गर्भ में शिशु की पहली हलचल प्रेग्नेंट महिला के लिए उसकी प्रेगनेंसी का सबसे खास अनुभव होता है, क्योंकि बेबी का किक मारना महिला को गर्भ में अपने शिशु के होने के अहसास और अच्छे से महसूस करवाने में मदद करता है। प्रेगनेंसी के चौथे महीने के आखिर या पांचवें महीने की शुरुआत में शिशु की हलचल का थोड़ा बहुत महिला अनुभव कर सकती है। जो महिलाएं पहली बार माँ बन रही होती है उन्हें शिशु की हलचल को समझने में थोड़ा समय लग सकता है लेकिन दूसरी बार माँ बन रही महिलाएं इससे परिचित होती है। और शिशु द्वारा की गई पहली हलचल को भी समझ जाती है। शुरुआत में शिशु की हलचल थोड़ी कम लेकिन जैसे जैसे शिशु का विकास बढ़ता है वैसे वैसे शिशु की हलचल भी बढ़ने लगती है। और शिशु की मूवमेंट महिला को ऐसे महसूस हो सकती है जैसे की शिशु गर्भ में महिला को किक मार रहा हो।
गर्भ में शिशु के किक मारने का क्या मतलब होता है
माँ के पेट में शिशु बहुत सी हरकतें करने के साथ बहुत सी बाहरी चीजों के अनुभव को भी समझ सकता है। क्योंकि छठे सातवें महीने तक आते आते शिशु की सुनने की क्षमता में वृद्धि हो जाती है जिसके कारण शिशु बाहरी चीजों पर प्रतिक्रिया देना शुरू कर देता है। इसके अलावा और भी कई कारण हो सकते हैं जिसके कारण शिशु गर्भ में किक मारता है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की गर्भ में शिशु के किक मारने का क्या मतलब होता है।
शिशु का स्वस्थ होना
गर्भ में शिशु की हलचल का होना शिशु के बेहतर विकास और शिशु के स्वस्थ होने की निशानी होती है। यदि आपका शिशु गर्भ में अच्छे से हलचल करता है, और आप शिशु की किक बेहतर तरीके से महसूस कर पाती है। तो समझ जाइये की आपका शिशु गर्भ में स्वस्थ है।
शिशु के चौंकने के कारण
जैसे जैसे शिशु की सुनने की क्षमता में वृद्धि होती है वैसे वैसे शिशु तेज आवाज़, तेज रौशनी, ऊँची आवाज़ को सुनने पर गर्भ में चौंकने लगता है। और गर्भ में शिशु के चौंकने के कारण शिशु ज्यादा तेजी से हलचल कर सकता है, ऐसे में घबराने की कोई बात नहीं होती है, लेकिन महिला को जितना हो सके तेज आवाज़ वाली जगह पर नहीं जाना चाहिए इससे शिशु गर्भ में डर सकता है घबरा भी सकता है। ऐसे में आप यह कह सकते हैं की शिशु के गर्भ में चौंकने के कारण शिशु गर्भ में किक मारता है।
शिशु की मूवमेंट
केवल जन्म के बाद ही शिशु अपने हाथ पैर नहीं चलाता है बल्कि गर्भ से ही शिशु अपने हाथों पैरों की मूवमेंट को शुरू कर देता है। ऐसे में जब गर्भ में शिशु घूमता है, हिचकी लेता है, तरह तरह की मूवमेंट करता है तो भी गर्भ में आपको शिशु की हलचल महसूस हो सकती है। और शिशु की मूवमेंट महिला को ऐसे महसूस हो सकती है जैसे की शिशु गर्भ में लात मार रहा हो।
अपनी पोजीशन में आना
आठवें महीने के आखिरी न नौवें महीने में ज्यादातर शिशु डिलीवरी के लिए अपनी पोजीशन में आने के लिए कोशिश करते रहते हैं। और शिशु की इसी कोशिश करने के कारण भी गर्भ में शिशु की हलचल महिला को अधिक महसूस हो सकती है, और महिला को महसूस हो सकता है की शिशु पहले के मुकाबले अधिक किक मार रहा है।
गर्भ में जगह कम
शिशु का विकास तीसरी तिमाही के आखिरी तक अच्छे से हो जाता है ऐसे में शिशु को गर्भ में मूवमेंट करने के लिए जगह कम मिलती है। और जगह कम मिलने के कारण शिशु की हलचल में किक मारने में वृद्धि हो सकती है।
शिशु की मूवमेंट न होने पर क्या करें?
ऐसा नहीं है की सारा दिन ही आपको गर्भ में शिशु की हलचल महसूस हो, क्योंकि गर्भ में शिशु भी आराम करता है। लेकिन यदि बहुत देर तक शिशु की मूवमेंट का अनुभव न हो तो महिला को बाईं और करवट लेकर सोना चाहिए इससे शिशु तक ऑक्सीजन व् रक्त का प्रवाह अच्छे से होने में मदद मिलती है। या फिर महिला एक गिलास पानी का सेवन करें, और ऐसा करने से बाद भी महिला को शिशु की मूवमेंट का अहसास न हो तो बिल्कुल देरी न करते हुए तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। क्योंकि ज्यादा देर तक गर्भ में शिशु की मूवमेंट न होना परेशानी का कारण हो सकता है।
तो यह हैं गर्भ में शिशु के किक मारने से जुडी कुछ बातें, ऐसे में शिशु की हलचल का गर्भवती महिला को अच्छे से ध्यान रखना चाहिए। हाँ ऐसा कहना थोड़ा मुश्किल होता है की शिशु दिन में कितनी बार हलचल करेगा, लेकिन आप चाहे तो अपने शिशु की हलचल को काउंट कर सकती हैं। लेकिन शिशु की हलचल कम होने या न होने को अनदेखा न करें।