गर्भावस्था के छठे महीने में शिशु का विकास और गर्भवती महिला के शरीर में बदलाव

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गर्भावस्था के छठे महीने में गर्भ के अंदर शिशु में क्या-क्या विकास होता है? और गर्भवती महिला के शरीर में क्या-क्या बदलाव आते हैं आज हम उनके बारे में बात कर रहे हैं। गर्भावथा का हरेक महीना गर्भवती महिला के लिए खास होता है। पर छठा महीना उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। क्यूंकि इस महीने तक शिशु की बाहरी संरचनाओं का विकास पूरा हो जाता है। और शिशु गर्भ से बाहर की आवाजें भी सुनने व् पहचानने लगता है। पूर्ण तौर पर कहें तो छठे महीने तक शिशु पूरी तरह बनकर तैयार हो जाता है और एक नवजात की तरह दिखने लगता है।

गर्भावस्था का छठा महीना और शिशु में विकास

प्रेगनेंसी के छठे महीने तक शिशु के मष्तिष्क की कोशिकाएँ पूरी तरह विकसित हो जाती है। पर शिशु की त्वचा अभी भी बहुत नाजुक और पतली है जो जन्म तक सामान्य हो जाएगी।

छठे महीने से शिशु गर्भ के भीतर ज्यादा मूवमेंट करने लगता है जिसे आप अपने हाथ को पेट पर रखकर महसूस कर सकती हैं। ये पल आपके लिए बहुत ही बढियाँ होगा। आपके पेट सहलाने पर शिशु किक करके या मूव करके आपको प्रतिक्रया भी देगा।

इस महीने से शिशु गर्भ के भीतर सोने और जागने भी लगता है। छठा महीना खत्म होते-होते शिशु के मस्तिष्क का विकास पूरा हो जाता है। इस समय तक शिशु के सभी अंदरूनी और बाहरी अंगों का विकास हो जाता है।

प्रेग्नेंसी के छठे महीने में गर्भवती महिला के शरीर में बदलाव

गर्भावस्था के छठे महीने में गर्भवती महिला के शरीर में भी कई बदलाव होने लगते हैं, अब उन्ही के बारे में बता रहा हैं। छठे महीने से गर्भवती महिला का वजन तेजी से बढ़ने लगता है जिसके कारण पैरों में सूजन की समस्या हो सकती है।

बॉडी में हार्मोनल चैंजेस के कारण अपच और कब्ज की समस्या होने लगती है जिसके कारण पेट दर्द की समस्या हो सकती है। इस समय तक शिशु भी बढ़ने लगता है जिसके कारण गर्भवती महिला की भूख बढ़ जाती है। कई महिलाओं को इस महीने में खर्राटे आने की समस्या भी होने लगती है। पर ऐसा जरुरी नहीं है की ये सब के साथ हो।

छठे महीने में गर्भवती महिलाओं के पेट के निचले भाग में तेज खुजली हो सकती है। पीठ और शरीर में दर्द होता है जिसके कारण कई बार रात में नींद नहीं आती। पेट का आकार बढ़ जाने के कारण मांसपेशियों पर खिचांव आने लगता है।

दोस्तों, छठे महीने तक शिशु का काफी विकास पूरा हो जाता है पर अंगों में परिपक्वता आना भी शेष है। तो इस महीने से आपको अपनी खास देखभाल करनी होगी। जरा सी लापरवाही प्रीटर्म डिलीवरी का कारण बन सकती है। इसीलिए छोटी से छोटी परेशानी में भी डॉक्टर को दिखाएं, रेगुलर चेकअप करवाती रहें ताकि शरीर में हो रही पोषक तत्वों की कमी को सही समय पर पूरा किया जा सके और गर्भ में पल रहा शिशु स्वस्थ रहे।

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