प्रेगनेंसी के तीसरा और सातवां महीना सबसे खास क्यों होता है?

गर्भावस्था के पूरे नौ महीने गर्भवती महिला रोजाना किसी न किसी नए अनुभव से गुजरती है। इसके अलावा महिला को पूरे नौ महीने बॉडी में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण बहुत सी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। और ऐसे में महिला स्वस्थ रहे और शिशु को गर्भ में कोई दिक्कत न हो और उसका विकास अच्छे तरीके से हो इसके लिए महिला को प्रेगनेंसी के दौरान अपना अच्छे से ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। प्रेगनेंसी के पहले दिन से लेकर डिलीवरी होने तक गर्भवती महिला को हर कदम पर महिला को अपना दुगुना ध्यान रखना पड़ता है। लेकिन प्रेगनेंसी का कुछ समय ऐसा भी होता हैं जो गर्भवती महिला के लिए थोड़ा परेशानी भरा होने के साथ खतरे से भरा हुआ भी होता है। क्योंकि उन दिनों में थोड़ी सी भी लापरवाही गर्भवती महिला के साथ शिशु के लिए भी नुकसानदायक साबित हो सकती है। तो आइये अब जानते हैं की प्रेगनेंसी के कौन से महीने गर्भवती महिला के लिए सबसे खास होते हैं।

प्रेगनेंसी का तीसरा महीना

गर्भवस्था का तीसरा महीना बहुत ही खास होता है इसके कई कारण होते हैं आइये इन कारणों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

शारीरिक परेशानियां: प्रेगनेंसी के पहले तीन महीने में बॉडी में हार्मोनल बदलाव भी बहुत तेजी से होते हैं और गर्भ में शिशु के अंगो का विकास भी तेजी से हो रहा होता है। ऐसे में महिला को बहुत सी शारीरिक व् मानसिक रूप से परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। और इन परेशानियों के होने पर भी यदि गर्भवती महिला अपना अच्छे से ख्याल नहीं रखती है तो इसके कारण महिला को स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों के बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है।

शिशु के अंगो का विकास: प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में गर्भ में शिशु के अंग बन रहे होते हैं शिशु का शुरूआती विकास हो रहा होता है। ऐसे में महिला यदि किसी तरह की कोई गलती करती है तो ऐसा करने से शिशु के अंगो की बनावट में दिक्कत आ सकती है, जिसके कारण शिशु के विकलांग होने के चांस हो सकते हैं।

गर्भपात: साथ ही प्रेगनेंसी के तीसरा महीना महिला के लिए इसीलिए भी बहुत खास होता है क्योंकि इस समय में गर्भपात होने का खतरा भी सबसे अधिक होता है, ऐसे में इस महीने में महिला को भरपूर आराम करने के साथ किसी भी तरह की लापरवाही न करने की सलाह दी जाती है।

प्रेगनेंसी के सातवां महीना

गर्भावस्था का सातवां महीना भी बहुत खास होता है क्योंकि इस दौरान महिला को बहुत से नए बदलाव महसूस होते हैं, साथ ही गर्भ में शिशु के विकास में कोई समस्या न हो इसके लिए भी महिला को अच्छे से ध्यान रखना पड़ता है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की प्रेगनेंसी का सातवां महीना महिला के लिए खास क्यों होता है।

वजन: प्रेगनेंसी के सातवें महीने में महिला का वजन भी पहले की अपेक्षा बढ़ जाता है, और वजन बढ़ने के कारण महिला को बहुत सी परेशानियों का सामना (जैसे उठने बैठने सोने में दिक्कत आदि) भी करना पड़ सकता है। ऐसे में यदि गर्भवती महिला अपना अच्छे से ध्यान नहीं रखती है तो महिला को अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

समय पूर्व प्रसव: शिशु का विकास भी इस दौरान तेजी से हो रहा होता है, और गर्भ में शिशु की मूवमेंट भी अधिक हो सकती है। जिसके कारण महिला को हल्के फुल्के पेट में दर्द, पेल्विक एरिया की मांसपेशियों पर जोर पड़ना जैसी परेशानियां हो सकती है। और ऐसे में यदि महिला किसी भी तरह की लापरवाही करती है तो इसके कारण समय पूर्व प्रसव जैसी परेशानी का सामना महिला को करना पड़ सकता है। जिसका बुरा असर गर्भ में शिशु पर भी पड़ता है क्योंकि जन्म के समय शिशु को वजन में कमी जैसी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

पेट सम्बंधित समस्या: वजन बढ़ने के कारण महिला की पाचन क्रिया धीमी पड़ सकती है जिसके कारण महिला को पेट सम्बंधित समस्या जैसे की कब्ज़ जैसी परेशानी का सामना अधिक करना पड़ सकता है।

तो यह हैं कुछ कारण जिनकी वजह से गर्भावस्था के तीसरे और सातवें महीने में महिला को अपना ज्यादा ध्यान रखने की जरुरत होती है ताकि गर्भ में पल रहे शिशु और महिला को इसके कारण किसी भी तरह की परेशानी न हो। और महिला और शिशु दोनों को स्वस्थ रहने में मदद मिल सके।

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