जन्म के बाद शिशु को माँ के पेट पर क्यों रखा जाता है?

बच्चे का जन्म होने के तुरंत बाद बच्चे को साफ़ करने के लिए डॉक्टर्स बच्चे को बाहर ले जाते हैं। और उसके बाद जब बच्चा माँ को दिखाया जाता है तो बच्चे को माँ के सीने या पेट पर लिटाया जाता है। यह दृश्य माँ के लिए उसकी जिंदगी का सबसे बेहतरीन लम्हा होता है क्योंकि जिस बच्चे को नौ महीने केवल गर्भ में महिला महसूस करती है आज वो उसकी आँखों के सामने होता है। तो जाहिर सी बात है यह लम्हा बहुत ही ज्यादा यादगार और इमोशनल होता है। लेकिन क्या आपने सोचा है की आखिर क्यों बच्चे को जन्म के बाद माँ के पेट या सीने पर लिटाया जाता है? यदि नहीं तो आइये आज इस आर्टिकल में हम आपको बताते हैं।

शिशु को होता है माँ का अहसास

जिस तरह नौ महीने महिला गर्भ में महिला अपने बच्चे को महसूस करती है उसी तरह बच्चा भी गर्भ में रहने के बाद भी माँ के स्पर्श और अहसास को महसूस कर सकता है। ऐसे में जन्म के बाद शिशु करीब से अपनी माँ के होने के अहसास को महसूस कर सके साथ ही माँ और बच्चे का रिश्ता मजबूत हो सके। इसके लिए शिशु को जन्म के बाद माँ के पेट पर लिटाया जाता है।

बच्चे को आराम महसूस हो

सभी कहते हैं की बच्चा चाहे कितना ही डरा हुआ हो, रो रहा हो, उदास हो लेकिन जैसे ही बच्चा माँ की गोद में आता है बच्चे को आराम महसूस होता है और बच्चा खिलखिला उठता है। ऐसे में बच्चे को आराम महसूस हो इसके लिए जन्म के बाद बच्चे को माँ के पेट पर लिटाया जाता है।

स्तनपान के लिए

जन्म के बाद बच्चे को माँ के करीब स्तनपान के लिए भी लाया जाता है। क्योंकि स्तनपान जन्म के बाद बच्चे के लिए सर्वोत्तम आहार होता है। जो जन्म के बाद बच्चे के बेहतर विकास के साथ बच्चे को बिमारियों से सुरक्षित रखने में भी मदद करता है।

तो यह हैं कुछ कारण जिनकी वजह से जन्म के बाद बच्चे को माँ के पेट पर लिटाया जाता है। इसके अलावा जन्म के बाद जितना हो सके बच्चे को माँ के करीब ही रखना चाहिए क्योंकि यह बच्चे के लिए बहुत अच्छा होता है।

Why is the baby placed on the mother’s belly after birth

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