हाई रिस्क प्रेगनेंसी क्या होती है? और इसकी केयर कैसे करें

हाई रिस्क प्रेगनेंसी

प्रेगनेंसी के नौ महीने गर्भवती महिला के लिए उतार चढ़ाव से भरे हुए होते है। कुछ महिलाओं को इस दौरान कम परेशानियां होती है तो कुछ महिलाएं बहुत ज्यादा परेशान होती है। और जो महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान बहुत अधिक परेशानियों से ग्रसित होती है जैसे की गेस्टेशनल डाइबिटीज़, यौन संक्रमित रोग, शारीरिक समस्या, प्रीक्लेम्पसिया, खून की कमी, बॉडी में पोषक तत्वों की कमी, बहुत मुश्किलों के बाद गर्भधारण होने पर, आदि। ऐसी प्रेगनेंसी को हाई रिस्क प्रेगनेंसी के नाम से जाना जाता है, और डॉक्टर्स इस तरह की प्रेगनेंसी होने पर गर्भवती महिला को अपना बेहतर तरीके से ध्यान रखने के साथ बेड रेस्ट की सलाह भी दे सकते हैं। ताकि गर्भवती महिला को स्वस्थ रहने के साथ गर्भ में शिशु के विकास में भी किसी तरह की कमी न आये।

हाई रिस्क प्रेगनेंसी में ऐसे करें

यदि महिला की प्रेगनेंसी में बहुत सारी परेशानियां आ रही है, तो ऐसे में महिला को अपना बहुत ज्यादा ध्यान रखना जरुरी होता है। ताकि किसी भी तरह की परेशानी से बचे रहने में मदद मिल सके, तो आइये अब जानते हैं की हाई रिस्क प्रेगनेंसी के लिए किन किन बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है।

डॉक्टर से जांच

हाई रिस्क प्रेगनेंसी होने पर सबसे जरुरी होता है की आप डॉक्टर के संपर्क में रहें, किसी भी परेशानी के होने पर तुरंत डॉक्टर से राय लें। साथ ही सभी जरुरी जांच भी महिला को समय से करवानी चाहिए और किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए। ताकि यदि प्रेगनेंसी में किसी भी तरह की परेशानी हो तो महिला को समय से इलाज मिल सके, और हर दिक्कत से बचाव हो सके।

सही खान पान

पोषक तत्वों की कमी शरीर में होने के कारण महिला शरीर में कमजोरी की समस्या हो सकती है, जिसके कारण गर्भवती महिला की शारीरिक परेशानी बढ़ने के साथ गर्भ में शिशु के विकास में भी कमी आ सकती है। ऐसे में महिला को खान पान में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए, और गर्भवती महिला को हर दो घंटे के गैप में कुछ न कुछ खाते रहना चाहिए, ताकि बॉडी में एनर्जी और पोषक तत्वों की मात्रा को बरकरार रहने में मदद मिल सके।

काम से बचें

यदि प्रेगनेंसी में किसी तरह का रिस्क होता है तो डॉक्टर आराम की सलाह देते हैं, ऐसे में बहुत से ऐसे काम है जिन्हे महिला को नहीं करना चाहिए। जैसे की भारी सामान उठाना, भारी सामान सरकाना, पेट के भार काम करना, झुककर काम करना, सीढ़ियां चढ़ना, ज्यादा देर एक ही जगह पर खड़े रहना, पैरों के भार बैठकर काम करना, यात्रा करना, आदि। इन काम को यदि गर्भवती महिला करती है तो इसके कारण पेट पर जोर पड़ता है जिसके कारण ब्लीडिंग, गर्भपात, शिशु को असहज महसूस होने जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है

इन्फेक्शन

हाई रिस्क प्रेगनेंसी में थोड़ी सी भी लापरवाही करने से महिला को इन्फेक्शन की समस्या से परेशान होना पड़ सकता है, जिसके कारण गर्भ में पल रहे शिशु पर भी नकारत्मक असर पड़ सकता है। ऐसे में गर्भवती महिला को घर में पालतू जानवर का काम करने से, भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से, प्रदूषण वाली जगह पर जाने से बचना चाहिए। क्योंकि ऐसी जगह पर जाने से इन्फेक्शन का खतरा बढ़ता है और शिशु का विकास शारीरिक के साथ मानसिक रूप से भी प्रभावित हो सकता है।

आयरन

खून की कमी का होना भी हाई रिस्क प्रेगनेंसी की समस्या को खड़ा कर सकता है। ऐसे में महिला को प्रेगनेंसी के दौरान इस समस्या से बचने के लिए ऐसे आहार का सेवन करना चाहिए जिसमे आयरन भरपूर मात्रा में हो। जैसे की अनार, गाजर, हरी सब्जियां, आदि इससे बॉडी में आयरन की कमी को पूरा करने के साथ खून की कमी के कारण होने वाली परेशानी से भी गर्भवती महिला को बचाव करने में मदद मिलती है।

स्ट्रेस फ्री

स्ट्रेस होना गर्भवती महिला के साथ गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पर भी बुरा प्रभाव डाल सकता है। और हाई रिस्क प्रेगनेंसी होने पर महिला का तनाव में रहना महिला की मुश्किलों को दुगुना करता है, ऐसे में गर्भवती महिला को हाई प्रेगनेंसी रिस्क को कम करने के लिए तनाव नहीं लेना चाहिए।

भरपूर आराम

यदि डॉक्टर ने आपको बेड रेस्ट की सलाह दी है, तो ऐसे में महिला को जितना हो सके आराम करना चाहिए। क्योंकि यदि महिला आराम नहीं करती है तो इसके कारण महिला की दिक्कतें बढ़ सकती है। और भरपूर आराम लेने पर महिला को शारीरिक के साथ मानसिक रूप से भी आराम मिलता है, जिससे प्रेगनेंसी के रिस्क को कम करने में मदद मिलती है।

दवाइयां

दवाइयों का सेवन भी महिला को समय से करना चाहिए, इसमें किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए। खासकर डॉक्टर ने जिन दवाइयों का सेवन करने की सलाह आपको दी है उनका सेवन करने के साथ अपनी मर्ज़ी से किसी भी दवाई का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि कोई परेशानी या शारीरिक समस्या है तो उसके लिए डॉक्टर से राय लेनी चाहिए।

शारीरिक समस्या होने पर

हाई रिस्क प्रेगनेंसी के होने पर महिला को बहुत सी शारीरिक परेशानियां हो सकती है, ऐसे में यदि कोई भी परेशानी अधिक हो तो इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसके कारण ज्यादा दिक्कत बढ़ सकती है। ऐसे में कभी भी असहज महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से राय लेनी चाहिए।

तो यह हैं कुछ टिप्स जो हाई रिस्क प्रेगनेंसी के दौरान महिला को अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए इस्तेमाल करने चाहिए। इससे महिला को फिट रहने के साथ गर्भ में पल रहे शिशु के विकास से जुडी परेशानियों से बचने में मदद मिलती है।

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