिए बहुत ही ख़ुशी का पल होता है, क्योंकि इस दौरान महिला अपनी जिंदगी के सबसे प्यारे और खास अनुभव का अहसास कर रही होती है। ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को हर परेशानी से बचाव और गर्भ में शिशु के बेहतर शारीरिक व् मानसिक विकास के लिए अपना बेहतर तरीके से ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है। इसके अलावा प्रेगनेंसी के दौरान महिला का खान पान ही सही होना ही जरुरी नहीं है, बल्कि महिला की पूरी दिनचर्या का सही होना जरुरी होता है। क्योंकि यदि आप खाना तो भरपूर खाएंगी लेकिन आराम नहीं करेंगी, नींद पूरी नहीं लेंगी, बॉडी को हाइड्रेट नहीं रखेंगी तो इसके कारण भी तो गर्भवती महिला को समस्या का सामना करना पड़ सकता है। और केवल गर्भवती महिला ही नहीं बल्कि महिला द्वारा की गई लापरवाही का नकारात्मक असर शिशु के विकास पर भी देखने को मिल सकता है।

प्रेगनेंसी में नींद कम लेने से शिशु को होने वाले नुकसान

गर्भावस्था के दौरान हर महिला के शरीर में अलग अलग बदलाव आ सकते हैं जैसे की प्रेगनेंसी के दौरान कुछ महिलाओं को बहुत अधिक नींद आती है तो कुछ महिलाओं की नींद गायब ही हो जाती है। लेकिन प्रेगनेंसी में महिला का अधिक सोना या कम सोना दोनों ही महिला के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं। तो आइये आज हम आपको प्रेगनेंसी के दौरान कम सोने के गर्भ में भ्रूण को क्या नुकसान हो सकते हैं इस बारे में बताने जा रहे हैं।

शिशु का शारीरिक विकास

नींद कम लेने के कारण महिला हमेशा थका हुआ और आलस महसूस कर सकती है। और इसके कारण हो सकता है की महिला को कुछ खाने की इच्छा भी न हो, ऐसे में यदि महिला कुछ खाएगी नहीं तो गर्भ में पल रहे शिशु को पोषण मिलने में परेशानी हो सकती है। और जब शिशु को पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलेंगे तो इसके कारण शिशु के शारीरिक विकास में भी कमी आ सकती है। ऐसे में गर्भ में पल रहे शिशु का विकास बेहतर से बेहतर हो सके इसके लिए गर्भवती महिला को अपनी नींद को भरपूर लेना चाहिए।

शिशु का मानसिक विकास

कम नींद लेने के कारण यदि गर्भवती महिला अधिक गुस्से, चिड़चिड़ेपन, तनाव आदि में रहती है तो इसके कारण गर्भवती महिला को ही दिक्कत नहीं होती है। बल्कि इसके कारण गर्भ में पल रहे शिशु का मानसिक विकास भी प्रभावित होता है, और गर्भवती महिला का अधिक तनाव लेना शिशु के दिमागी विकास को कमजोर कर सकता है। ऐसे में गर्भ में पल रहे शिशु के मानसिक विकास को बेहतर रखने के लिए और शिशु के दिमाग को तेज करने के लिए प्रेग्नेंट महिला को नींद भरपूर लेनी चाहिए।

गर्भ में शिशु का स्वास्थ्य

कम नींद लेने के कारण गर्भवती महिला की शारीरिक परेशानियां बढ़ सकती है, जैसे की बॉडी पार्ट्स में दर्द, बॉडी में ब्लड फ्लो का सही न होना, आदि। ऐसे में यदि गर्भवती महिला शारीरिक रूप से अधिक परेशान रहती है तो इसका असर शिशु पर भी पड़ सकता है जिसके कारण शिशु स्वस्थ रूप से कमजोर हो सकता है, जन्म के समय शिशु को कोई शारीरिक समस्या होने की सम्भावना बढ़ सकती है, शिशु के वजन में कमी आ सकती है, आदि।

भ्रूण का स्वभाव

नींद कम लेने के कारण गर्भवती महिला को गुस्सा अधिक आना, चिड़चिड़ापन होना आदि महसूस हो सकता है। ऐसे में हो सकता है की इसका असर गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के साथ शिशु के स्वाभाव पर भी पड़ जाएँ, और जन्म के बाद आपके शिशु का भी अधिक गुस्सा व् चिड़चिड़ेपन जैसा स्वभाव बन जाये।

ऑक्सीजन का प्रवाह

गर्भवती महिला को नींद कम लेने के कारण बॉडी में ब्लड फ्लो सही न होने जैसी समस्या हो सकती है। और बॉडी में ब्लड फ्लो सही न होने के कारण शिशु तक ऑक्सीजन के प्रवाह सही न होने की समस्या भी हो सकती है। जिसके कारण शिशु का स्वास्थ्य बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है।

गर्भवती महिला को कम सोने के कारण होने वाले नुकसान

प्रेगनेंसी के दौरान कम सोने के कारण केवल शिशु को ही नहीं बल्कि गर्भवती महिला को भी बहुत से नुकसान हो सकते हैं। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की प्रेगनेंसी में कम सोने के कारण शिशु को कौन कौन से नुकसान हो सकते हैं।

  • कम सोने के कारण महिला अधिक आलस, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, किसी काम में मन नहीं लगना जैसी समस्या से परेशान हो सकती है।
  • अनियंत्रित ब्लड प्रैशर, गेस्टेशनल शुगर, शरीर में दर्द जैसी शारीरिक परेशानियों का गर्भवती महिला को सामना करना पड़ सकता है।
  • बहुत जल्दी थकान व् बहुत ज्यादा कमजोरी का अहसास भी महिला को नींद पूरी न लेने के कारण हो सकता है।
  • शारीरिक समस्या होने के कारण इसका असर महिला के दिमाग पर भी पड़ सकता है, क्योंकि महिला दिमागी रूप से भी थकावट महसूस कर सकती है जिसके कारण महिला को तनाव जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

प्रेगनेंसी में कितना और किस पोजीशन में सोना चाहिए

गर्भवती महिला के लिए एक दिन में कम से कम आठ से दस घंटे की नींद जरुरी होती है ऐसे में यदि कभी महिला की रात को नींद पूरी न हो तो महिला दिन में भी थोड़ी देर आराम कर सकती है। लेकिन जितना हो सके महिला को रात को समय से सो जाना चाहिए ताकि महिला को पूरी नींद लेने में मदद मिल सके। इसके अलावा गर्भवती महिला को अपनी सोने की सही पोजीशन के बारे में भी ध्यान रखना चाहिए और गर्भवती महिला को बाईं और करवट लेकर सोना सबसे सही पोजीशन होती है। क्योंकि इससे महिला को अच्छी नींद लेने के साथ गर्भ में शिशु को भी कोई दिक्कत नहीं होती है।

ऐसे में प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला या गर्भ में पल रहे शिशु को कम नींद लेने के कारण किसी तरह की कोई समस्या न हो इससे बचाव के लिए महिला को भरपूर नींद लेनी चाहिए।

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