जन्म के बाद शिशु को निमोनिया व् जॉन्डिस क्यों हो जाता है

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हर महिला चाहती है की जन्म के बाद उसका शिशु स्वस्थ रहे, और उसका हर तरह के संक्रमण से बचाव हो। ताकि शिशु के बेहतर शारीरिक विकास में मदद मिल सके। लेकिन कई बार जन्म के बाद शिशु को जॉन्डिस यानी पीलिया या निमोनिया की समस्या हो जाती है। निमोनिया की समस्या जहां जहां शिशु के लिए ज्यादा नुकसानदायक हो सकती है, क्योंकि इसके कारण शिशु को सांस लेने में परेशानी का अनुभव होता है। वहीँ जॉन्डिस की समस्या जन्म के बाद अधिकतर शिशुओं में देखने को मिलती है।

ऐसे में आपको यदि महसूस हो की शिशु की रंगत सांवली या हल्की पड़ रही है, शिशु को सांस लेने में परेशानी हो रही है, बुखार, खांसी, जुखाम ज्यादा हो रहा है, तो ऐसे में आपको इसे नज़रअंदाज़ न करते हुए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। क्योंकि यह शिशु को जॉन्डिस या निमोनिया होने का संकेत हो सकता है। इसके अलावा आपको घर पर ही इसका कोई उपचार नहीं करना चाहिए, क्योंकि नवजात शिशु बहुत ही नाजुक होता है, ऐसे में कोई भी गलती उसके लिए बड़ी समस्या बन सकती है। तो लीजिये अब विस्तार से जानते हैं की जन्म के बाद शिशु को निमोनिया या जॉन्डिस होने का क्या कारण होता है।

जन्म के बाद शिशु को निमोनिया होने के कारण

यदि शिशु को छाती या फेफड़ो में इन्फेक्शन हो जाता है, तो इसे निमोनिया कहते हैं। यह शिशु के एक या फिर दोनों फेफड़ो को भी प्रभावित कर सकता है। निमोनिया के होने पर शिशु के फेफड़ों में तरल पदार्थ भर जाता है, जिसके कारण सूजन की समस्या हो सकती है, और शिशु को खांसी, जुखाम होने के साथ सांस लेने में भी परेशानी का अनुभव करना पड़ सकता है। यह समस्या अधिकतर सर्दियों में महीने में जो शिशु जन्म लेते हैं उनको ठण्ड लगने के कारण हो सकती है। इसका मुख्य कारण आर एस वी यानी रेस्पिरेटरी सिंसिशियल वायरस नामक विषाणु होता है।

यदि यह विषाणु जन्म के बाद शिशु के शरीर को प्रभावित करता है तो उसे यह समस्या हो सकती है, इसका एक या दो दिन में ज्यादा असर दिखने लगता है। क्योंकि सर्दी, खांसी, जुखाम, के साथ यदि शिशु सांस लेने में भी बहुत अधिक परेशानी का अनुभव करें, तो हो सकता है की शिशु के फेफड़ों में इन्फेक्शन हो गया है। और यह अधिक बढ़ने लगे तो जन्म के बाद शिशु की सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में यदि जन्म के बाद शिशु में आप इसके किसी भी लक्षण को देखते हैं तो इसे नज़रअंदाज़ न करते हुए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

जन्म के बाद शिशु को जॉन्डिस यानी पीलिया होने के कारण

जॉन्डिस जन्म के बाद शिशु को होने वाली एक आम समस्या है जो जन्म के बाद अधिकतर शिशुओं में देखने को मिलती है। बड़ो में पीलिया होने का कारण जहां लिवर की समस्या से जुड़ा होता है वहीँ शिशुओं को पीलिया होने का कारण शिशु के शरीर में बिलीरुबिन की मात्रा का अधिक बनना होता है। इसे इंग्लिश में फिजियोलॉजिकल जॉन्डिस भी कहा जाता है, यह जन्म के एक या दो दिन बाद शिशु हो सकता है। बिलीरुबिन का बॉडी में बनने का कारण लाल रक्त कोशिकाओं का टूटना होता है, और नवजात शिशुओं में यह अधिक होता है। जन्म के बाद नवजात शिशु का लिवर बिलिरुबीन की प्रक्रिया को इतनी कुशलता से नहीं कर पाता है, जिसके कारण यह समस्या हो जाती है।

लेकिन जैसे ही शिशु दो या तीन हफ्ते का हो जाता है तो लिवर बिलिरुबीन की प्रक्रिया को बेहतर तरीके से करने लग जाता है। यदि आपके शिशु को पीलिया हो गया है तो शिशु की त्वचा की रंगत हल्की, पीले रंग की दिखेगी, आंखों के सफेद हिस्से में पीलापन, नाखूनों, हथेलियों व पांवों के तलवों में पीलापन महसूस हो तो यह शिशु को पीलिया होने का लक्षण होता है। और ऐसे में आपको शिशु को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए, क्योंकि कुछ शिशु का पीलिया तो आसानी से ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ शिशु पीलिया से गंभीर तरीके से भी ग्रसित हो जाते हैं। ऐसे में डॉक्टर की राय लेना ही बेहतर विकल्प होता है।

तो यह हैं कुछ कारण जिनकी वजह से जन्म के बाद शिशु को पीलिया व् निमोनिया की समस्या हो जाती है। ऐसे में यदि आपको भी जन्म के बाद शिशु में ऐसे ही लक्षण दिखाई दे तो इन्हे नज़रअंदाज़ न करते हुए आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

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