जब मिसकैरिज का खतरा हो तो यह करना चाहिए?

मिसकैरिज जिसे की आप गर्भपात भी कहते हैं यह महिला के लिए बहुत दर्दनाक हो सकता है। क्योंकि इसकी वजह से महिला केवल शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी प्रभावित होती है। खासकर जब कपल बच्चे की प्लानिंग करता है और महिला के साथ यह हो जाता है तो यह महिला के साथ उसके पार्टनर व् घरवालों के लिए भी दुखद होता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको मिसकैरिज का खतरा क्यों होता है और किस तरह महिला इस परेशानी से बच सकती है इसके बारे में बताने जा रहे हैं। ताकि महिला को इस परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।

गर्भपात होने के क्या कारण होते हैं?

बच्चा गिरने का कोई एक नहीं बल्कि कई कारण होते हैं तो आइये अब उन कारणों को विस्तार से जानते हैं।

  • यदि महिला का पहले गर्भपात हुआ होता है तो महिला को दुबारा यह समस्या होने का खतरा होता है।
  • महिला यदि मानसिक रूप से बच्चे के लिए तैयार नहीं होती है और महिला गर्भधारण कर लेती है तो तनाव के कारण भी महिला का मिसकैरिज हो सकता है।
  • जरुरत से ज्यादा बढ़ा हुआ वजन भी महिला की इस परेशानी का कारण होता है।
  • जो गर्भवती महिला नशीले पदार्थों का, कैफीन का जरुरत से ज्यादा सेवन करती है उन महिलाओं के गर्भ गिरने का खतरा भी अधिक होता है।
  • गर्भावस्था के दौरान बॉडी में यदि हार्मोनल असंतुलन अधिक होता है तो इस कारण भी मिसकैरिज का खतरा बढ़ जाता है।
  • शारीरिक बीमारी जैसे की थायरॉयड, शुगर से यदि महिला ग्रसित है तो भी मिसकैरिज का खतरा अधिक होता है।
  • बढ़ती उम्र में गर्भधारण करने वाली महिलाओं को गर्भपात की परेशानी होने की सम्भावना अधिक होती है।
  • गर्भावस्था के दौरान यदि महिला अपना अच्छे से ध्यान नहीं रखती है और लापरवाही बरतती है जैसे की पेट के बल काम करती है, भारी सामान उठाती है, बहुत ज्यादा भागादौड़ी करती है, यात्रा अधिक करती है, अपनी सेहत अपने खान पान का अच्छे से ध्यान नहीं रखती है तो भी महिला को गर्भपात होने का खतरा बढ़ जाता है।

मिसकैरिज के खतरे को कम करने के लिए यह करें

प्रेग्नेंट महिला को गर्भपात के खतरे से बचे रहने के लिए और गर्भपात के खतरे को कम करने के लिए बहुत सी बातों का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान छोटी छोटी बातों का अच्छे से ध्यान रखने पर ही महिला इस परेशानी से बची रह सकती है। तो आइये अब जानते हैं की प्रेग्नेंट महिला को मिसकैरिज की समस्या से बचे रहने के लिए क्या क्या करना चाहिए।

भरपूर करें आराम

गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान कॉम्प्लीकेशन्स होती है जिसकी वजह से महिला को बेड रेस्ट की सलाह दी जाती है। ऐसे में महिला को इस बात का ध्यान रखना चाहिए की महिला जितना हो सके आराम करें और डॉक्टर द्वारा बताई गई सावधानियों का अच्छे से पालन करें। यदि महिला ऐसा करती है तो इससे गर्भपात के खतरे को कम करने में मदद मिलती है।

शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं होने दें

गर्भावस्था के दौरान यदि महिला के शरीर में पोषक तत्वों की कमी होती है तो इसकी वजह से भी गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में मिसकैरिज के खतरे को कम करने के लिए गर्भवती महिला को अपनी डाइट का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए। और पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेनी चाहिए। ताकि महिला को बच्चे दोनों को स्वस्थ रहने में मदद मिल सकें। साथ ही उन चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए जिनका सेवन करने से मिसकैरिज हो सकता है जैसे की कच्चा पपीता, अनानास, कच्चा अंडा, अधपका नॉन वेज, नशीले पदार्थ, जरुरत से ज्यादा कैफीन, आदि।

वजन

गर्भावस्था के दौरान महिला को मिसकैरिज के खतरे से बचे रहने के लिए अपने वजन का भी अच्छे से ध्यान रखना चाहिए। जैसे की महिला का न तो वजन जरुरत से ज्यादा होना चाहिए और न ही कम होना चाहिए। यदि प्रेग्नेंट महिला अपने वजन को नियंत्रित रखती है तो इससे भी महिला को मिसकैरिज के खतरे से बचे रहने में मदद मिलती है।

लापरवाही से बचें

मिसकैरिज के खतरे से बचने के लिए महिला किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए। जैसे की झुककर काम नहीं करना चाहिए, पेट पर दबाव नहीं पड़ने देना चाहिए, भारी सामान नहीं उठाना चाहिए, भागदौड़ नहीं करनी चाहिए, यात्रा करने से बचना चाहिए, घर के काम करने में सावधानी बरतनी चाहिए, आदि। यदि महिला इन छोटी छोटी बातों का ध्यान रखती है तो ऐसा करने से महिला को मिसकैरिज से बचे रहने में मदद मिलती है।

खुश रहें

शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मिसकैरिज के खतरे से बचे रहने के लिए महिला को मानसिक रूप से भी रिलैक्स रहना चाहिए। यदि महिला मानसिक रूप से रिलैक्स रहती है खुश रहती है तो ऐसा करने से भी गर्भवती महिला और बच्चे दोनों को फायदा मिलता है। जिससे प्रेग्नेंट महिला फिट रहती है और गर्भ में शिशु का विकास बेहतर तरीके से होता है।

डॉक्टर से संपर्क में रहें

यदि आपको मिसकैरिज का खतरा है, प्रेगनेंसी में कॉम्प्लीकेशन्स हैं तो आपको शुरुआत से लेकर प्रेगनेंसी के नौवें महीने तक डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। ताकि आपको कोई छोटी सी भी दिक्कत हो तो उसका इलाज समय से हो सके। और गर्भ में शिशु के बेहतर विकास में मदद मिल सके साथ ही गर्भपात जैसी समस्या से आपका बचाव हो सके।

तो यह हैं मिसकैरिज के खतरे से बचे रहने के कुछ टिप्स, यदि आप भी माँ बनने वाली हैं तो आपको भी इन बातों का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए। ताकि प्रेगनेंसी के दौरान आपको किसी भी तरह की दिक्कत से बचे रहने में मदद मिल सके।

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