प्रेगनेंसी का सातवां महीना सबसे खतरनाक क्यों होता है?

प्रेगनेंसी के नौ महीने

गर्भावस्था के पूरे नौ महीने गर्भवती महिला को अपना अच्छे तरीके से ख्याल रखने की सलाह दी जाती है। क्योंकि प्रेग्नेंट महिला का स्वस्थ रहना ही प्रेगनेंसी के दौरान आने वाली परेशानियों को कम करने के साथ गर्भ में पल रहे शिशु के बेहतर शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करता है। साथ ही प्रेगनेंसी के हर दिन महिला बहुत से उतार चढ़ाव से गुजरती है इस दौरान महिला केवल शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक व् भावनात्मक रूप से भी अपने अंदर बदलाव महसूस करती है। साथ ही लगाकर बॉडी में हो रहे बदलाव के कारण परेशानी, शिशु के विकास को लेकर सोचना, डिलीवरी को लेकर डर ऐसी ही कुछ बातों को लेकर महिला परेशान हो सकती है। इसके अलावा महिला केवल परेशान ही नहीं होती है बल्कि शिशु की गर्भ में पहली हलचल को महसूस करना भी प्रेगनेंसी के नौ महीने का सबसे बेहतरीन अनुभव होता है। और जब शिशु का जन्म होता है तो महिला प्रेगनेंसी के पूरे नौ महीने की परेशानियों को भी भूल जाती है।

प्रेगनेंसी का सातवां महीना क्यों होता है खतरनाक

गर्भावस्था जैसे जैसे आगे बढ़ती है वैसे वैसे महिला का वजन बढ़ने के कारण महिला की परेशानी भी बढ़ सकती है। और इस दौरान महिला को बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इस महीने में की गई थोड़ी सी भी लापरवाही प्रेगनेंसी की मुश्किलों को बढ़ा सकती है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की प्रेगनेंसी के सातवे महीने को खतरनाक क्यों कहा जाता है।

थकान

वजन बढ़ने के कारण, बॉडी में हार्मोनल बदलाव आदि के कारण प्रेग्नेंट महिला को सातवें महीने में बहुत जल्दी थकान का अनुभव हो सकता है। ऐसे में थकान की समस्या से राहत पाने के लिए महिला को भरपूर आराम करना चाहिए। लेकिन यदि महिला थकान में भी काम करती है और बॉडी को आराम नहीं देती है तो इसके कारण महिला की तबियत पर ही बुरा असर पड़ता है बल्कि शिशु को भी परेशानी का अनुभव हो सकता है।

वजन

सातवें महीने में महिला वजन भी बढ़ जाता है, और वजन बढ़ने के कारण उठने, बैठने, सोने, चलने आदि में महिला को परेशानी का अनुभव करना पड़ सकता है। ऐसे में उठते बैठते समय महिला के लिए बहुत जरुरी होता है की वो अपना ध्यान अच्छे से रखे क्योंकि इस दौरान की गई थोड़ी सी चूक प्रेग्नेंट महिला के लिए नुकसानदायक हो सकती है।

तनाव

शारीरिक बदलाव, प्रेगनेंसी के दौरान आने वाली परेशानियां, बॉडी में हो रहे हार्मोनल बदलाव के कारण गर्भवती महिला तनाव में आ सकती है। और तनाव के कारण गर्भवती महिला की परेशानियां ही नहीं बढ़ सकती है, बल्कि इसके कारण गर्भ में पल रहे शिशु पर भी बुरा असर पड़ सकता है।

घर के काम में लापरवाही

यदि प्रेग्नेंट महिला इस दौरान घर का काम अधिक करती है, पेट पर अधिक दबाव या जोर पड़ने वाला काम करती है, तो इसके कारण गर्भाशय में संकुचन होने की सम्भावना बढ़ सकती है जिसके कारण गर्भ में शिशु असहज महसूस कर सकता है और साथ ही समय पूर्व प्रसव जैसी परेशानी का सामना भी महिला को करना पड़ सकता है।

मूड स्विंग्स

प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में भी गर्भवती महिला को मूड स्विंग्स की समस्या अधिक हो सकती है जिसके कारण महिला अधिक गुस्से व् चिड़चिड़ाहट महसूस कर सकती है। और अधिक गुस्सा व् चिड़चिड़ाहट भी प्रेग्नेंट महिला के लिए सही नहीं होती है।

समय पूर्व प्रसव

गर्भावस्था के सातवें महीने में महिला यदि किसी भी तरह की लापरवाही करती है जिसके कारण महिला के गर्भ पर असर पड़ता है। तो इसके कारण समय पूर्व प्रसव जैसी परेशानी महिला को हो सकती है और इसका नकारात्मक असर शिशु पर देखने को मिलता है। और उसके बाद हो सकता है शिशु को बहुत सी शारीरिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है।

सम्बन्ध

प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में सम्बन्ध बनाने के कारण भी खतरा बढ़ सकता है, क्योंकि सम्बन्ध बनाते समय पेट पर जोर पड़ने के कारण या गर्भाशय पर चोट लगने के कारण गर्भाशय में संकुचन का खतरा रहता है। ऐसे में पति पत्नी दोनों को प्रेगनेंसी के सातवें महीने में होने वाली परेशानी से बचने के लिए सम्बन्ध बनाने से भी बचना चाहिए।

प्रेगनेंसी के सातवें महीने में महिला को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए

  • झुककर किसी भी काम को नहीं करना चाहिए।
  • ऐसे किसी भी काम को करने से गर्भवती महिला को बचना चाहिए जिसे गर्भवती महिला के पेट पर जोर पड़े।
  • प्रेग्नेंट महिला को भारी वजन उठाने या किसी भी भारी चीज को सारकाने से बचना चाहिए।
  • उल्टा होकर नहीं सोना चाहिए, साथ ही बाईं और करवट लेकर सोना महिला के लिए सबसे सही पोजीशन होती है।
  • सीढ़ियां चढ़ने से बचना चाहिए।
  • एक ही बार में पेट भरकर नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे भोजन को पचाने में समस्या होने के कारण एसिडिटी, सीने में जलन जैसी परेशानी का सामना भी महिला को कारण पड़ सकता है।
  • किसी भी तरह के नशे, कैफीन का अधिक मात्रा में सेवन आदि करने से बचना चाहिए।
  • डॉक्टर से समय से जांच करवानी चाहिए और बिना डॉक्टरी परामर्श के किसी भी दवाई का सेवन नहीं करना चाहिए।

तो यह हैं प्रेगनेंसी के सातवें महीने से जुडी कुछ बातें ऐसे में गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के सातवें महीने में होने वाली परेशानियों से बचने के लिए अपना अच्छे से ख्याल रखना चाहिए। ताकि गर्भवती महिला को स्वस्थ रहने के साथ गर्भ में पल रहे शिशु के विकास को बेहतर तरीके से होने में मदद मिल सके।

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